दुर्ग. CG Prime news. छत्तीसगढ़ राज्य के मुखिया भूपेश बघेल के जन्मदिवस के उपलक्ष्य पर शासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत अतिथि व्याख्याताओं ने एक दिन का उपवास रखकर उनके स्वस्थ एवं दीर्घायु जीवन की मंगलकामना की।
छत्तीसगढ़ राज्य के शासकीय महाविद्यालयों में सहायक प्राध्यापक पद के विरूद्ध अतिथि व्याख्याता कार्यरत हैं। जिन्हें 800रूपय का दैनिक वेतन प्राप्त होता आ रहा है। सन् 2011-12में लागू की गई इस व्यवस्था के अंतर्गत आज राज्य भर के 3000से अधिक अतिथि व्याख्याता सेवा दे रहे है। अतिथि व्याख्याताओं के सामूहिक एकता के स्वरूप में अतिथि व्याख्याता संघ के बैनर तले एक अनूठा सत्याग्रह अभियान छेड़ा है। अतिथि व्याख्याता निशुल्क असाइनमेंट मूल्यांकन की भी घोषणा कर चुकें हैं। विडंबना का आलम यह है कि उच्च शिक्षा में लाखों का वेतन प्राप्त सहायक प्राध्यापक सातवां वेतनमान का भी लाभ ले रहे हैं । वहीं दूसरी ओर मनरेगा की तरह दिहाड़ी वेतन पर राज्य के अतिथि व्याख्याता अध्यापन कार्य करा रहे हैं। अतिथि व्याख्याता पिछले 4वर्षों से लगातार सरकार के समक्ष तीन बुनियादी मांगों के लिए संघर्षरत हैं। जिसमें मासिक वेतनमान, 11माह की पूर्णकालिक अवधि तथा स्थानांतरण से सुरक्षित स्थिति शामिल हैं।
संघ की राज्य समन्वयक डॉ दुर्गा शर्मा ने बताया कि अतिथि व्याख्याताओं को उच्च न्यायालय द्वारा सेवा में निरंतरता प्रदान की गई है। फिर भी प्राचार्य यूजी वालों को फरवरी में एवं पीजी वालों को अप्रैल में घर बिठा देते हैं। जिसकी वजह से आर्थिक एवं मानसिक रूप से अतिथि व्याख्याता पीड़ित रहते हैं। लगातार जनचौपाल से लेकर विभिन्न मंचों पर समूह ने तीनों मांगों को उठाया है तथा प्रदेश के समस्त विधायकों सहित मुख्यमंत्री तक इसे रखा है। लॉकडाउन के दौरान भी पीजी कॉलेज के व्याख्याताओं को कुछ प्राचार्यों ने आधा वेतन दिया तथा कुछ ने रोक दिया। इसके बावजूद छात्रहितों के लिए राज्य भर के अतिथि व्याख्याता निशुल्क असाइनमेंट मूल्यांकन हेतु एकमत से राजी हो गए।
वहीं संघ के पदाधिकारी शंशाक राव ने बताया कि छत्तीसगढ़ के उच्च शिक्षा विभाग में मौलिक संवैधानिक अधिकार समान कार्य समान वेतन का हनन अतिथि व्याख्याताओं के संदर्भ में प्रत्यक्ष दिखलाई देता है। यूजीसी के मापदंडों के अनुसार मेरिट सूची के आधार पर हर महाविद्यालय में एक अतिथि व्याख्याता का चयन हुआ है। फिर भी पर्याप्त योग्यता रखने के बावजूद तथा उच्च शिक्षा की बैशाखी के रूप में कार्य करने वाले अतिथि व्याख्याताओं को प्राचार्यों की मनमानियों का सामना करना पड़ता है। आज बेरोजगारी के दंश झेल रहे व्याख्याताओं पर न तो सत्तापक्ष न ही विपक्ष की दृष्टि पड़ी है न ही आयोग के अधिकारी किसी भी संवेदना का परिचय दे पायें है।
राज्य समन्वयक भानु प्रताप आहिरे ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा जारी न्याय योजनाओं की तारीफ करते हुए बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार लोक कल्याणकारी सरकार है जिसकी बागडोर बहुत ही संवेदनशील मुखिया के हांथो में है। विभिन्न विभागों के साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में पदस्थ समस्त अधिकारियों कर्मचारियों के लिए सरकार ने बहुत ही अच्छे फैसले लिए हैं।
अतिथि व्याख्याताओं की वर्षों से चली आ रही मांगों पर CM का ध्यान है तथा वे शीघ्र ही हमारी मांगों पर विचार करते हुए न्यायोचित फैसला लेंगे। आज बलरामपुर जिले से लेकर सुकमा जिले तक के अतिथि व्याख्याताओं ने जन्मदिन के अवसर पर उपवास रखा है तथा हाथ में तख्ती लेकर गुहार लगाई है।
यह उपवास रूपी सत्याग्रह शीघ्र ही सफल होगा.
पांच संभागों के समन्वयक क्रमशः धीरेन्द्र जायसवाल, हेमसागर चौधरी, भारती सोनी, प्रीति पटेल, अमित खांडे सहित समस्त जिलों के प्रभारियों ने सक्रिय भागीदारी निभाई है।