डोंगरगढ़ में ED का छापा, कस्टम मिलिंग घोटाला मामले में मां बम्लेश्वरी ट्रस्ट के अध्यक्ष के घर Raid, ऐसे चलता था कमीशन का खेल

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@Dakshi sahu Rao

CG Prime News@राजनांदगांव. छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद एक बार फिर ED सक्रिय हो गई है। ईडी ने शनिवार को कस्टम मिलिंग घोटाले (custom milling scam in CG) की जांच करते हुए राजनांदगांव के जिले के डोंगरगढ़ में छापा मारा। ईडी की टीम मां बम्लेश्वरी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष और डोंगरगढ़ राइस एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज अग्रवाल के घर सुबह 5 पहुंची। जिसके बाद घर और दफ्तर को सील करते हुए ईडी के अधिकारी जांच पड़ताल कर रहे हैं। मिली जानकारी के अनुसार अग्रवाल के घर 2 अलग-अलग गाडिय़ों में टीम पहुंची है। प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने ये कार्रवाई कस्टम मिलिंग घोटाले में की है। ये कार्रवाई डोंगरगढ़ के अलावा रायपुर के खम्हारडीह इलाके में भी चल रही है।

सोनी के गिरफ्तारी के बाद मारा छापा
छत्तीसगढ़ में कस्टम मिलिंग मामले में हुई भष्टाचार की जांच और मनोज सोनी की गिरफ्तारी के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने राइस मिलर्स को समंस जारी किया है। वहीं, एसोसिएशन से जुड़े कई लोगों ने ईडी दफ्तर पहुंच कर अपने बयान दर्ज कराए हैं। पूछताछ में सहयोग नहीं करने और समंस के बाद भी नहीं आने वाले अधिकारियों और एसोसिएशन से जुड़े लोगों को जल्द ही ईडी गिरफ्तार कर सकती है।

ऐसे चल रहा था खेल
कारोबारियों के अनुसार, मार्कफेड के पूर्व एमडी मनोज सोनी और उनके सहयोगियों का खेल दो साल से चल रहा था। इसके लिए पूरी टीम बनाई गई थी। टीम में मॉर्कफेड के अफसर और छत्तीसगढ़ स्टेट मिलर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी भी शामिल थे। आरोप है कि कस्टम मिलिंग, डीओ काटने, मोटे धान को पतला करने, पतले धान को मोटा करने, एफसीआई को नान में कंवर्ट करने का पैसा लिया जाता था।

मिलर्स का रोका जाता था पैसा
ED की जांच में ये पाया गया कि, तत्कालीन जिला मार्केटिंग ऑफिसर प्रीतिका पूजा केरकेट्टा को मनोज सोनी ने रोशन चंद्राकर के माध्यम से निर्देश दिया था। इसमें कहा गया था कि उन्हीं राइस मिलर्स के बिल का भुगतान किया जाना है, जिन्होंने वसूली की राशि रोशन चंद्राकर को दे दी है। किन राइस मिलर्स को भुगतान किया जाना है, इसकी जानकारी संबंधित जिले के राइस मिलर्स एसोसिएशन के जरिए मिलती थी। रोशन चंद्राकर जिन मिलर्स की जानकारी प्रीतिका को देता थे, उनका भुगतान कर बाकी मिलर्स की राशि रोक दी जाती थी।