धड़ल्ले से हो रही यूरिया खाद की कालाबाजारी, सब जानकर भी जिला प्रशासन मौन

कोंडागांव@CgPrimeNews. जिले के साथ-साथ पूरे सीमावर्ती इलाकों में इन दिनोंयूरिया खाद की कालाबाजारी चरम पर है। किसानों को ऊंची कीमतों पर यूरिया खाद खरीदने की मजबूरी बनी हुई है। पिछले पखवाड़ेभर से ही 266 प्रति बोरा यूरिया 400 से 450 रुपए कीमत पर बेची जा रही है। यूरिया की मूल्य वृद्धि ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है।

खाद विक्रेता के कालाबाजारी के आगे किसान बेबस
जिले में खाद बेचने के धंधे में लगे व्यापारियों के सामने किसान बेबस हैं। यहां खाद की कमी और परिवहन लागत अधिक लगने का हवाला देकर खाद विक्रेता मनमाने ढंग से ऊंची कीमत पर यूरिया खाद बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं। कुछ दिन पहले दूकानों में प्रति बोरी यूरिया 320 से 330 रुपये में बेचा जा रहा था, जिसे अब 400 से 450 रुपये में बेचा जा रहा है। किसानों को कैशमेमो भी नहीं दिया जाता है साथ ही खाद बेचने के नियमों का पालन भी नहीं किया जा रहा है। जबकि सरकारी कीमत की यूरिया खाद प्रति बोरी 266.50 रुपये किमत निर्धारित है।

किसानों की बढ़ी मुसीबत
यूरिया खाद की बेवजह बढ़ी कीमतों ने किसानों को परेशान कर रखा है। किसान खाद की बढ़ी कीमतों के कारण खेती का लागत मूल्य बढ़ने से हताशा की स्थिति में हैं। ग्रामीण इलाकों में कालाबाजारियों द्वारा 400 से 450 रुपये प्रति बोरी बेची जाती है। कालाबाजारियों के दुकान में ट्रकों से भरकर खाद पहुंच रहा है। जिसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती है। किसानों से पूछने पर उन्होंने कहा कि दुकानदार को जब इस बारे में बोला जाता है तो दुकानदार का एक ही जवाब आता है कि ऊपर से रेट ज्यादा आया हम क्या कर सकते हैं? 

पासंगी के किसान कमलेश पांडे समेत अन्य किसानों ने बताया कि यूरिया खाद मनमाने दाम पर बेचा जा रहा है। उनका कहना है कि क्षेत्र में कहीं पर 450 रुपए में खाद बेचा जा रहा है वहीं अन्य स्थानों पर ₹400 में मिल रहा है। कैशमेमो मांगने पर खाद नहीं देने की धमकी दी जाती है। खाद बेचने के लिए न तो पीओएस मशीन का इस्तेमाल हो रहा है और न ही शासन के नियमों का पालन हो रहा है। किसानों को सहकारी समिति द्वारा प्रति हेक्टर 03 बोरी यूरिया खाद देने और वो भी किसानों को समय पर खाद उपलब्ध नहीं होने के चलते दुकानों से खाद खरीदना मजबूरी है। किसानों की फरियाद सुनने वाला कोई नहीं है। कोरोना संकट में आर्थिक तंगी झेल रहे किसान यूरिया खाद का मूल्य अधिक होने के कारण आवश्यकता से कम खाद का प्रयोग अपने खेतों में कर रहे है, जिस कारण उन्हें उपज प्रभावित होने का भी डर सता रहा है। 

प्रशासन नहीं कर रहा कार्यवाही
यूरिया खाद की कालाबाजारी में विभागीय भूमिका भी संदेह के घेरे में है।जिले में हो रहे यूरिया खाद की कालाबाजारी एवं तस्करी पर जिला प्रशासन तमाशबीन बना हुआ है। कृषि विभाग के अधिकारी कभी खाद दुकानों का निरीक्षण करना भी मुनासिब नहीं समझते और अगर निरीक्षण होता भी है तो कार्रवाई के नाम पर केवल खानापूर्ति ही किया जाता है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि शायद कहीं ना कहीं व्यापारी एवं अधिकारीयों के बीच मिलीभगत कर इस गोरखधंधे को अंजाम दिया जा रहा है। इसलिए खाद बीज विक्रेताओं द्वारा बेखौफ खुलेआम मनमानी ढंग से ऊंची कीमत पर खाद बेचा जा रहा है।

क्षेत्र के किसान व भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष प्रवीर सिंह बदेशा एवं जिला महामंत्री तरुण साना की माने तो सहकारी समिति द्वारा प्रति हेक्टर केवल 3 बोरी यूरिया खाद दिया जा रहा है जो एक हेक्टर के लिए काफी नहीं है साथ ही खाद नहीं आने का बात कह कर किसानों को गुमराह किया जा रहा है। समय पर खाद न मिलने के कारण बाहर से ऊंची कीमत पर खाद खरीदना किसानों की मजबूरी है और व्यापारीयों द्वारा जानबूझकर खाद की किल्लत पैदा करते हुए खाद की कमी बताकर ऊंची दर पर खाद बेचा जा रहा है। इस स्थिति को देखते हुए प्रशासन का मौन रहना सवालों के घेरेे में है।

कृषि अधिकारी का कहना है कि–
इस विषय में कृषि विभाग के एसडीओ उग्रेश देवांगन का कहना है कि खाद केवल लाइसेंस धारी दुकानदार ही विक्रय कर सकते हैं और नियम के तहत पीओएस मशीन भी दुकान में रखना अनिवार्य है। कई दुकानदारों द्वारा अधिक कीमत पर यूरिया खाद बेचने की शिकायत मिली है। इस मामले की जांच कर दोषी खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।

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