Breaking: संभागायुक्त ने दुर्ग तहसीलदार को किया निलंबित, कलेक्टर की अनुमति के बिना सरकारी जमीन किया विक्रय, गलत तरीके से कराया नामांतरण

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@Dakshi sahu Rao

CG Prime News@दुर्ग. दुर्ग संभाग आयुक्त सत्य नारायण राठौर ने शासन से प्राप्त भूमि का कलेक्टर की अनुमति के बिना विक्रय किए जाने और विधि विरूद्ध नामांतरण एवं कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही बरतने पर तहसीलदार को निलंबित कर दिया है। तहसीलदार प्रफुल्ल कुमार गुप्ता को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है। निलंबन अवधि में उनका मुख्यालय कार्यालय कलेक्टर मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी निर्धारित किया गया है।

मिली जानकारी के अनुसार निलंबित तहसीलदार ने पूर्व में नामांतरण निरस्त करने के बाद और अपीलीय न्यायालयों द्वारा नामांतरण खारिज करने के बाद भी छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता, 1959 के प्रावधानों के विपरीत उसी वाद भूमि का विधि विरूद्ध नामांतरण आदेश पारित कर दिया। अपने कर्तव्य निर्वहन में गंभीर लापरवाही बरती।

यह है पूरा मामला
ग्राम बोडेगांव, पटवारी हल्का नम्बर 10/14, राजस्व निरीक्षक मंडल दुर्ग-1 तहसील स्थित खसरा नम्बर 717, रकबा 0.9200 हेक्टेयर भूमि का अवैध तरीके से नामांतरण करने के संबंध में 2 मई 2024 को शिकायत प्राप्त हुई थी। उक्त शिकायत पर कलेक्टर दुर्ग से प्रतिवेदन प्राप्त किया गया था। जिसके अवलोकन पर पाया गया कि शासन से प्राप्त भूमि का कलेक्टर के अनुमति के बिना विक्रय किया गया था। जिसके कारण अतिरिक्त तहसीलदार दुर्ग द्वारा 9 नवंबर 2022 को नामांतरण को निरस्त कर दिया गया था। इस आदेश की अपील अनुविभागीय अधिकारी (रा.) दुर्ग द्वारा खारिज कर दी गई थी। जिसकी अपील न्यायालय आयुक्त दुर्ग संभाग दुर्ग में लंबित थी। बाद में उक्त अपील भी खारिज कर दी गई। अतिरिक्त तहसीलदार दुर्ग द्वारा पूर्व में नामांतरण निरस्त करने एवं वरिष्ठ न्यायालयों द्वारा अपील खारिज करने के बाद भी प्रफुल्ल कुमार गुप्ता तहसीलदार दुर्ग द्वारा शासन से प्राप्त भूमि का कलेक्टर के बिना अनुमति के विक्रय होने के बावजूद पक्षकारों के सुनवाई के बिना मात्र 5 दिन में ही नामांतरण कर दिया गया।

खसरा के कॉलम 12 में कैफियत में बिक्री अयोग्य स्पष्ट उल्लेखित है। उक्त विधि विरूद्ध नामांतरण किए जाने के संबंध में तहसीलदार प्रफुल्ल कुमार गुप्ता को संभाग आयुक्त कार्यालय द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। जिसके प्रतिउत्तर में उनके द्वारा जवाब प्रस्तुत किया गया। जिसके परीक्षण में उनका जवाब समाधानकारक नहीं है। शासन से प्राप्त भूमि का नामांतरण करने में प्रथम दृष्टया अनियमितता बरतना पाया गया।