पत्नी ने किया नहाने से इंकार तो पति ने बनवा दिया कभी न सूखने वाला तालाब, जानिए छत्तीसगढ़ की अनोखी लव स्टोरी

दुर्ग। husband made pound for his wife छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में स्थित कंडारका गांव का एक तालाब आज भी अपनी अनोखी कहानी और उपयोगिता के लिए चर्चा में है। करीब 150 साल पहले एक जमींदार ने अपनी पत्नी की जिद पर इस तालाब का निर्माण करवाया था, जो आज भी गांव के लोगों के लिए जीवनरेखा बना हुआ है। खास बात यह है कि यह तालाब बनने के बाद से कभी सूखा नहीं है।ग्रामीणों के अनुसार, दुर्ग शहर से लगभग 25 किलोमीटर दूर कंडारका गांव में स्थित ‘बड़ा तालाब’ आज भी आसपास के छह गांवों के लिए पानी का अहम स्रोत बना हुआ है। जहां गर्मियों में अन्य जल स्रोत सूख जाते हैं, वहीं यह तालाब हमेशा भरा रहता है।

जमींदार का उड़ाया था मजाक

कहानी कुछ यूं है कि 150 साल पहले कंडारका गांव में पानी की भारी किल्लत थी। स्थानीय लोगों को अपनी दैनिक जरूरतों के लिए दूर-दराज के गांवों में जाना पड़ता था। जमींदार गौटिया की पत्नी भी नहाने के लिए दो किलोमीटर दूर एक दूसरे गांव जाती थीं। कई बार गांव वालों ने इसका मजाक भी उड़ाया कि जमींदार अपने ही गांव में पानी का इंतजाम नहीं कर पा रहे हैं।

इससे आहत होकर जमींदार की पत्नी ने प्रण लिया कि जब तक उनके गांव में तालाब नहीं बनता, वह स्नान नहीं करेंगी। अपनी पत्नी की इच्छा को पूरा करने के लिए जमींदार ने तालाब खुदवाने का फैसला किया।

100 मजदूरों ने 5 महीने में तैयार किया तालाब

ग्रामीण बताते हैं कि इस तालाब को खोदने के लिए करीब 100 मजदूर बुलाए गए थे, जिन्होंने कुल्हाड़ियों और फावड़ों के साथ लगातार पांच महीने तक मेहनत की। तब जाकर यह विशाल तालाब तैयार हुआ, जो आज भी क्षेत्र के लोगों के लिए पानी का स्थायी स्रोत बना हुआ है।

तालाब का संरक्षण बना मिसाल

स्थानीय निवासी नरोत्तम पाल का कहना है कि यह तालाब आज भी कभी सूखा नहीं है। यह न केवल पीने के पानी का स्रोत है, बल्कि आसपास के खेतों की सिंचाई में भी अहम भूमिका निभाता है। खासकर गर्मियों में जब अन्य तालाब और कुएं सूख जाते हैं, तब यह तालाब पूरे गांव को सहारा देता है। ग्रामीण वर्षों से इसका संरक्षण कर रहे हैं और इसके आसपास अतिक्रमण नहीं होने दिया गया है।