पेरिस . पैरालंपिक 2024 में भारतीय खिलाड़ियों का कमाल का प्रदर्शन जारी है। भारत का 27वां पदक गोला फेंक स्पर्धा में आया है।पुरुषों के एफ-57 फाइनल मुकाबले में नागालैंड के 40 वर्षीय होकाटो होतोजे सेमा ने कांस्य पदक अपने नाम किया। उन्होंने अपने चौथे प्रयास में 14.65 मीटर दूर थ्रो किया।यह उनका व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी है। वह पैरांलंपिक में पदक जीतने वाले नागालैंड के पहले खिलाड़ी भी बन गए हैं।
कैसा रहा होकाटो का प्रदर्शन?
होकाटो इससे पहले एशियाई पैरालंपिक खेल में भी कांस्य पदक जीत चुके हैं। मुकाबले में 14.07 मीटर के प्रयास के साथ एक और भारतीय खिलाड़ी सोमन राणा 5वें स्थान पर रहे।होकाटो ने 13.88 मीटर से मुकाबले में शुरुआत की, इसके बाद उन्होंने 14 मीटर दूर गोला फेंका। उनके अगले प्रयास 14.40 मीटर, 14.65 मीटर, 14.15 मीटर और 13.80 मीटर के थे।ईरान के यासीन खोसरावी ने स्वर्ण और ब्राजील के पॉलिनो डॉस सैंटोस ने रजत पदक जीता।
कौन है होकाटो?
होकाटो ने साल 2002 में LOC पर एक सैन्य अभियान के दौरान बारूदी सुरंग विस्फोट के कारण अपना पैर खो दिया था।इससे उनकी उम्मीदें नहीं डगमगाईं और उन्होंने 32 साल की उम्र में गोला फेंक खेल में हाथ अजमाया। होकाटो अभी भी भारतीय सेना में असम रेजिमेंट में हवलदार के पद पर हैं।उन्होंने साल 2022 में मोरक्को ग्रैंड प्रिक्स में भी रजत पदक जीता था। वह इस साल के विश्व चैंपियनशिप में चौथे स्थान पर थे।
गोला फेंक खेलों में यह खिलाड़ी भी दिला चुका है पदक
पेरिस पैरालंपिक के F-64 गोला फेंक स्पर्धा में सचिन सरजेराव खिलारी ने भी भारत को पदक दिलाया था। उन्होंने 16.32 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ भारत को रजत पदक दिलाया था।सचिन ने अपने दूसरे प्रयास में 16.32 मीटर दूर थ्रो फेंका था।इस खिलाड़ी ने इसी साल विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पुरूषों के शॉटपुट F-46 वर्ग में एशियाई रिकॉर्ड भी बनाया था और इसके साथ स्वर्ण पदक जीता था।