@Dakshi sahu Rao
CG Prime News@रायपुर. छत्तीसगढ़ शराब घोटाला केस में नया मोड़ आ गया है। झारखंड के आईएएस विनय कुमार चौबे और पूर्व संयुक्त आयुक्त आबकारी गजेंद्र सिंह पर एफआईआर दर्ज की गई है। दोनों अफसरों पर रायपुर ईओडब्ल्यू ने धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र रचने की धाराओं में नया केस दर्ज किया है। वहीं मामला दर्ज होने के बाद झारखंड में सियासी हंगामा शुरू हो गया है। पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी ने सोरेन सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि, हेमंत सोरेन सरकार फिर घोटाले की तैयारी में है।
EOW ने जो FIR दर्ज किया है उसमें आरोप है कि अफसरों ने भ्रष्टाचार किया और राज्य सरकार को आर्थिक नुकसान पहुंचाया है। आईएएस विनय कुमार झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के सचिव रहे चुके हैं। आरोपी दोनों अफसरों से ईडी छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में पहले पूछताछ कर चुकी है। यह भी कहा गया है कि, पूर्व में जांच के दौरान सिद्धार्थ सिंघानिया नाम के कारोबारी के कब्जे में डायरी मिली थी। इस डायरी में छत्तीसगढ़ की तरह झारखंड में शराब कारोबार में कब्जे की योजना दर्ज थी।
झारखंड को राजस्व का हुआ है बड़ा नुकसान
FIR में जिक्र है कि, शराब सिंडिकेट की आपराधिक साजिश के कारण झारखंड को 2022-23 में राजस्व का भारी नुकसान हुआ। शिकायत के बाद हुई शुरुआती जांच में पाया है कि नियम में फेरबदल कर शराब कंपनियों से करोड़ों का कमीशन लिया गया।
छत्तीसगढ़ शराब घोटाले मामले में ED जांच कर रही है। ED ने ACB में FIR दर्ज कराई है। दर्ज FIR में 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले की बात कही गई है। ED ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी AP त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के अवैध सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था।
ED द्वारा दर्ज कराई गई FIR की जांच ACB कर रही है। ACB से मिली जानकारी के अनुसार साल 2019 से 2022 तक सरकारी शराब दुकानों से अवैध शराब डुप्लीकेट होलोग्राम लगाकर बेची गई थी, जिससे शासन को करोड़ों के राजस्व का नुक़सान हुआ है।