– 36 महिलाओं को नारीशक्ति सम्मान से किया सम्मानित
दुर्ग@CG Prime News. जो काम छत्तीसगढ़ की बेटियां कर रही हैं उनकी प्रशंसा करने के लिए मेरे पास शब्द कम हैं। तीजनबाई ने अपनी पंडवानी से देशदुनिया में नाम रोशन किया। फूलबासन जिस तरह से केबीसी में अमिताभ बच्चन के समक्ष आई तो उनका आत्मविश्वास देखते ही बनता था। मैंने भी अपने जीवन में लोकसेवा का निर्णय लिया। परेशानियां बहुत आई, लेकिन अंततः सफलता मिली। यह बात बैकुंठधाम मंदिर समिति द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय महिला जागृति सम्मेलन में राज्यपाल अनुसूइया उइके ने की।
उन्होंने कहा कि जब भी कोई बहन सार्वजनिक क्षेत्र में आगे बढ़ती है तो उसे बहुत परेशानी होती है, लेकिन पूरे समर्पण और हौसले से संकल्पबद्ध कार्य किया जाए तो सफलता सुनिश्चित है। जब बेटियां आगे बढ़ती हैं तो कुछ लोग उनका रास्ता रोकने का प्रयास करते हैं, लेकिन कई लोग ऐसे भी होते हैं जो बेटियों को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं। अच्छी सोच के लोगों से मार्गदर्शन लें। आपको हमेशा सफलता मिलेगी। उन्होंने अपनी कहानी साझा करते हुए कहा कि जब वे पढ़ाई कर रही थी, तब ऐसा समय था कि बेटियों की पढ़ाई को हतोत्साहित किया जाता था। निर्णय लिया कि लोकसेवा में आगे बढ़ना है। जनता के लिए कार्य करना है। छात्र राजनीति में गई और लगातार मेहनत करती रही। 26 साल में विधायक बनी और आज आपके बीच राज्यपाल हूं। हर क्षेत्र में चाहे वो कला का हो, विज्ञान का हो या शिक्षा का हो, राजनीति हो। महिलाएं अपनी जिम्मेदारी निभा रही हैं। इस अवसर पर सांसद विजय बघेल ने कहा कि टीचर बताते हैं कि लड़कियां ज्यादा हैं। रिजल्ट में भी लड़कियां आगे रहती हैं। हर क्षेत्र में महिलाएं अग्रणी हैं। यह देखकर बहुत अच्छा लगता है।
गौरमुकुट पहनाया
राज्यपाल ने 36 महिलाओं को इस अवसर पर नारी शक्ति सम्मान से सम्मानित किया। समिति की संयोजक अमृता बारले ने उन्हें छत्तीसगढ़ के परंपरागत गहने भेंट किये। कार्यक्रम के आयोजक राधेश्याम बारले ने उन्हें गौरमुकुट तथा नांगर भेंट किया। इस मौके पर पद्मविभूषण तीजन बाई, महापौर शशि सिन्हा, पूर्व मंत्री रमशीला साहू, जिला पंचायत अध्यक्ष शालिनी यादव, पद्मश्री राधेश्याम बारले, रिसाली नगर निगम सभापति केशव बंछोर मौजूद थे।
सेल्फीपदर को लिया गोद
राज्यपाल ने बताया कि एक बार बस्तर के सेल्फीपदर से 40 बहनें उनसे मिलने राजभवन आईं। बहनों ने बताया कि वो जंगल की सुरक्षा करती हैं और कालीमिर्च की फसल भी लेती हैं। मैंने उनके उद्यम के लिए तारीफ की और इस गांव को गोद लेने का निर्णय किया। इन महिलाओं ने अपने उद्यम से गाँव की तस्वीर को बदल दिया है। बस्तर की बेटियां जो कोदो कुटकी, रागी से व्यंजन बना रही हैं उसकी पहचान देश भर में बन रही है। अशोका होटल जो दिल्ली का प्रतिष्ठित होटल है वहां के शेफ ने इनसे व्यंजन बनाने के प्रशिक्षण लिए।