CG Prime News@भिलाई. स्मृति नगर अपोलो बीएसआर हास्पिटल पूर्व डायरेक्टर मदन मोहन खंडूजा की जमानत याचिका एक बार फिर खारिज हो गई है। उनके तरफ से अधिवक्ता ने याचिका लगाई थी। शुक्रवार को इसकी सुनवाई द्वितीय जिला एवं सत्र न्यायधीश प्रशांत परासर के कोर्ट में हुई। डॉ. खंडूजा के अधिवक्ता अभिषेक वैष्णव ने जमानत अर्जी में सिविल कोर्ट का मामला बताते हुए कहा कि यह अपराध नहीं बनता है। उनके खिलाफ गलत प्रकरण बनाया गया है। यह भी कहा कि डॉ. बुजुर्ग है। उनकी पत्नी और बेटा को कोर्ट से जमानत मिल गई है। इसका लाभ दिया जाए, लेकिन कोर्ट ने लगाई गई जमानत दलील को पर्याप्त नहीं माना। फिलहाल आरोपी को जमानत कोर्ट ने खारिज कर दी हैं।
कोर्ट ने नहीं मानी दलील
संतोष रुंगटा की तरफ से अधिवक्ता सत्येन्द्र सिंह और राजकुमार तिवारी ने पैरवी की। अधिवक्ता राजकुमार तिवारी ने बताया कि हमने कोर्ट के समक्ष यह बात रखी कि अपराध सुनियोजित ठग से की गई है। आरोपी को जमानत देना उचित नहीं होगा। आरोपी ने झूठा लालच देकर करोडों रूपए रकम जमा कराए थे। बहुत मुश्किल से पकड़ाया है। फिलहाल मामले में अभी विवेचना जारी है। जमानत मिलने पर फरार हो सकते है। इसके स्वास्थ्य में कोई तकलीफ है तो अच्छा से अच्छा इलाज कराया जा सकता है। जमानत देना उचित नहीं होगा।
कुल 308 लोगों से ठगी रकम
प्रशांत प्ररासर की कोर्ट में शुक्रवार को अर्जी लगाई गई थी। कोर्ट ने दोनो पक्षों की दलील सुनने के बाद खंडूजा को जमानत को स्वीकार नहीं किया। जमानत याचिका को खारिज कर दिया। आरोपी ने अपोलो बीएसआर का सौदा संतोष रुंगटा ग्रुप के डायरेक्टर सोनल रुंगटा से किया था। अग्रिम राशि 19 करोड़ रुपए ले लिया, लेकिन अस्पताल दूसरी पार्टी बेच दिया।
दो दर्जन पीड़ित भी कोर्ट पहुंचे
आरोपी पक्ष की अधिवक्ता द्वारा जमानत के लिए लगाए गए अर्जी के खिलाफ दो दर्जन से अधिक पीडि़त भी कोर्ट पहुंचे थे। जहां उन्होने जमानत देने पर आपत्ति जताई। पीडि़तों ने कहा कि उनकी गाढ़ी कमाई को झूठ बोलकर डॉ. खंडूजा ने उनके साथ धोखाधडी की। पीडित पक्षों ने कोर्ट में यह भी कहा कि उसके लिखित शिकायत के बाद भी पुलिस ने आज तक एफआईआर दर्ज नहीं किया है।