बलौदाबाजार हिंसा के मामले में विधायक देवेंद्र यादव की जमानत याचिका खारिज, सलाखों के पीछे ही रहना पड़ेगा, नहीं मिली राहत


बिलासपुर. बलौदाबाजार में हुई हिंसा और शासकीय संपत्ति के नुकसान के मामले में जेल में बंद विधायक देवेंद्र यादव की जमानता याचिका को बलौदाबाजार अपर सत्र न्यायाधीश राकेश कुमार वर्मा ने निरस्त कर दिया। इस मामले में लोक अभियोजक ने विधायक की जमानत याचिका का विरोध किया। वहीं विधायक के वकील एसके फरहान और अनादिशंकर मिश्रा ने जिरह की।

न्यायालय के समक्ष विधायक देवेंद्र यादव के वकील एसके फरहान और अनादिशंकर मिश्रा ने कहा कि आमाकोनी अमरदास गुफा गिरौदपुरी धाम में जैतखाम को नुकसान पहुंचाने के मामले में सतनामी समाज की ओर से विधायक को सतनामी समाज की ओर से विरोध कार्यक्रम में शामिल होने के लिए निमंत्रण दिया गया था। निमंत्रण के बाद वे वहां पहुंचे और तकरीबन 15 मिनट वहां रूके। इसके बाद वे वहां से रवाना हो गए। विधायक यादव वहां जनप्रतिनिधि होने के नाते गए थे। उन्होंने वहां कोई भाषण भी नहीं दिया। उसके बाद ८ हजार से करीब आंदोलनकारियों ने शासकीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। उनके खिलाफ किसी मामले में पहले से कोई जमानत याचिका दाखिल नहीं है। ऐसे में उन्हें जमानत दी जाए।

लोक अभियोजक ने किया विरोध, कहा- मामले को कर सकते हैं प्रभावित

लोक अभियोजक ने पैरवी करते हुए विधायक देवेंद्र यादव की जमानत याचिका का विरोध किया। उन्होंने कहा कि विधायक यादव एक प्रभावशाली नेता हैं, जो जमानत मिलने पर केस को प्रभावित कर सकते हैं। यादव ने जून में हुई हिंसक घटना से पहले धरना स्थल पर समाज के लोगों को भड़काने वाला भाषण दिया, जिसके बाद भीड़ उत्तेजित हो गई। भड़की भीड़ ने अपना आपा खोते हुए सरकारी भवनों व वाहनों को नुकसान पहुंचाया। ड्यूटी पर तैनात पुलिस कर्मियों के साथ भी मारपीट की। ऐसे में विधायक को जमानत देना मुनासिब नहीं होगा। इस पर अपर सत्र न्यायाधीश ने विधायक की जमानत याचिका को अस्वीकार करते हुए निरस्त कर दिया।

अभियुक्त के विरूद्ध धारा 153-A, 505 (1) (बी), 505(1)(b), 505 (1) (c), 109, 120(B), 147, 148, 149, 186, 356, 332, 333, 307, 435, 436, 341, 427 भा० द०सं० एवं धारा 03,04 शासकीय सम्पत्ति नुकसान निवारण अधिनियम के तहत अपराध पंजीबद्ध कर प्रकरण में विवेचना की जा रही है, जो गंभीर प्रकृति का अपराध है। अतः अपराध की प्रकृति एवं गंभीरता को देखते हुए इस आवेदक / अभियुक्त को जमानत का लाभ दिया जाना उचित नहीं है। ऐसी टिप्पणी के साथ जमानत याचिका खारिज कर दी गई।