स्पष्टीकरण देते हुए कहा इशारों में कही गई बातों को मानहानि का आधार नहीं बनाया जा सकता
CG Prime News@Bhilai. लोकतंत्र में किसी भी व्यक्ति को स्वतंत्र रूप से अपनी बात रखने का पूरा अधिकार है, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी व विधायक देवेंद्र यादव द्वारा वकील के माध्यम से नोटिस देकर इस आवाज को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। मैं एक सामान्य व्यक्ति हूं, यदि मेरी आवाज को दबाने का प्रयास किया जा रहा है, तो यह सामान्य व्यक्ति की आवाज को दबाने का प्रयास है। मेरा मानना है कि जनता ही इसका जवाब देगी। मैंने किसी व्यक्तिविशेष के बारे में कोई भी बात नहीं कही जिस पर मुझे नोटिस दिया गया, यह केवल उनके द्वारा प्रस्तुत हलफनामे (2018 एवं 2023) का मिलान था, जो मैंने भिलाई के लोगों के सामने रखा। इसका कोई तार्किक विश्लेषण भी हम लोगों ने उस तथाकथित वीडियो में नहीं किया था।
उक्त बातें सीए पीयूष जैन ने बुधवार को पत्रवार्ता में कहीं। सीए जैन ने बताया कि कांग्रेस प्रत्याशी द्वारा वर्ष 2018 और वर्ष 2023 के लिए दो हलफनामे प्रस्तुत किए गए जिसका आपस में मिलान करने पर कुछ असमानता सामने आई है। यह बात खुले तौर पर सबके सामने रखे। किसी व्यक्ति विशेष के बारे में कोई बात नहीं की। इसका प्रमाण आप स्वयं उस वीडियो में देख सकते हैं, लेकिन यदि कांग्रेस प्रत्याशी को फिर भी यह लगता है कि मेरे बातें उनकी तरफ इशारा कर रही हैं तो इसके लिए मैं किसी भी प्रकार से जिम्मेदार नहीं हूं। आपने मुझे नोटिस भेजकर कहा कि “मैंने इशारों में कहा”। केवल इशारों में कही बात पर कोई व्यक्ति किसी अन्य पर मानहानि कैसे कर सकता है, ना मैंने नाम लिया ना नाम जोड़ा था और क्या मैंने जुआं सट्टा से लिंक होने की बात कही ..? फिर भी आपको लगा कि इशारा है और आपकी तरफ है तो इसमें आपकी सोच आपके प्रति स्वयं है इसमें मेरी क्या गलती …? आप स्वयं ही इशारा अपने पर डाल रहे और मानहानि मुझ पर कर रहे हैं। यह हास्यास्पद है। इसके साथ ही जिस मीडिया चैनल ने मुझसे सवाल पूछे क्या आपने उन्हें नोटिस दिया? इन बातों को यदि आप मानहानि मान रहे है या पब्लिसिटी स्टंट मान रहे तो ये आपकी सोच है इसका कोई क्या जवाब दे।
कानूनी प्रक्रिया में गलत जानकारी देने वाले पर होनी चाहिए मानहानि
पीयूष जैन ने कहा कि कांग्रेस प्रत्याशी के वर्ष 2018 और वर्ष 2023 के हलफनामे का आपस में मिलान दिया गया। इसमें तो मैंने वही तथ्य बताए जो कि हलफनामे में दर्ज हैं। यदि इस पर आपको यह लगता है कि मैंने कुछ गलत बताया तो जाहिर है कि आपने ही अपना हलफनामा गलत दिया है। इस तरह मुझ पर मानहानि कैसी हो सकती है? मैंने वीडियो के माध्यम से वही जानकारी लोगों को दी है, जो कि प्रत्याशी द्वारा अपने हलफनामे में प्रस्तुत की गई है। यदि इसके बावजूद मुझ पर मानहानि की जा रही है तो पहले कार्यवाही हलफनामा प्रस्तुत करने वाले पर होनी चाहिए जिन्होंने कानूनी प्रक्रिया में गलत जानकारी दी है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में हर नागरिक को अपनी बात रखने का अधिकार है। साथ ही 5 साल आप जनता के सेवक रहे है। फिर से प्रत्याशी है। ऐसे में यदि आपसे कोई सवाल पूछता है और आप उस आवाज को डराने या दबाने का प्रयास करते है क्या यह उचित है?
