कच्चा घर था तो बेटियों की शादी में आ रही थी दिक्कत, मकान बन गया तो हाथ भी पीले हो गए

– कच्ची झोपड़ी के निवासियों के सपनों को मिली छत

CG Prime News@दुर्ग. टायलेट एक प्रेम कथा फिल्म में टायलेट के नहीं होने की वजह से एक परिवार की खुशियां बिखरने के कगार पर आ गई थी, लेकिन जब टायलेट बन गया तो घर बिखरने से बच गया। प्रधानमंत्री आवास योजनाओं के तहत जिन्हें मकान बनाने में सहायता दी गई, सबकी ऐसी ही कुछ न कुछ कहानियां हैं और सभी कहानियों का अंत बहुत सुखद है। कच्ची झोपडिय़ों में उनके सपने भी सिसक रहे थे। आवास बन गया तो सपने भी पूरे हो गया।

भिलाई की कुरूद बस्ती के वार्ड-16 में कतार से पीएम आवास के घर नजर आते हैं। सारे घर हाल-फिलहाल में तैयार हुए हैं। द्रौपदी साहू की चार बेटियां थीं, कच्चा घर था। जब लड़के वाले घर की स्थिति देखते थे तो पीछे हट जाते थे। जब ऐसा ही हुआ तो निर्णय लिया कि पीएम आवास के लिए सरकार सहायता दे रही है। यह बन जाएगा तो ही रिश्ते के लिए आगे बात करेंगे। घर बन गया और शादी भी तय हो गई। द्रौपदी ने बताया कि घर तो बन गया था लेकिन सजावट कुछ कम थी। दामाद ऐसा मिला कि ने घर के सामने टाइल्स लगवा तो घर और सुंदर हो जाएगा। दामाद ने केवल सुझाव नहीं दिया, उसने टाइल्स भी लगवा दिया। द्रौपदी बताती हैं कि साफ-सुथरा सुंदर घर कितना अच्छा लगता है। कच्चे घऱ में बहुत दिक्कत होती थी। सरकार ने सवा दो लाख रुपए मिले। बचत भी इससे जोड़ी जिससे हमारा सुंदर सा घर तैयार हो गया है।

एक अन्य हितग्राही सरस्वती ने बताया कि हमें अधिकारियों का लगातार सहयोग मिला। हमने अपनी तरह का घर बनाया, जिस तरह से हमें जरूरत थी वैसा घर बनाया। हमेशा से सोचती थी कि मेरा किचन बहुत व्यवस्थित हो। किचन बहुत अच्छा तैयार किया है। मकान अपने मन से बनता है तो मन बहुत अच्छा रहता है। वार्ड-16 में जिधर भी जाएं। पीएम आवास हर कहीं बने हुए हैं। कच्ची झोपड़ी की बस्ती के सपनों को छत मिल गईं हैं और सब बहुत खुश हैं।