दुर्ग जिले में युक्तियुक्तकरण की खुली पोल, शिक्षकों की कमी, ग्रामीणों ने स्कूल में जड़ा ताला

CG Prime News@दुर्ग. छत्तीसगढ़ सरकार युक्तियुक्तकरण नीति के चलते सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी दूर होने का दावा कर रही है, वहीं दूसरी ओर दुर्ग जिले में इस दावे की पोल खुलती नजर आ रही है। दुर्ग जिले के ग्राम टेमरी के शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला में शिक्षकों की कमी के चलते छात्रों और ग्रामीणों ने मिलकर स्कूल में ताला जड़ दिया है। ग्रामीण और शाला समिति के सदस्यों ने कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपते हुए स्कूल में शिक्षकों की मांग की है।उन्होंने कहा है कि जब तक स्कूल में पर्याप्त शिक्षक नहीं होंगे तब तक स्कूल में ताला जड़ा रहेगा।

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जनदर्शन में दिया ज्ञापन

सोमवार को कलेक्टर जनदर्शन में ग्राम टेमरी के लोगों ने अपने बच्चों के भविष्य की चिंता में कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपा। जिसमें उन्होंने स्पष्ट रूप से बताया कि गांव में संचालित शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला में पर्याप्त शिक्षक नहीं है। गणित और कॉमर्स विषय के व्याख्याता स्कूल में नहीं होने के कारण वहां पर इन दोनों संकायों का संचालन ही नहीं किया जाता। वहीं भौतिकी विषय की व्याख्याता का युक्तियुक्तकरण के कारण अन्यत्र ट्रांसफर कर दिया गया है। विद्यालय में पदस्थ सहायक ग्रेड 2 को भी दूसरे जगह पर अटैच कर दिया गया है। प्राचार्य का पद लंबे समय से रिक्त है। ऐसे में शाला का संचालन ठीक से नहीं हो पा रहा है।

छात्राओं ने बताई समस्या

11वीं, 12वीं में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को शिक्षकों की कमी के कारण अपने भविष्य से समझौता करना पड़ रहा है। स्कूल की छात्राओं ने बताया कि लंबे समय से स्कूल में गणित और कॉमर्स संकाय के व्याख्याता की पोस्टिंग नहीं की गई है। जिसके कारण उन्हें अपने गांव का स्कूल छोड़कर दूसरे गांव के स्कूल तक सफर करके जाना पड़ता है।

कर दिया तबादला

वहीं भौतिकी विषय में पढ़ने वाले छात्रों ने बताया कि फिजिक्स विषय की व्याख्याता का दूसरे जगह तबादला कर देने का कारण अब उन्हें भौतिक पढ़ाने वाला कोई नहीं है। ऐसे में आने वाले बोर्ड परीक्षा को लेकर हमें चिंता होने लगी है।

शाला विकास समिति के सदस्यों ने बताया कि ग्राम टेमरी के शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला में बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। पद होते हुए भी यहां पर शिक्षकों की पोस्टिंग नहीं की जा रही है। जिसके वजह से उनके बच्चों को अपने गांव का स्कूल छोड़कर 5-6 किलोमीटर दूर दूसरे गांव के स्कूलों में जाना पड़ रहा है। वहीं शाला में पढ़ने वाले बाकी बच्चे भी शिक्षा के अधिकार से वंचित हो रहे है।