दो हजार डिटेन तकनीकी विद्यार्थियों को एन-4 की छूट, पुराने पेपर क्लीयर करने आखिरी मौका

भिलाई . छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय ने इंजीनियरिंग, पॉलीटेक्निक और फार्मेसी के करीब दो हजार डिटेन ईयर बैक विद्यार्थियों को बड़ी राहत दे दी है। सीएसवीटीयू ने एक साल की अवधी के लिए एन-4 नियम शिथिल कर दिया है। बीटेक, डिप्लोमा और फार्मेसी के ऐसे विद्यार्थी जिनके पुराने सेमेस्टर क्लीयर नहीं थे, जिसके कारण उन्हें एन-4 नियम से पूर्व कक्षाओं में वापस भेजा गया था, उनको अपने बचे हुए बैकलॉग क्लीयर कर 5वें और 7वें सेमेस्टर्स की परीक्षा देने का अंतिम मौका दिया गया है। यह विद्यार्थी रेगुलर बैकलॉग परीक्षाओं में शामिल होकर अपने पुराने पेपर्स को क्लीयर कर सकेंगे। इस उनके एक साल की बर्बादी नहीं होगी।

उन्हें जूनियर विद्यार्थियों की कक्षाओं में बैठक पुरानी परीक्षा की तैयारी नहीं करनी होगी। हाल ही में सीएसवीटीयू में हुई कार्यपरिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया है। इसमें कहा गया है कि विद्यार्थियों का एन-4 शिथिलता का मौका नवंबर-दिसंबर सेमेस्टर परीक्षा में मिलेगा। यानी इन विद्यार्थियों के पास मात्र एक मौका होगा, जिसमें उन्हें नए ५वें और सातवें सेमेस्टर की परीक्षा दिलाने  मिलेगी वहीं पुराने बैक भी साथ-साथ क्लीयर कर पाएंगे।

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शर्तों के तहत मिली अनुमति

सीएसवीटीयू ने एन-४ को शिथिल करने से पहले इसके करीब दो हजार विद्यार्थियों के सामने शर्ते रखी हैं। सीएसवीटीयू ने कहा है कि, इस परीक्षा में शामिल होने का यह आखिरी अवसर होगा। इसका उपयोग कर लेने के बाद विद्यार्थी कभी दोबारा से नए अवसर की मांग नहीं कर पाएंगे, साथ ही किसी न्यायिक प्रक्रिया में शामिल नहीं होंगे। यह अवसर सिर्फ नवंबर-दिसंबर परीक्षा तक सीमित रहेगा, पुर्नवित्ती भी नहीं होगी। आर्हता शर्तों के अनुसार बैकलॉक परीक्षा पास कर लेने की स्थिति में हायर सेमेस्टर के अस्थाई रूप से प्रमोट कए गए विद्यार्थी का परिणाम घोषित कर सकेंगे। इसके बाद भी यदि बैकलॉग क्लीयर नहीं होता है तो उन्हें डिटेन किया जाएगा।

सीएसवीटीयू ने इसलिए लागू की थी एन-4

सीएसवीटीयू में एन-४ नियम को लेकर काफी असमंजस रहे हैं। पूर्व केबिनेट मंत्री  प्रेमप्रकाश पांडेय ने एन-४ की पैरवी करते हुए कहा था कि सीएसवीटीयू खराब इंजीनियर बनाने के बजाए कुछ ही काबिल इंजीनियर बनाए तो ज्यादा बेहतर होगा। इसके बाद कार्यपरिषद की बैठक में सीएसवीटीयू ने एन-४ को लागू कर दिया था। वही नियम आज भी जारी है। डिटेन विद्यार्थियों की संख्या में लगातार इजाफा होने से  सीएसवीटीयू ने इस साल महज एक बार के लिए एन-४ को शिथिल किया है।

जानिए… क्या है एन-4 नियम

एन-4 नियम के तहत पांचवे सेमेस्टर में जाने के लिए इंजीनियरिंग छात्र का प्रथम सेमेस्टर ऑल क्लीयर होना चाहिए। एक भी पेपर में बैक होने पर उसे डिटेन यानि एक साल पीछे किया जाता है। ऐसा ही छठवें सेमेस्टर में भी होगा। मतलब.. जब तक दूसरे सेमेस्टर के सभी पेपर पास नहीं होंगे छठवें में प्रवेश नहीं मिलेगा। छात्र को अपने जूनियर के साथ दोबारा से पढ़ाई करनी होगी। विशेषज्ञों के मुताबिक इस नियम से छात्र आगे के दो साल खूब मेहनत करके पढ़ते हैं, ताकि तीसरे साल में प्रवेश मिले। छात्रों का परीक्षा परिणाम भी बेहतर होता है।

दोबारा किया गया लागू

तकनीकी विश्वविद्यालय में एन-४ नियम साल २००५ से २०११ तक अपनाया गया। नियमों को लचीला करने के लिए २०११ में संसोधन किया गया, जिसके तहत फस्र्ट सेमेस्टर में कम से कम तीन पेपर में पास होना होता था। शेष पेपर में बैक आने पर भी आगे बढऩे की अनुमति मिलती थी। पहले तक छात्रों को डिटेन नहीं किया जाता था। उन्हें किसी न किसी तरह से धक्का लगाकर आगे के सेमेस्टर में भेज ही दिया जाता है। इस तरह छात्रों के पांचवें सेमेस्टर पहुंचते तक बैकलॉग के कई पेपर इक_ा हो जाते थे। सीएसवीटीयू ने इंजीनियरिंग की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए २०१५ में एन-४ को दोबारा से लागू कर दिया था। एन-४ के नियम से ही अब भी परीक्षाएं कराई जाती हैं।

एन-4 नियम को एक अंतिम अवसर देते हुए शिथिल किया गया है। डिटेन छात्रों के पास हायर सेमेस्टर परीक्षा में शामिल होने का यह आखिरी अवसर है। इसके बाद भी बैकलॉग क्लीयर नहीं हुए तो डिटेन बरकरार रहेगा।
प्रो. अंकित अरोरा, प्रभारी कुलसचिव, सीएसवीटीयू