17 हजार गांडी किराया देकर लाई गई नशीली टेबलेट
CG Prime News@भिलाई. दुर्ग पुलिस ने छत्तीसगढ़ के इतिहास में अब तक की सबसे नशे के खिलाफ कार्रवाई की है। पुलिस ने राजस्थान के जयपुर, कोटा और बुंदी में अलग-अलग ठिकानों में छापेमारी की। आरोपी बायोलैब रेमिडेस कंपनी के संचालक अंकुश पालीवाल को गिरफ्तार किया। पुलिस ने आरोपी के कब्जे से 1 करोड़ 60 लाख 44 हजार रुपए कीमत की नशीली टेबलेट व सिरप जब्त किया है।
दुर्ग पुलिस ने नशे के खिलाफ अंतर्राज्यीय गिरोह का पर्दाफास किया है। दुर्ग एसपी राम गोपाल गर्ग मामले की जानकारी देते हुए बताया कि दुर्ग जिले में लगातार नशे के खिलाफ कार्रवाई हो रही है। नशे के अवैध कारोबार पर रोक लगाने के लिए उन्होंने एक विशेष टीम गठित की। टीम ने जांच करते हुए राज्य में नशे की दवाओं की सप्लाई करने वाले गिरोह तक पहुंची। जैसे ही पता चला कि नशे की सिरप व दवाओं की सप्लाई के तार राजस्थान से जुड़े हैं, एसएसपी ने एक टीम को वहां आरोपियों को पकड़ने के लिए भेजा। दुर्ग सीएसपी मणि शंकर चंद्रा के नेतृत्व में टीम राजस्थान के राज्य के बुंदी पहुंची। टीम ने वहां बायोलैब रेमेडिस के संचालक अंकुश पॉलीवाल को गिरफ्तार कर उसके यहां से 1.60 करोड़ की नशीली दवाओं को जब्त किया है।
राजस्थान से पूरे देश में सप्लाई होती थी नशीली दवाएं
दुर्ग पुलिस ने जांच में पाया की राजस्थान के बुंदी स्थित बायोलैब रेमेडिस से पूरे देश में नशीली दवाओं की अवैध सप्लाई की जाती थी। पुलिस ने जब रेमेडिस के संचालक अंकुश पालीवाल से पूछताछ की तो उसने बताया कि उनके यहां से भारत के विभिन्न राज्यों सहित बांग्लादेश में भी ऑनलाइन दवा की सप्लाई की जाती थी। जब वो दवाओं के इतने बड़े पैमाने पर बेचने का बैध दस्तावेज नहीं दे सका तो पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। इसके साथ ही उसकी दुकान से करोड़ों की नशीली दवा व सिरप को भी जब्त करके छत्तीसगढ़ लाया गया।
दवा बेचने के लिए भाई बहन ने बनाई फर्जी कंपनी
नशीली दवा बेचने के काले कारोबार में दुर्ग जिले के वैभव खंडेलवाल और आकांक्षा खंडेलवाल भी शामिल थे। ये इतने शातिर थे कि इन्होंने ऑनलाइन दवा सप्लाई के लिए इंडिया मार्ट साइट का सहारा लिया। उन्होंने एक फर्जी कंपनी (वाइरस मेडिकोज) बनाई और उसके आधार पर इंडिया मार्ट में उसका रिजस्ट्रेशन कराया। इसके बाद ये लोग राजस्थान से अकुंश पालीवाल से प्रतिबंधित नशीली दवाओं को मंगाते थे और ऑनलाइन पूरे देश में बेचते थे। वहीं वैभव की बहन आकांक्षा खंडेलवाल छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जिलों में सपर्क करके इस दवा को रिटेल में बेचती थी। उसे दुर्ग पुलिस पहले भी गिरफ्तार कर चुकी है।
डॉर्क वेब वेबसाइट का किया उपयोग
आरोपियों ने बताया कि उन्होंने फर्जी कंपनी बनाने के लिए डार्ग वेब नाम की वेबसाइट का उपयोग किया। उस वेबसाइट की मदद से उन्होंने सीखा कि किस तरह से फर्जी कंपनी राजिस्टर्ड करके नशीली दवाओं का कारोबार करके अधिक पैसा कमाया जा सकता है। इसके बाद उन्होंने अंकुश पालीवाल से संपर्क किया और उससे दवा की सप्लाई लेकर उसे पूरे देश और विदेश में भी सप्लाई किया।