Big Breaking: कल्याण कॉलेज में वित्तीय अनियमितता, हॉस्टल वार्डन को बिना ड्यूटी दी गई सेलरी

– शिकायत करने पर कर की मौखिक रिकवरी

भिलाई@ CG Prime News. कल्याण पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में वित्तीय अनियमितता का मामला सामने आया है। यहां गर्ल्स हॉस्टल की वार्डन को कोरोना काल में बिना ड्यूटी के साल भर से अधिक समय तक वेतन दिया गया। जब इस मामले की शिकायत की गई तो यहां के प्रिंसिपल ने मामले को दबाने के लिए वार्डन का दो महीने का अवकाश बताकर उसके वेतन की मौखिक रिकव्हरी कर ली। जब उनसे रिकव्हरी से पहले नोटशीट चलाने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने मानवीय भूल बताकर पल्ला झाड़ लिया।

भिलाई नगर में संचालित कल्याण पोस्ट ग्रेजुएट कॉलज कोरोना काल में क्लासेज न होने से केवल कार्यालयीन कार्यों के लिए खुलता था। इस दौरान कॉलेज प्रबंधन ने जितने भी पार्ट टाइम टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टॉफ थे उनकी सेवा समाप्त कर दी थी। केवल उन्ही की सेवा ली गई जो कि ऑनलाइन क्लास ले रहे थे। कोरोनाकाल में शासन के आदेश पर हॉस्टल को भी बंद कर दिया गया था। इस दौरान भले ही 25 कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दी गई, लेकिन कॉलेज के बाबू चिम्मन लाल ने अपनी पहुंच का फायदा उठाकर अपनी बहन की नौकरी नहीं जाने दी। एक साल से अधिक समय तक गर्ल्स हॉस्टल में ताला लगा होने के बाद भी बाबू की बहन बबिता ओगरे हॉस्टल वार्डन के पद पर कार्यरत रही और बिना ड्यूटी आए उन्हें वेतन दिया जाता रहा। एक सप्ताह पहले जब कॉलेज से निकाले गए एक स्टॉफ ने इसकी शिकायत की मामले को दबाने के लिए कॉलेज प्रबंधन ने कहा बबिता ओगरे दो माह के अवकाश पर थी। मानवीय भूल के चलते इस दो माह का वेतन दिया गया है, इसलिए उनसे 11418 रुपए की रिकव्हरी कर ली गई है।

पैरा 28 के तहत चहेतों को नौकरी देकर दी जा रही वेतन

कॉलेज में 25 पार्ट टाइमर कर्मचारियों को नौकरी से निकालने के बाद अभी भी 40 लोग जॉब कर रहे हैं। इसके साथ ही कॉलेज प्रबंधन ने 23 लोगों को पैरा 28 के तहत नौकरी दी है। यह एक ऐसा क्लॉज है, जिसके तहत अपने चहेतों को नौकरी देकर लगातार सेवा ली जा सकती है। इसी क्लाज के तहत कॉलेज प्रबंधन ने अपने रिश्तेदारों, दस्तों और अन्य परिचितों को नौकरी पर रखा है। वह लोग अपनी मर्जी से ड्यूटी पर आते हैं और कुछ नहीं भी आते। इसके बाद भी नौकरी और वेतन दोनों सुरक्षित है। बबिता ओगरे उनमे से एक हैं।

प्रिंसिपल अभी बने है जानकारी नहीं है

कॉलेज के प्रिंसिपल वायपी पटेल से जानकारी मांगी गई तो उन्होंने कहा कि वह अभी-अभी प्रिंसिपल बने हैं। उन्हें यह नहीं पता की बबिता ओगरे बाबू चिम्मन लाल की बहन है। उन्हें यह भी नहीं पता था कि बिना ड्यूटी आए उन्हें वेतन का भुगतान किया गया है। जानकारी होने पर उनके दो माह के अवकाश की अवधि का जो वेतन दिया गया उसकी रकव्हरी कर ली गई है। नोटसीट के बारे में प्रिंसिपल का कहना है कि यह एक मानवीय भूल है इतनी छोटी बात के लिए नोटसीट और लिखापढ़ी करना सही नहीं लगा। जो गलती हुई उसे सुधार लिया गया है।