साइबर ठग बना रावण, 1 लाख 55 हजार लोगों को किया गया जागरुक
भिलाई. दुर्ग पुलिस की ओर से चलाए जा रहे साइबर जागरूकता पखवाड़े में लोगों को जोडऩे रोज नए-नए कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। विजयादशमी पर पुलिस ने एक अनुठी पहल करते हुए अहंकार का प्रतीक रावण को साइबर ठग बनाकर उसे जला दिया गया। चौकाने वाली बात यह रहीं कि भगवत राम ने अग्निबाण चलाए ही नहीं और अहंकार का प्रतीक रावण अपने से ही जलने लगा। स्टेज पर अतिथि और मैदान में उपस्थित 20 हजार जनता भौचक रह गई। इस मौके पर पुलिस विभाग के अधिकारियों ने साइबर जागरुकता के टिप्स भी दिए।
शहर एएसपी सुखनंदन सिंह राठौर ने बताया कि साइबर जागरुकता अभियान चला रही है। इस कड़ी में अब तक दुर्ग पुलिस पुलिस ने १ लाख ४० हजार लोगों को जागरुक किया गया। विभिन्न थानों द्वारा बनाए गए सोशल ग्रुप से करीब २ लाख लोग जुड़ गए हंै। अन्य सोशल प्लेटफॉर्म पर ४ हजार ५०० लोग जुड़े हैं। साइबर प्रहरी के जरिए लोगों के मोबाइल पर रोज वीडियो और स्लोगन डालकर जागरुक किया जा रहा है। पुलिस की इस पहल को जनता से काफी सराहना भी मिल रही है। स्कूल, कॉलेज, सामाजिक संगठनों, शासकीय संस्थानों में दुर्ग पुलिस की टीम पहुंचकर लोगों को साइबर क्राइम को लेकर जागरुक कर रही है। विजयादशमी पर दुर्ग पुलिस और पद्मनाभपुर मिनी स्टेडियम की एक समिति ने मिलकर रावण को साइबर ठग बना दिया। रावण के पुतले में साइबर क्राइम लिखकर उसे जलाया गया। मौके पर उपस्थित करीब 20 हजार की जनता को आईजी रामगोपल गर्ग ने साइबर फ्रॉड क्या होता है। उससे बचने के तरीके भी बताए।
साइबर ठग बैंक खाता से उड़ा दे रहे रकम
एएसपी अभिषेक झा ने लोगों को बताया कि सिम कार्ड फ्रॉड और सिम स्वैपिंग तकनीक के जरिए बैंक खातों से धन चोरी के प्रयास हो रहे हंै। इससे बचने के लिए लोगों को सलाह दी कि वे केवल कस्टमर केयर के वास्तविक नंबरों का उपयोग करें। अज्ञात कॉल्स या मैसेज का जवाब न दें। अभिभावकों को बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखने के लिए कहा। उन्होंने साइबर बुलिंग से बचाने के उपायों के बारे में बताया। इसके अलावा साइबर अपराधियों द्वारा व्यक्तिगत जानकारी चुराने या गलत संदेश फैलाने से सावधान रहने की भी सलाह दी गई। ओटीपी की सुरक्षा पर जोर देते हुए कहा कि इसे किसी के साथ साझा न करें और अनचाही लिंक पर क्लिक करने से बचें।
पासवर्ड को ऐसा रखे कोई कयास भी न लगा सके
साबर प्रहरी के नोडल अधिकारी डॉ. संकल्प राय ने बताया कि बैंक खातों के पासवर्ड को मजबूत बनाने के लिए आठ अंकों का संयोजन, जिसमें बड़े-छोटे अक्षर, संख्या और विशेष चिन्ह का उपयोग करें। लॉटरी या किसी लालच में न पडऩे की हिदायत दी गई। ठगी का शिकार होने पर साइबर पुलिस से तुरंत संपर्क शिकायत दर्ज कराने कहा। इसके अतिरिक्त क्या करें और क्या ना करें भी बताया।
इसका रखना होगा ध्यान
- अपने एटीएम कार्ड का उपयोग अत्यंत विश्वसनीय व्यक्ति से ही कराएं।
- एटीएम से धन निकालते समय अकेले रहें।
- मोबाइल नंबर बदलने पर तुरंत बैंक को सूचित करें।
- नियमित रूप से पासबुक अपडेट कराएं।
- ऑनलाइन ठगी या खाते से धन गायब होने पर तुरंत पुलिस और साइबर क्राइम शाखा को सूचित करें।
- किसी भी अश्लील या अपमानजनक संदेश का स्क्रीनशॉट लेकर पुलिस को रिपोर्ट करें।
- अपने कंप्यूटर और मोबाइल में एंटी-वायरस, एंटी-स्पाइवेयर और साइबर सुरक्षा सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करें।
- ऑनलाइन पोस्ट की गई जानकारी को हटाना मुश्किल होता है, इसलिए पोस्ट करते समय सावधानी बरतें।
- केवल विश्वसनीय स्रोतों से मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और अपने मोबाइल का पासवर्ड, पैटर्न लॉक या फिंगरप्रिंट लॉक से सुरक्षित रखें।
- ऐसी गलती कभी न करे
- किसी भी अनजान व्यक्ति को अपना अकाउंट विवरण, एटीएम कार्ड नंबर, पिन, सीवीवी, या ओटीपी नंबर कभी न बताएं।
- एटीएम से पैसा निकालते समय किसी अनजान व्यक्ति की मदद न लें।
- अपनी व्यक्तिगत जानकारी किसी को फोन, ईमेल, एसएमएस, फेसबुक, या व्हाट्सएप पर न दें।
- अपने खाते का पासवर्ड किसी के साथ साझा न करें और न ही उसे मोबाइल या कंप्यूटर पर सेव करें।
- 13 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल साइट्स पर अनुमति नहीं है, इस नियम का उल्लंघन करने में उनका समर्थन न करें। बच्चों को ऐसे एप्स का उपयोग न करने दें,
- बीमा के बोनस या अधिक रिटर्न देने के झांसे में न आएं।
- अनजान लोगों को ऑनलाइन फ्रेंड न बनाएं और उनके बुलावे पर मिलने न जाएं।
- किसी अनजान व्हाट्सएप ग्रुप का हिस्सा न बनें और बिना पहचान के किसी को अपने ग्रुप में न जोड़ें।
- फेसबुक, इंस्टाग्राम या किसी भी सोशल नेटवर्किंग साइट पर अपनी निजी जानकारी जैसे घर का पता, फोन नंबर, जन्मतिथि, लोकेशन साझा न करें।
- प्ले स्टोर पर उपलब्ध सभी एप्स पर बिना सोचे-समझे भरोसा न करें और अपने मोबाइल फोन में निजी जानकारियों को सुरक्षित न रखें।