असिस्टेंट माइनिंग ऑफिसर को मिली 7 साल की सजा, कोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति रखने पर दोषी पाया

– 13 साल बाद आया फैसला

CG Prime News@भिलाई. सरकारी नौकरी में रहते हुए आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में जिला एवं सत्र न्यायलय ने सहायक खनन अधिकारी को 7 साल कारावास और 20 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया गया है। यह फैसला विशेष न्यायाधीश आदित्य जोशी की अदालत में सुनाया गया। विशेष लोक अभियोजक जाहिदा परवीन ने मामले की पैरवी की। आरोपी पक्ष से विद्वान अधिवक्ता तारेंद्र जैन ने आक्रामक व ठोस जिरह की, लेकिन माइनिंग अधिकारी के विरुद्ध मजबूत साक्ष्यों के चलते आरोपी को दोष सिद्ध होने से नहीं बचा सके।

मामला 2010 का है। आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने की गुप्त सूचना के आधार पर एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने दुर्ग के विजय नगर निवासी सहायक खनन अधिकारी गणेश कुमार कुम्हारे के निवास पर 11 अक्टूबर 2010 को दबिश दी। तत्कालीन डीएसपी लोचन पांडे के नेतृत्व में यह दबिश दी गई थी। इस बीच में गणेश कुमार द्वारा 1 जनवरी 2004 से 12 अक्टूबर 2010 तक 6 साल की शासकीय नौकरी के दौरान 2 करोड़ 20 लाख 51 हज़ार 378 रुपए की आय से अधिक संपत्ति का खुलासा हुआ था।

कोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने पर दोषी पाया

टीम ने मुजरिम गणेश कुमार कुम्हारे के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई कर प्रकरण को विचारण के लिए अदालत में पेश किया था। मामले में 21 दिसंबर 2016 को पहली बार सुनवाई हुई थी। प्रकरण में विचारण के बाद स्पेशल कोर्ट ने 28 जून 2023 को अभियुक्त सहायक खनिज अधिकारी गणेश के खिलाफ 1 करोड़ 48 लाख 10 हज़ार 308 रुपए की आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का दोषी पाया। न्यायाधीश ने अभियुक्त को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1) ई और 13 (2) के तहत दोषी करार देते हुए 7 वर्ष कठोर कारावास के साथ 20 हजार की अर्थदंड से दंडित किए जाने का फैसला सुनाया।

पुलिस ने पेश किया ठोस साक्ष्य, मिली सजा

सरकारी वकील जाहिदा परवीन ने बताया कि आरोपी के विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के ठोस प्रमाण थे। पुलिस ने अच्छी तरह से विवेचना करने के पश्चात विचारण में उपयोगी महत्वपूर्ण साक्ष्य योग्य सामग्री अपने इन्वेस्टिगेशन के दौरान उम्दा साक्ष्य सामग्री जुटाकर न्यायालय में पेश किया था। इस वजह से बचाव पक्ष की एक न चली और आरोपी को सजा दिलाई जा सकी। किसी मामले में पूरी संजीदगी से अन्वेषण कर साक्ष्य सामग्री पेश करे। न्यायालय में आरोपी का बचाव असंभव है।