10 माह बाद भी आरोपी की गिरफ्तार नहीं होने से महिला आयोग ने जताई नाराजगी कहा आईजी व डीजीपी से करेंगी शिकायत

मोहन नगर टीआई पर लटकी कार्रवाई की तलवार

दुर्ग. एक प्रकरण में मामला दर्ज होने के 10 महीने बाद भी आरोपी को गिरफ्तार न करने पर राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने नाराजगी जाहिर की है। शनिवार को जिला पंचायत दुर्ग के सभा कक्ष में प्रकरणों की सुनवाई करते हुए उन्होंने मोहन नगर थाना प्रभारी को चेतावनी दी की यदि 15 दिन के अंदर उन्होंने एफआईआर से सबंधित अपना पक्ष आयोग के सामने नहीं रखा तो वह इसकी शिकायत आईजी और डीजीपी से करके उसके ऊपर कार्रवाई करवाएंगी।

आयोग से मिली जानकारी के मुताबिक एक मामले में महिला ने थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद दूसरे पक्ष (अनावेदक) ने भी महिला (आवेदक) के ऊपर एफआईआर दर्ज कराई। इसमें महिला ने जमानत ले ली। जबकी महिला ने जो शिकायत जनवरी 2021 में दर्ज कराई उसमें मोहन नगर पुलिस ने 10 महीने बाद भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं की। महिला आयोग ने इसे गंभीर बताते हुए तत्काल आईजी दुर्ग को फोन लगाया और प्रकरण की जानकारी देते हुए एफआईआर की कॉपी भी उन्हें भेजा।

4 सालों से अलग थे पति व पत्नी, बच्ची की भविष्य को लेकर साथ रहने के लिया निर्णय

महिला आयोग की अध्यक्ष ने इस दौरान एक प्रकरण को सुना। इसमें पति-पत्नी और दोनों के पिता उपस्थित हुए। दोनो पक्षों को आयोग ने विस्तार से सुना। इसमें पता चला कि पिछले लगभग 4 सालों पत्नी अपने पति से अलग होकर मायके में रह रही थी। दोनों को एक साढ़े तीन साल की बच्ची भी है। आयोग ने दोनों पक्षों को समझाया और उनका आपस में मेल कराकर वापस भेजा। इस दौरान दोनों पति पत्नी ने पुरानी बातों के लिए एक-दूसरे से माफी भी मांगी। बच्ची के भविष्य के लिए पति-पत्नि के साथ रहने के निर्णय में फिर कोई तनाव न हो इसके लिए एक निगरानी भी आयोग द्वारा रखी गई। इस प्रकरण की निगरानी रामकली यादव सदस्य पुलिस जवाबदेही प्राधिकरण करेंगी।

25 केस में 12 मामलों को किया गया समाप्त

सुनवाई के दौरान 25 प्रकरण आयोग के समक्ष रखे गए थे, जिसमे 15 प्रकरणों में पक्षकार उपस्थित रहें। इनमें से 12 मामलों को खत्म किया गया। डॉ. नायक ने पक्षकारों की मौजूदगी में प्रकरणों के तथ्य और दोनों पक्षकारों के बयानों व अभिमत को सुना। इसके बाद उन्होंने समझौता योग्य प्रकरणों में दोनों पक्ष की सहमति लेकर उन्हें समाप्त कर दिया। उन्होंने कहा कि दुर्ग में ऐसा विशेष रूप से देखने को मिलता है कि महिला आयोग की पहली नोटिस मिलने के साथ ही अनावेदक शिकायतकर्ता महिलाओं के साथ समझौता कर लेते हैं।