छत्तीसगढ़: ब्लैक फंगस से भिलाई में पहली मौत, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ड्रग विभाग को किया सचेत

– पंडित जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय एवं अनुसंधान केन्द्र सेक्टर-9 में 6 दिनों से चल रहा था इलाज। कोरोना से उबरने के बाद ब्लैक फंगस से पीड़ित था।

भिलाई@CG Prime News. छत्तीसगढ़ में कोरोना संकट से अभी उबर नहीं सका।इधर ब्लैक फंगस वायरस ने कहरबरपाने लगा। ब्लैक फंगस यानी म्यूकरमाइकोसिस के 4 मरीजों की पुष्टि हुई है। इनमें 3 अंबेडकर अस्पताल व एक भिलाई का केस हैं। इस बीमारी से प्रदेश में पहली मौत हुई है। भिलाई के सेक्टर-1 निवासी श्रीनिवास राव (35) कोरोना से रिकवर होने के बाद ब्लैक फंगस की चपेट में आ गए थे। 6 दिन से सेक्टर-9 हॉस्पीटल में इलाज चला रहा था। स्थिति गंभीर होने के बाद उन्हें रायपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका उपचार चल रहा था। इस बीच दमतोड़ दिया। बता दें सेक्टर-9 हॉस्पीटल में 10 मरीजों का इलाज जारी है। 2 मरीजों को रायपुर रेफर किया गया है। दुर्ग सीएमएचओ ने सभी निजी अस्पतालों को अलर्ट किया।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश में ब्लैक फंगस के संक्रमण को गंभीरता से लेते हुए सभी जिलों में ब्लैक फंगस के इलाज के लिए जरूरी दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने को कहा है। सीएम के निर्देश के बाद ड्रग विभाग ने सीएंडएफ, होलसेलर व रिटेलर दवा कारोबारियों को रोजाना एंफोटेरेसिन-बी और पोसाकोनाजोल का रोजाना का स्टॉक मांग लिया है। बता दें एसे मरीजों की पुष्टि होने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेशभर के ऐसे मरीजों का इलाज अंबेडकर अस्पताल में करने का निर्णय लिया है। इधर एम्स में ब्लैक फंगस के लक्षण वाले 15 मरीज भर्ती हैं, जिनकी पुष्टि एम्स डायरेक्टर डॉ. नितिन एम नागरकर ने की है। उन्होंने बताया कि सभी मरीजों का इलाज चल रहा है।

जानिए कैसे फैलता है ब्लैक फंगस

डॉक्टरों ने बताया कि यह पोस्ट कोविड बीमारी उन मरीजों में हो रही है, जो डायबिटीज या जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है। फंगस नाक के पास की नसों से शुरू होकर आंखों तक जाता है। इस वजह से आंखों के आस- पास सूजन आती है। ऐसी स्थिति आने पर तुरंत डाक्टर के पास जाना चाहिए। सही समय पर इलाज होने से आंखों को हर तरह के नुकसान से बचाया जा सकता है, लेकिन डॉक्टर के पास जाने में देरी बिलकुल भी नहीं होनी चाहिए।

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