महाशिवरात्रि: शिवनाथ के तट पर है दुर्ग का प्राचीन शिवलिंग, यहां घूमने वाले नंदी को लोग प्यार से खिलाते थे खाना, Video

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CG Prime News@दुर्ग. दुर्ग जिले का इतिहास बेहद प्राचीन है। आज हम आपको महाशिवरात्रि (mahashivratri 2025) के पावन पर्व पर लेकर चल रहे हैं दुर्ग शहर के सबसे प्राचीन शिव मंदिर में, जो शिवनाथ नदी के तट पर महमरा एनीकेट के पास स्थित है। इस मंदिर से जुड़ी कई रोचक और ऐतिहासिक कहानियां हैं, जिन्हें हम आप तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं।

ऐसा कहा जाता है कि यहां स्वयंभू शिवलिंग के रूप में प्रकट हुआ था। बालाराम शर्मा के पूर्वजों की जमीन पर जब यह शिवलिंग प्रकट हुआ, तो उन्होंने यहां मंदिर का निर्माण करवाया और उसकी सेवा व देखभाल शुरू कर दी। बताया जाता है कि उस समय यह स्थान घने जंगलों से घिरा हुआ था और लोग दिन में भी यहां आने से डरते थे। लेकिन समय के साथ श्रद्धालु यहां आने लगे, पूजा-अर्चना शुरू हुई और धीरे-धीरे यह मंदिर भक्तों के लिए आस्था का केंद्र बन गया। वर्तमान में इस मंदिर की देखरेख शर्मा परिवार की चौथी पीढ़ी, राजू शर्मा कर रहे हैं। उन्होंने सीजी प्राइम न्यूज से विशेष चर्चा में मंदिर से जुड़ी कई ऐसी जानकारियां साझा कीं, जो बहुत से लोगों को नहीं पता थीं।

नंदी को लोग खिलाते थे खाना
इस मंदिर के आगे एक और शिव मंदिर स्थित है, जिसकी स्थापना की भी अपनी अनोखी कहानी है। बताया जाता है कि किसी समय दुर्ग शहर के प्रमुख बाजार में एक नंदी बैल घूमा करता था, जिसे लोग प्रेमपूर्वक भोजन कराते और उसकी सेवा करते थे। जब उस नंदी का देहांत हुआ, तो श्यामबती नामक एक महिला ने इस स्थान पर उसकी समाधि बनवाई और अपने पैसों से यहां शिव मंदिर की स्थापना करवाई। यह मंदिर भी भक्तों की गहरी आस्था का केंद्र बन चुका है। अब हर साल महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां हजारों श्रद्धालु दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। इस वर्ष 26 फरवरी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा, जिसके लिए मंदिर परिसर में तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। वहीं शिवनाथ के महमरा एनीकट के दोनों किनारों पर स्थित प्राचीन शिव मंदिरों में भक्तों का तांता अभी से लगना शुरू हो गया है।