@Dakshi sahu Rao
CG Prime News@रायपुर. छत्तीसगढ़ में GRP ने गांजा पकडऩे के लिए एंटी क्राइम टीम बनाई और उसी टीम के लोग तस्करों को पकडऩे के बजाय उनके संरक्षक बन गए। रायपुर एटीएस ओर रेंज साइबर ने गांजा तस्करी के इस बड़े रैकेट का खुलासा करते हुए जीआरपी के चार कॉन्स्टेबल और दो तस्कर को गिरफ्तार किया है। इनमें गांजा तस्कर और 2 कॉन्स्टेबल को रिमांड पर लेकर पूछताछ की जा रही है। वहीं, 2 कॉन्स्टेबल को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया है।
GRP को मिली थी शिकायत
बिलासपुर रेंज के आईजी को जीआरपी बिलासपुर के कांस्टेबलों की अवैध गतिविधियों की शिकायत मिली थी। बताया गया था कि, किस तरह जीआरपी की एंटी क्राइम टीम गांजा तस्करी के अवैध कारोबार में लिप्त है। आरोप लगा कि पुलिस के बड़े अफसरों ने किस तरह से सुनियोजित प्लानिंग कर अवैध वसूली के लिए इन आरक्षकों की टीम बनाई है।
इस टीम का गठन ट्रेनों में चोरी करने वाले गिरोह की पतासाजी और मादक पदार्थ गांजा सप्लायरों की धरपकड़ के लिए बनाया गया था। बड़े पैमाने पर अवैध उगाही और तस्करी की जाने लगी। अफसरों के संरक्षण में फल फूल रहे इस अवैध कारोबार की शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।
पहले भी कोकीन के साथ पकड़ा गया था कॉन्स्टेबल
गिरफ्तार किए गए एक कॉन्स्टेबल कोकीन के साथ पहले भी पकड़ा गया था, उसे 10 महीने की सजा भी हुई थी। छत्तीसगढ़ में ट्रेनों में गांजा समेत प्रतिबंधित सामानों की तस्करी रोकने के लिए जीआरपी ने एंटी क्राइम टीम बनाई है। गांजे में अधिक कमाई देख टीम के सदस्य ही तस्करों के साथ जुड़ गए। साथ ही उनके संरक्षक बन गए और जब्त गांजे का अवैध कारोबार भी शुरू कर दिया।
IG ने पुलिस मुख्यालय को भेज दी शिकायत
इस मामले में जीआरपी के बड़े अफसरों के शामिल होने के आरोप लगने के बाद आईजी ने एक्शन लेने के बजाय शिकायत पुलिस मुख्यालय भेज दिया। जिसके बाद इसकी जांच की जिम्मेदारी रायपुर एटीएस की टीम को दी गई। बताया जा रहा है कि पिछले 6 महीने से टीम के सदस्य इन चारों आरक्षकों को ट्रैक कर रहे थे। पिछले तीन-चार माह से जीआरपी के सभी आरक्षक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं कर रहे थे।
तस्करों से पूछताछ, तकनीकी जांच के बाद पकड़े गए आरक्षक
24 अक्टूबर को GRP में 10-10 किलो ग्राम गांजा जब्त कर दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। जीआरपी की टीम के गांजा तस्करों की जानकारी मिलते ही एटीएस की टीम जांच के लिए बिलासपुर पहुंच गई। इस दौरान जबलपुर निवासी गांजा तस्कर योगेश सौंधिया (39) और उत्तरप्रदेश के बांदा जिले के तस्कर रोहित द्विवेदी (32) को टीम अपने साथ लेकर रायपुर चली गई। जहां पूछताछ में उन्होंने जीआरपी के आरक्षक संतोष राठौर, लक्ष्मण गाइन, मन्नू प्रजापति, सौरभ नागवंशी के नाम बताए। जिसके बाद चारों आरक्षकों के पकडऩे के लिए टीम बनाई गई।
रेंज साइबर थाने में ट्रांसफर हुआ केस
गांजा तस्करी के इस केस में जीआरपी के एंटी क्राइम टीम के आरक्षकों का नाम सामने आते ही आनन-फानन में इस केस को रेंज साइबर थाने में ट्रांसफर किया गया, जिसके बाद इन आरक्षकों की तलाश शुरू की गई। साइबर सेल के टीआई राजेश मिश्रा के नेतृत्व में एएसआई हेमंत आदित्य, हेड कॉन्स्टेबल बलबीर सिंह, कॉन्स्टेबल सरफराज खान, विकास यादव, महादेव यादव की टीम आरोपियों की तलाश कर रही थी। इस दौरान चारों आरोपियों को पुलिस की इस कार्रवाई की भनक लग गई थी। लिहाजा, वो भागने की फिराक में थे। तभी पुलिस की टीम ने रविवार की रात उन्हें दबोच लिया।
दो आरक्षक को भेज दिया जेल
आरक्षक संतोष राठौर और लक्ष्मण गाइन विभाग के बड़े अफसरों के संरक्षण में अवैध कारोबार को अंजाम दे रहे थे। रायपुर एटीएस की टीम ने उनके मोबाइल की तकनीकी जांच कराई है। जिसके बाद बड़े अफसरों को बचाने का खेल भी शुरू हो गया है। अभी गांजा तस्कर, दो आरक्षक संतोष राठौर और लक्ष्मण गाइन को पुलिस रिमांड पर लिया गया है। उनसे पूछताछ कर आगे की जानकारी जुटाई जा रही है। वहीं, दो अन्य आरक्षकों को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया है।
