भिलाई. एक मीडिया कर्मी सरकारी सिस्टम की भेट चढ़ गया। कोविड-१९ टेस्ट कराने पर रिपोर्ट पॉजीटिव आई। शहर के दर्जन हॉस्पिटल घुमने के बाद जिला अस्पताल में भर्ती हुआ। जिस बेड पर डॉक्टर ने उसे ऑक्सीजन दिया। उस बेड के पास एक शव रात भर पड़ा था। अस्पताल प्रबंधन ने शव को नहीं हटाया। वह आक्सीजन हाथ में पकड़े हुए रातभर बेड में बैठा था। अंतत: दहशत में आकर 32 वर्षीय जितेंद्र साहू ने दमतोड़ दिया।
सहकर्मियों के मुताबिक जितेन्द्र साहू कुछ दिनों पहले ही अपना कोरोना टेस्ट कराया, रिपोर्ट एक सप्ताह बाद आई थी। रिपोर्ट देर से आने के कारण उसकी तबीयत ज्यादा खराब हो गई। उपचार के लिए पहले उसे भटकना पड़ा। इसके बाद जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कोरोना पॉजीटिव की रिपोर्ट सूनकर वह घबरा गया। उसका आक्सीजन लेवल कम होने लगा था। जिस अस्पताल में ठीक होकर घर लौटने की उम्मीद लिए भर्ती हुआ। जहां उसे बेड दिया गया। उसी बेड के पास एक डेडबॉडी पड़ी थी। अस्पताल के लापरवाह डॉक्टरों की वजह से रातभर उस शव के पास अपनी बेड पर हाथ में आक्सीजन लिए बैठा रहा। हाथ में आक्सीजन लिए बैठे रहा। दूसरे दिन रविवार की शाम तक कोरोना से जंग हारकर दमतोड़ दिया। बड़ा सवाल यह है कि यह बेपरवाह सरकारी सिस्टम कब सुधरेगा।