भिलाई। नगर पालिक निगम भिलाई द्वारा हाऊसिंग बोर्ड कुरूद और शांतिनगर क्षेत्र में की गई अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई को लेकर अब विवाद खड़ा हो गया है। निगम द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया था कि हाऊसिंग बोर्ड कुरूद में नाली पर अवैध रूप से बनाई गई बाउंड्री वॉल को तोड़ा गया और शांतिनगर सड़क 2 में न्यायालय के आदेश पर जर्जर भवन को हटाने की कार्रवाई की गई। लेकिन इस कार्रवाई पर प्रभावित पक्ष ने गंभीर आपत्तियां उठाई हैं। (Questions raised over the nun’s action, Wankhede alleges misrepresentation of facts)
प्रेस नोट के अनुसार, आयुक्त राजीव कुमार पांडे के निर्देश पर जोन-2 वैशालीनगर के राजस्व अमले ने कलेक्टर जनदर्शन में दर्ज शिकायतों के आधार पर मकान क्रमांक सीएच 878 से 879 और सीएच 876 से 877 के मालिकों द्वारा नाली पर किए गए अवैध निर्माण को जेसीबी की मदद से हटाया गया। वहीं शांतिनगर सड़क 2 में राजपाल सिंह और सुमन वानखेड़े के बीच भूमि विवाद को लेकर न्यायालय के आदेश पर बेदखली की कार्रवाई किए जाने की जानकारी दी गई थी। लेकिन सुमन वानखेड़े का कहना है कि निगम की प्रेस विज्ञप्ति तथ्यों से परे है।
निगम ने प्रेस नोट में तथ्यों को उलट कर प्रस्तुत किया
सुमन वानखेड़े का आरोप है कि विवादित प्लॉट उन्हीं का है, जबकि अवैध निर्माण राजपाल सिंह ने उनके भूखंड पर किया था। इसके बावजूद निगम ने प्रेस नोट में तथ्यों को उलट कर प्रस्तुत कर दिया। वानखेड़े ने यह भी कहा कि मौके पर किसी प्रकार की वास्तविक कार्रवाई नहीं हुई, न ही कोई पंचनामा तैयार किया गया और न ही किसी गवाह के हस्ताक्षर लिए गए। स्थानीय लोगों का कहना है कि विवादित भूखंड लंबे समय से कानूनी प्रक्रिया में है और दोनों पक्षों के बीच स्वामित्व को लेकर मामला न्यायालय में लंबित है। ऐसे में निगम की एकतरफा प्रेस विज्ञप्ति ने स्थिति को और जटिल बना दिया है।
निगम के अधिकारी मौके पर नहीं बनाई गई रिपोर्ट और न ही पंचनामा बनाए
इस पूरी प्रक्रिया में निगम अधिकारियों, उप अभियंता पुरुषोत्तम सिन्हा, चंदन निर्मलकर, सहायक राजस्व अधिकारी शरद दुबे, तोड़फोड़ के नोडल अधिकारी विनय शर्मा और अन्य अमला उपस्थित बताया गया था। हालांकि सुमन वानखेड़े ने कहा कि मौके पर न तो कोई मापी की गई और न ही विधिवत नोटिस की जानकारी दी गई। अब देखना होगा कि इस विवाद पर नगर निगम प्रशासन क्या स्पष्टीकरण देता है और क्या वाकई अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई जमीन पर हुई थी या केवल कागजों तक सीमित रही।