CG Prime News@दुर्ग. केन्द्रीय जेल दुर्ग का प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश जिला दुर्ग ने निरीक्षण किया। निरीक्षण में उन्होंने महिला प्रकोष्ठ में निरूद्ध महिला बंदियों से उनकी प्रकरण की स्थिति, स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता, भोजन की गुणवत्ता, साफ-सफाई एवं स्वच्छता व्यवस्था के संबंध में जानकारी ली। इसके बाद उन्होंने जेल में सजायाफ्ता बंदियों के अपील संबंधी प्रकरणों को अद्यतन करने एवं बंदियों को प्रकरण की वर्तमान स्थिति से अवगत कराने के निर्देश जेल अधिकारियों को दिये।
अधिवक्ता नियुक्त किए जाने की जानकारी दी
प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने बंदियों से सीधे बातचीत कर उनकी समस्याओं को सुना और उनकी दैनिक दिनचर्या से संबंधित जानकारी प्राप्त की। नए बंदियों को उनके प्रकरण से संबंधित जानकारी प्राप्त करने के विषय में बताया गया। जो बंदी निजी अधिवक्ता नियुक्त नहीं कर सकते हैं, उन्हें जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा नि:शुल्क विधिक सहायता सलाह प्रदान कर उनकी पैरवी हेतु नि:शुल्क अधिवक्ता की नियुक्ति किए जाने की जानकारी दी गई।
कैदियों से संवाद किया
जेल प्रशासन को ऐसे बंदी जिन्हें परिहार का लाभ दिया जा सकता है, उनके आवेदन के लंबित रहने के कारणों सहित जानकारी प्राधिकरण को प्रेषित किए जाने हेतु निर्देशित किया गया। उन्होंने मुख्य रूप से राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) की SPRUHA (Supporting Potential and Resilience of the Unseen, Held-back and Affected) 2025 के अंतर्गत जेल में निरुद्ध कैदियों से संवाद स्थापित कर उनके आश्रित परिवारजनों को होने वाली सामाजिक, आर्थिक एवं व्यवहारिक कठिनाइयों के संबंध में विस्तारपूर्वक जानकारी प्राप्त की।
भरण-पोषण की जानकारी ली
प्रधान जिला न्यायाधीश द्वारा कैदियों से यह जाना कि उनके कारावास की अवधि के दौरान उनके आश्रित जैसे पत्नी, बच्चे, वृद्ध माता-पिता को आजीविका, बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य उपचार, भरण-पोषण एवं दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति में किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इस अवसर पर उनके द्वारा यह निर्देशित किया गया कि SPRUHA योजना के अंतर्गत ऐसे पात्र कैदियों एवं उनके आश्रित परिवारजनों की पहचान कर उन्हें जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से नि:शुल्क विधिक सहायता प्रदान की जाए। उन्हें केंद्र एवं राज्य शासन की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से जोडऩे हेतु आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित की जाए।
उनके द्वारा यह भी निर्देश दिए गए कि पैरालीगल वालेंटियर्स के माध्यम से आश्रित परिवारों का फील्ड स्तर पर सत्यापन कर उनकी समस्याओं के निराकरण हेतु संबंधित विभागों से समन्वय स्थापित किया जाए। ताकि कैदियों के परिवारजनों को सामाजिक सुरक्षा एवं संरक्षण प्रदान किया जा सके। निरीक्षण के दौरान जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के सचिव, विधि अधिकारी, प्रभारी उप जेल अधीक्षक, महिला प्रकोष्ठ प्रभारी, एलएडीसीएस के कौंसिल व अन्य कर्मचारीगण उपस्थित रहे।