सरकारी सिस्टम से गर्भवती महिला की मौत, भड़के परिजनों ने लगाया ये गंभीर आरोप

रायपुर। प्रदेश के स्वास्थ्य सुविधा में लगातार लापरवाही का मामला सामने आ रहा है। लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद मरीजों को किसी तरह की कोई सुविधा उपल्ब्ध नहीं हो पा रही है। सरकारी असुविधा के चलते एक दर्दनाक मामला सामने आया है जिसमें एक गर्भवती महिला की जान चले गई, जिसका दोषी परिजनों ने सरकारी सिस्टम पर लगाया है।

महिला और उसके बच्चे की मौत

दरअसल, गर्भवती को अपने दूसरे बच्चे की खुशियां नसीब हो पाती इसके पूर्व ही लचर सिस्टम ने न सिर्फ उसके गर्भ में पल रहे बच्चे की जान ले ली, बल्कि उसकी भी मौत हो गई। यह पूरी घटना दुर्ग जिले का है। मिली जानकारी के अनुसार ग्राम ढौर में रहने वाली ममता यादव को उनके पति विजय यादव और परिजनों ने 30 बिस्तरों वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उतई में प्रसव के लिए भर्ती करवाया था।

3 अप्रैल को उसका सीजर करने के लिए ओटी ले जाया गया, लेकिन शरीर ठीक से निश्चेत नहीं हो पाने के कारण ऑपरेशन टाल दिया गया। इसके बाद 4 अप्रैल को फिर सीजर करने के लिए निश्चेतना का इंजेक्शन दिया गया। स्पाइनल एनेस्थिया देने के 20 मिनट बाद ही गर्भवती की तबीयत बिगड़ने लगी और गर्भवती को जिला अस्पताल रेफर किया गया।

102 से भी नहीं मिली मदद

प्रसूता को जिस महतारी एक्सप्रेस 102 से जिला असपताल भेजा गया, उसमें न कोई मेडिकल स्टॉफ था और न ही उसमें ऑक्सीजन की सुविधा थी। ऐसे में गंभीर अवस्था में गर्भवती जिला अस्पताल पहुंची। जिला अस्पताल दुर्ग के 100 बिस्तरों वाले मातृ एवं शिशु अस्पताल में लाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसकी स्थिति को काफी नाजुक बताया। महिला का हार्ट बिट और पल्स लगभग ना के बराबर रह गया था।

संचालकों के खिलाफ जांच के बाद कड़ी कार्रवाई की मांग

ICU में इलाज के कुछ देर बाद ही गर्भवती की मौत हो गई। इस पूरे मामले में गर्भवती के परिजन आक्रोशित है और उन्होंने सरकारी सिस्टम को दोषी माना है। परिजनों का आरोप है कि उतई अस्पताल में उनका ठीक से इलाज नहीं किया गया। परिजनों ने कहा कि डॉ नरेंद्र गोलन सहित समस्त स्वास्थ्य कर्मियों और महतारी एक्सप्रेस के संचालकों के खिलाफ जांच के बाद कड़ी कार्रवाई होना चाहिए। परिजनों ने मृतका को न्याय दिलाने की मांग भी की है।