भिलाई . छत्तीसगढ़ में आए दिन हो रही साइबर ठगी की घटनाओं को रोकने अब आईआईटी भिलाई IIT Bhilai में तैयार हो रहा सॉफ्टवेयर मददगार साबित होगा। साइबर ठगी के फोन कॉल, वॉट्सऐप कॉल, सोशल मीडिया एक्शन जैसी तमाम गतिविधि जल्द ही इस विशेष सॉफ्टवेयर के जरिए फील्टर हो सकेगी। साइबर ठगों द्वारा उपयोग हो रहे मोबाइल नंबर से लेकर डिजिटल कॉल तक सबकुछ पुलिस की नजर से होकर के गुजरेगा। दरअसल, IIT Bhilai का यह सॉफ्टवेयर साइबर अपराध के पैटर्न का एनालिसिस करेगा।
यह सॉफ्टवेयर यह भी बता देगा कि दो लोगों के बीच हो रही बातों की टाइमिंग कितनी है। फ्रॉड कॉल को डिटेक्ट करने के साथ ही यह सॉफ्टवेयर पुलिस को ज्यादा समय तक हो रही बातचीत को भी मॉनीटर कर सकेगा। IIT Bhilai ने सॉफ्टवेयर पर काम शुरू कर दिया है। इसके लिए छत्तीसगढ़ पुलिस से पूर्व में घटित हो चुकी साइबर ठगी की घटनाओं का ब्योरा मांगा गया है। इसको लेकर IIT Bhilai और छत्तीसगढ़ पुलिस के बीच एमओयू किया गया है। आईआईटी अगले कुछ महीनों में इस सॉफ्टवेयर को तैयार कर छत्तीसगढ़ पुलिस को सौंप देगा।
आम आदमी को मिलेगा ऐप
यह सॉफ्टवेयर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई की मदद से काम करेगा। इसके जरिए प्रदेश में आने वाले मोबाइल कॉल, स्काइप, वॉट्सऐप जैसे सभी प्लेटफार्म जुड़ेेंगे। सेल्युलर कंपनियों की भी इसमें मदद ली जाएगी। सॉफ्टवेयर थ्रेट डिटेक्शन टूल रहेगा। जिसकी मदद से साइबर ठगी की घटनाओं को वक्त रहते रोका जा सकेगा। आईआईटी प्रबंधन ने बताया कि, जिस तरह छत्तीसगढ़ पुलिस इस सॉफ्टवेयर का नियंत्रण रखेगी। ठीक वैसे ही आम जनता के लिए IIT Bhilai इसी सॉफ्टवेयर से सिंक्रनाइज ऐप तैयार होगा।
इसे लोगों को अपने मोबाइल में इंस्टॉल करना होगा। ऐप डालने के बाद फोन IIT Bhilai में तैयार सॉफ्टवेयर से जुड़ जाएगा। अब फ्रॉड कॉल आने पर आईआईटी का यह विशेष ऐप पहले से फीड पैटर्न के आधार पर कॉल को नहीं उठाने की सलाह देगा। इसी तरह यदि बातचीत लंबी चल रही है और सॉफ्टवेयर में फीड पैटर्न ने मिलान होता है तो ऐप इस फ्रॉड को डिटेक्ट कर लेगा। बातचीत के दौरान ही ऐप पर बार-बार फ्रॉड डिटेक्शन के पॉप अप मैसेज आएंगे।
बाद में पुलिस फीड करेगी डाटा
IIT Bhilai प्रबंधन ने बताया कि, सॉफ्टवेयर तैयार होने क बाद इसे पुलिस को दिया जाएगा। शुरुआती डाटा के हिसाब से आईआईटी सॉफ्टवेयर में साइबर ठगी को रोकने थ्रेट डिटेक्शन का एल्गोरिदम डेवलप करेगा। इसके बाद सॉफ्टवेयर पुलिस को दिया जाएगा, जिसमें वे प्रदेश में होने वाली तमाम घटनाएं, देश में साइबर ठगी के मामलों का पैटर्न सरीखी तमाम जानकारियां अपडेट करेंगी। IIT Bhilai इस तरह एक सॉफ्टवेयर में तमाम तरह के अपराध का ब्योरा होगा। यह सॉफ्टवेयर की मदद से थर्ड पार्टी ऐप्स और उससे होने वाले लेनदेन पर भी नजर रखना आसान हो सकेगा। इस सॉफ्टवेयर बेस्ड ऐप को लोग गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकेंगे।
डिजिटल कंपलेन का होगा एनालिसिस
IIT Bhilai के इस सॉफ्टवेयर के जरिए साइबर फ्रॉड के हाई रिस्क टारगेट को बड़ी आसानी से पहचाना जा सकेगा। यह सॉफ्टवेयर सभी तथ्यों को एनालिसिस करने के बाद बताएगा कि किस तरह के साइबर फ्रॉड पैटर्न के जरिए किस ग्रुप के लोगों को ठग आसानी से फंसा सकते हैं। पैटर्न समझ में आने के बाद पुलिस उस दिशा में लोगों को साइबर फ्रॉड के बारे में जागरुक कर सकेगी। अभी ठग हर कुछ दिनों में अपना पैटर्न बदलकर नई तरह से ठगी को अंजाम देते हैं। देशभर में यह घटनाएं चरम पर हैं, क्योंकि अधिकतर मामलों में इसकी शिकायत नहीं होती। IIT Bhilai इस सॉफ्टवेयर के बाद पैटर्न का एनालिसिस कर अपराधों को कम किया जा सकेगा।
छत्तीसगढ़ में साइबर ठगी के मामलों को रोकने IIT Bhilai भिलाई विशेष सॉफ्टवेयर तैयार कर रहा है। इसके जरिए ठगी के पैटर्न का एनालिसिस आसान हो जाएगा। इससे पुलिस साइबर फ्रॉड के मामलों को बहुत हद तक रोक सकेगी। पुलिस और आईआईटी में इस संबंध में एमओयू किया गया है।
डॉ. राजीव प्रकाश, डायरेक्टर, आईआईटी भिलाई