भिलाई. CG Prime News @ नगर निगम भिलाई के पार्षद मनोज यादव ने कहा है कि ज्यादातर प्राइवेट अस्पतालों ने कोरोना के इलाज के लिए अपने दरवाजे बंद कर दिए हैं। कहीं इलाज हो भी रहा है तो पांच, दस, पंद्रह लाख तक बिल बन रहा है। ऐसे में गरीब व मध्यमवर्गीय परिवारों का निजी अस्पतालों में इलाज करा पाना नामुमकिन है। शुरू में मुफ्त की सब्जी-भाजी और लोगों के सहयोग व दान में मिली राशन सामग्रियों को अपने नाम से बांटकर मसीहा बनने का ढोंग करने वाले महापौर व भिलाई नगर विधायक देवेंद्र यादव आज जब लोगों को मुफ्त इलाज की जरूरत है तो दुबक गए हैं।
यादव ने जारी बयान में देवेंद्र यादव को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि प्रदेश में उनकी ही पार्टी की सरकार है। स्वयं इस शहर के मुखिया हैं और विधानसभा में भी भिलाई का प्रतिनिधित्व करते हैं। फिर भी लोगों को भगवान भरोसे उनके हाल पर छोड़ दे रहे हैं। शायद उनके भी संज्ञान में होगा कि तीन साल पूर्व इसी भिलाई में डेंगू ने खूब कहर बरपाया था। सरकार को इसे महामारी घोषित करना पड़ा था।
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तब पूरे प्रदेश में सबसे पहले भिलाई में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय की पहल पर सभी निजी अस्पतालोंं में लोगों की जांच व इलाज सुविधा मुफ्त कर दी गई थी। यहां तक कि राजधानी के कई नामी और बड़े अस्पतालों के दरवाजे डेंगू पीडि़तों के नि:शुल्क इलाज के लिए खोल दिए गए थे। यही वजह रही कि मौत के आंकड़े 40 तक सिमट गए थे। अन्यथा सैंकड़ो मौतें होती। पूरे भिलाई में 50 हजार से भी अधिक लोग डेंगू पीडि़त थे, लेकिन प्रेमप्रकाश पांडेय की पहल पर त्वरित और नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा मिलने से सभी लोग स्वस्थ हो गए।
मनोज यादव का कहना है कि एक बार फिर वैसी ही व्यवस्था और इलाज सुविधा की दरकार इस समय भिलाई को है। लेकिन जनता की कराह देवेंद्र को सुनाई नहीं दे रही है। सुनेंगे भी कैसे? इस शहर से कभी उनका नाता ही नहीं रहा। बस नेता बने फिर रहे हैं। नाता बनाना और निभाना तो सीखा ही नहीं।