Saturday, December 27, 2025
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छत्तीसगढ़ की योगिता मंडावी को मिला राष्ट्रीय बाल पुरस्कार, 4 साल की उम्र में उठ गया था माता-पिता का साया

बालिका गृह में पढ़ी लिखी योगिता

by Dakshi Sahu Rao
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CG Prime News@जगदलपुर. Yogita Mandavi from Chhattisgarh received the National Children’s Award छत्तीसगढ़ के कोण्डागांव जिले की योगिता मंडावी को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित भव्य समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने योगिता मंडावी को यह राष्ट्रीय सम्मान प्रदान किया। समारोह में देशभर से चयनित प्रतिभाशाली बच्चों को विभिन्न क्षेत्रों जैसे खेल, नवाचार, सामाजिक सेवा, कला, संस्कृति आदि में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया।

महज चार की उम्र में उठ गया माता-पिता का साया

महज चार सालप की उम्र में योगिता के माता-पिता की असमय मौत हो गई थी। जिसके बाद योगिता अपने चाचा-चाची के संरक्षण में रहने लगीं। देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता को देखते हुए 25 जनवरी 2021 को जिला प्रशासन द्वारा उन्हें छत्तीसगढ़ राज्य बाल कल्याण परिषद के बालगृह बालिका, कोंडागांव में प्रवेश दिलाया गया। वर्तमान में योगिता स्वामी आत्मानंद हिंदी माध्यम उत्कृष्ट विद्यालय, तहसीलपारा कोंडागांव में कक्षा 9वीं की छात्रा हैं।

बालिका गृह में पढ़ी लिखी योगिता

योगिता ने जूडो खेल के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर प्रदेश और देश का नाम गौरवान्वित किया है। छत्तीसगढ़ राज्य बाल कल्याण परिषद द्वारा संचालित बालिका गृह, कोण्डागांव में पली-बढ़ी योगिता को उनकी उल्लेखनीय खेल उपलब्धियों के लिए प्रतिष्ठित सम्मान दिया गया है।

पदक जीतकर मनवाया लोहा

योगिता मंडावी ने कम उम्र में ही जूडो खेल में अपनी विलक्षण प्रतिभा का परिचय दिया है। मात्र 13 वर्ष की आयु में उन्होंने राज्य की श्रेष्ठ जूडो खिलाड़ी का दर्जा प्राप्त किया। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न प्रतियोगिताओं में लगातार पदक अर्जित कर अपनी निरंतर प्रगति और दृढ़ संकल्प का परिचय दिया।

सीएम ने दी बधाई

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने योगिता मंडावी की इस उपलब्धि पर हर्ष व्यक्त करते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की है। सीएम ने कहा कि प्रतिभाशाली बच्चों की सफलता से नई पीढ़ी को आगे बढऩे और अपने सपनों को साकार करने की प्रेरणा मिलती है। योगिता की उपलब्धि न केवल छत्तीसगढ़ के लिए गौरव का विषय है, बल्कि बालिका गृह एवं बाल कल्याण संस्थाओं में रह रहे बच्चों के लिए प्रेरणा का सशक्त स्रोत भी है। उन्होंने यह साबित किया है कि संसाधनों की सीमाएँ नहीं, बल्कि सपनों के प्रति लगन और परिश्रम ही सफलता का वास्तविक आधार है।

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