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पुलिस ने चाकूबाजों की निकाली बारात

हाथ में हथकड़ी और मोहल्ले में घुमाया

दुर्ग। पंचशील नगर में चाकू से हमला करने वाले आरोपियों को पुलिस ने ऐसा सबक सिखाया कि पूरे इलाके में चर्चा छा गई। शहर की सड़कों पर पहली बार ऐसी अनोखी ‘बारात’ निकली, जिसमें दूल्हा नहीं बल्कि अपराधी थे, और बाराती बनी पुलिस। यह नजारा देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। (The knife attack proved costly, and the police took out a procession of the accused)

कोतवाली टीआई तापेश नेताम ने बताया कि मामला 20 अक्टूबर का है। पंचशील नगर निवासी नरेश ठाकुर पर कुछ युवकों ने चाकू से जानलेवा हमला किया था। इस वारदात में आरोपी गजा यादव, दीपेश, लोकेश और अन्य नाबालिग शािमल थे। घटना के बाद सभी आरोपी फरार हो गए थे। विशेष टीम गठित कर आरोपियों की तलाश शुरू की। लगातार छह दिन की मशक्कत के बाद पुलिस ने सभी को गिरफ्तार कर लिया।

क्राइम ऑफ सीन रिक्रिएशन कराया

बता दें कि असली सज़ा तो गिरफ्तारी के बाद शुरू हुई। पुलिस ने आरोपियों को सीधे थाने नहीं ले जाकर पहले घटना स्थल पहुंचाया, जहां उन्होंने नरेश ठाकुर पर हमला किया था। वहां ‘क्राइम ऑफ सीन’ रिक्रिएशन कराया गया और लोगों के सामने आरोपियों से पूछताछ की गई।

हथकड़ी के साथ आरोपियों की निकाली गई बारात

इसके बाद पुलिस ने पंचशील नगर से आरोपियों के मोहल्ले तक एक प्रतीकात्मक “बारात” निकाली गई। आगे-आगे पुलिस वाहन, बीच में हथकड़ी लगाए आरोपी और पीछे पुलिसकर्मी ढोल की थाप पर चलते हुए। यह नजारा देख मोहल्ले के लोग हतप्रभ रह गए।

समाज को भी यह संदेश देना जरुरी

टीआई तापेश नेताम ने बताया कि अपराधियों को यह एहसास दिलाने के लिए यह तरीका अपनाया गया कि अपराध करने के बाद शर्मिंदगी भी उठानी पड़ती है। समाज को भी यह संदेश देना था कि पुलिस अपराध पर नकेल कसने के लिए हर संभव कदम उठाएगी।

पुलिस की सख्ती की चर्चा

इस अनोखी कार्रवाई के बाद शहर में पुलिस की सख्ती की चर्चा जोरों पर है। लोग इसे अपराधियों के लिए “चलती-फिरती चेतावनी” बता रहे हैं कि दुर्ग में अपराध करने वालों की बारात अब इसी तरह निकलेगी।

पंजाब से गिरफ्तार गुरजीत सिंह 25 लाख की हेरोइन मामले का फरार सरगना, मोहन नगर थाना से पुलिस लापरवाही के बीच भागा था।

लापरवाह पुलिस स्टाफ पर कार्रवाई अब तक नहीं

भिलाई. 18 सितम्बर 2025। मोहन नगर थाना क्षेत्र से फरार हुआ 25 लाख की हेरोइन मामले का सरगना गुरजीत सिंह आखिरकार पंजाब से गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस उसे ट्रांजिट रिमांड पर दुर्ग लेकर आई और जेल भेज दिया गया। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि थाना से आरोपी कैसे फरार हुआ और इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार पुलिसकर्मियों पर अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई?

(The kingpin of heroin worth Rs 25 lakh, who escaped due to negligence of the police station, was arrested from Punjab.)

दरअसल, 10 सितम्बर को एसीसीयू की टीम ने 246 ग्राम हेरोइन के साथ सात आरोपियों को गिरफ्तार कर नशे के बड़े नेटवर्क का भंडाफोड़ किया था। इसके बाद सभी आरोपियों को मोहन नगर थाना को सौंपा गया। थाना में आरोपियों की लिखापढ़ी चल रही थी। तभी गिरोह का सरगना और दुर्ग के आदित्य नगर का निवासी गुरजीत सिंह पुलिस को चकमा देकर भाग निकला। उसी समय दूसरा आरोपी भी खिड़की से केले का छिलका फेंकने के बहाने भागने की फिराक में था, लेकिन उसे स्टाफ ने रोक दिया।

कस्टडी से भागना पुलिस की गंभीर लापरवाही उजागर

गुरजीत सिंह का इस तरह थाना के अंदर से भाग जाना पुलिस की गंभीर लापरवाही को उजागर करता है। इस फरारी के बाद पुलिस को सात दिनों तक पंजाब में खोजबीन करनी पड़ी, तब जाकर उसे पकड़ा जा सका। हालांकि लापरवाही की जांच की बात कही जा रही है, लेकिन अब तक मोहन नगर थाना के किसी भी स्टाफ की जवाबदेही तय नहीं हुई है।

भागने का पूरा प्लान

जांच में सामने आया है कि आरोपी की पत्नी पहले से स्कूटर लेकर थाना के बाहर खड़ी थी। गुरजीत फरार होकर पत्नी के साथ सीधे रामनगर स्थित ससुराल पहुंचा। वहां से उसने नकदी जुटाई और फिर स्कूटर से राजनांदगांव रेलवे स्टेशन पहुंच गया। स्कूटर वहीं छोड़कर ट्रेन से दिल्ली होते हुए अमृतसर पहुंचा और छिप गया। पुलिस सूत्रों का मानना है कि गुरजीत ने थाना से ही अपनी पत्नी से फोन पर संपर्क किया होगा और पूरे फरारी का प्लान तैयार किया गया। इससे संदेह गहराता है कि थाना के भीतर से किसी ने उसकी मदद की।

अब भी अनुत्तरित सवाल

अब बड़ा सवाल यह है कि आरोपी जब पुलिस कस्टडी में था तो उसने अपनी पत्नी को बाहर आने और स्कूटर लेकर खड़े रहने की जानकारी कैसे दी? अगर उसने फोन पर बात की, तो किसकी निगरानी में और किसकी मदद से? सात दिन बाद आरोपी तो पकड़ा गया, लेकिन मोहन नगर थाना की लापरवाही पर पर्दा डाला जा रहा है।