CG Prime News@अंबिकापुर. President Draupadi Murmu attended the Tribal Pride Day programme in Ambikapur छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम में कहा कि बिरसा मुंडा भगवान ने अंग्रेजों का जीना मुश्किल कर दिया था। अंग्रेजों को सिर्फ बिरसा मुंडा ही दिखते थे। हम बिरसा मुंडा की पीढ़ी हैं। आदिवासी संस्कृति को मैं पहले भी जीती थी और अब भी जीती हूं। जल, जंगल और जमीन के साथ आदिवासी संस्कृति को बढ़ावा देने की जरूरत है। हमें आदिवासी संस्कृति को बचाना है। महिलाएं समाज की धरोहर हैं। महिलाएं आगे बढ़ेंगी तो समाज का विकास होगा।

अंबिकापुर में जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम में शामिल हुई राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्म
मुख्यमंत्री ग्राम अखरा विकास योजना का किया शुभारंभ
राष्ट्रपति मुर्मू ने आदिवासी युवाओं को सम्मानित किया। साथ ही वैद्यों और देवस्थलों से जुड़ी योजना मुख्यमंत्री वैद्यराज सम्मान योजना और मुख्यमंत्री ग्राम अखरा विकास योजना का शुभारंभ किया। इसके साथ ही राष्ट्रपति ने 70 साल पहले डॉ. राजेंद्र प्रसाद के गोद लिए गए बच्चों से भी मिलीं।
नक्सलवाद की कमर टूटी
कार्यक्रम में सीएम विष्णु देव साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के घरों तक बिजली पहुंची, बस्तर में नक्सलवाद की कमर टूट गई है। आदिवासियों का विकास हो रहा है। बस्तर के लोगों को राशन मिल रहा है। वहीं राज्यपाल रामेन डेका ने कहा कि बिरसा मुंडा महान वीर थे, जिन्हें आज याद किया जा रहा है।
राष्ट्रपति के कार्यक्रम में जाने से रोका
सरगुजा में पंडो जनजाति के लोगों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के कार्यक्रम में जाने से प्रशासन ने रोक दिया। इससे पंडो जनजाति के लोगों में आक्रोश देखने को मिला। लखनपुर विकासखंड के ग्राम परसोडी कला के पंडो जनजाति के लोग थे, जिन्हें सिंगी टाना टोल प्लाजा के पास रोका गया था।
जनजातियों के धार्मिक आस्था के केंद्र देवगुड़ी में देवताओं की आराधना की
कार्यक्रम में सांकेतिक रूप से बनाए गए जनजातियों के पारंपरिक अखरा स्थल एवं जनजाति निवासरत ग्रामों के प्रमुख धार्मिक आस्था के केन्द्र देवगुड़ी के मॉडल का अवलोकन कर यहां देवताओं की आराधना की। अखरा छत्तीसगढ़ राज्य के सरगुजा अंचल में निवासरत जनजातियों का सांस्कृतिक स्थल है, जो गाँवों के मध्य या चौराहे में स्थित होते हैं, जहाँ छायादार पेड़ों के झुण्ड भी होते हैं। ग्रामीणजन विभिन्न लोक पर्वों जैसे करमा, महादेव बायर, तीजा आठे, जीवतिया, सोहराई, दसई, फगवा के अवसरों में महिला एवं पुरूष सामुहिक रूप से इकट्ठा होकर लोकगीत गाकर पारम्परिक वाद्ययंत्रों की थाप में लोकनृत्य करके उत्साह मनाते हैं।
प्रदर्शनी में जनजातीय समुदाय के लोगों ने पारंपरिक नृत्य का प्रदर्शन किया। जनजाति निवासरत ग्रामों के प्रमुख धार्मिक आस्था के केन्द्र देवगुड़ी को राज्य में क्षेत्रवार विभिन्न नामों जैसे देवाला देववल्ला, मन्दर, शीतला, सरना आदि नामों से भी जानते हैं। देवगुड़ी में ग्रामीण देवी-देवता जैसे बुढ़ादेव, बुढ़ीदाई, शीतला, सरनादेव, डीहवारीन, महादेव आदि विराजमान होते हैं। जनजातीय विभिन्न लोकपर्वों के अवसरों में सामूहिक रूप से इकट्ठा होकर ग्रामीण बैगा की अगुवाई में पूजा-पाठ कर ग्राम की सुख, शांति, समृद्धि हेतु कामना करते हैं।
