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CG Prime News@दुर्ग.Vomiting and diarrhea spread in Samoda of Durg district, 60 patients found  दुर्ग जिले के ग्राम पंचायत कचान्दुर के आश्रित ग्राम समोदा में उल्टी-दस्त फैलने से हड़कंप मच गया है। 4 अक्टूबर से अब तक उल्टी-दस्त के 60 मरीज मिल चुके हैं। वहीं 13 मरीजों का जिले के विभिन्न अस्पतालों में उपचार चल रहा है। 12 मरीज चंदूलाल चंद्राकर कचांदुर भिलाई, 1 मरीज निहार अस्पताल व अन्य सभी मरीज घर पर चिकित्सकीय उपचार ले रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गुरुवार को संक्रमित क्षेत्र का दौरा किया। घर-घर जाकर सर्वे किया। राहत की बात यह है कि उल्टी-दस्त से किसी भी मरीज की मृत्यु नहीं हुई है।

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डॉक्टर्स की टीम ने किया गांव का सर्वे

उल्टी-दस्त के मरीज प्राप्त होने की सूचना प्राप्त होने पर सीएमएचओ डॉ. मनोज दानी के निर्देश में डॉ. सीबीएस बंजारे, जिला सर्वेलेंस अधिकारी, एनएल बंजारे खण्ड चिकित्सा अधिकारी निकुम, दुर्ग के मार्गदर्शन में जिला एपिडेमियोलॉजिस्ट रितीका सोनवानी, बीईटीओ निर्मल कुमार टंडन और स्थानीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता एवं मितानिनों के साथ प्रभावित क्षेत्र का भ्रमण किया।

पाइप लाइन की सफाई के लिए कहा

प्रभावित क्षेत्र का स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा नियमित सर्वे किया जा रहा है। सर्वे में 22 अक्टूबर को कुल 450 घरों का सर्वे किया गया। जहाँ उल्टी-दस्त के नए मरीज नहीं मिले हैं। 4 अक्टूबर 2025 से आज दिनांक तक कुल 60 मरीज मिले जिनमें से 13 मरीजों का जिले के विभिन्न अस्पतालों में उपचार चल रहा है। स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा भ्रमण के दौरान उपस्थित सरपंच अरूण गौतम, उपसरपंच अनुज निषाद, पंचायत सचिव कमला देवांगन व कोतवाल पिताम्बर चौहान को प्रभावित क्षेत्र में पानी के पाईप लाईन को बंद कर, सभी पाईप लाईन की मरमत व साफ-सफाई करने के लिए कहा।

पानी टैंकर की व्यवस्था की

सीईओ जिला जनपद के द्वारा सिरसा में पानी टैंकर की व्यवस्था किया गया है। सक्रिय सर्वेलेंस का कार्य स्वास्थ्य विभाग की टीम के द्वारा नियमित रूप से किया जा रहा है। 22 अक्टूबर 2025 को संक्रमित क्षेत्र का पुन: पानी सैम्पल जांच हेतु लोक स्वास्थ्य यंत्रिकी विभाग दुर्ग भेजा गया। स्टूल सैम्पल जांच के लिए रायपुर भेजे जाने के लिए निर्देशित किया गया है।

पानी उबालकर पीने की दी समझाइश

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा ग्रामीण जनता को समझाइश दी गई है कि पानी उबाल कर पिये, सड़े गले सब्जी न खाये। बाहर का खाना बंद करे। मांसाहार ना खाये। तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में जाकर चिकित्सकीय परामर्श लें और अपने व परिवार का ध्यान रखें।

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CG Prime News@भिलाई. छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिला अस्पताल दो नवजात शिशु जन्म लेते ही आपस में बदल दिए गए। हिंदू शिशु मुस्लिम परिवार के पास पहुंच गया। वहीं मुस्लिम शिशु हिंदू परिवार के पास पहुंच गया। जन्म के आठ दिन बाद जब दोनों परिवार अपने घर पहुंचे तब जाकर उन्हें शिशुओं के अदला-बदली की जानकारी मिली। जिसके बाद दोनों परिवारों में तहलका मच गया। वहीं

उसके साथ परिवार के लगभग 30 से 35 लोग भी अस्पताल पहुंचे हुए हैं। शबाना न्याय की मांग करते हुए जिला अस्पताल के बाहर बैठी हुई है। वहीं गोद में मासूम को बार-बार दुलार भी रही है।

यह है पूरा मामला
23 जनवरी को शबाना कुरैशी (पति अल्ताफ कुरैशी) और साधना सिंह ने दोपहर क्रमश: 1:25 बजे और 1:32 बजे अपने-अपने बेटों को जन्म दिया। अस्पताल में नवजात शिशुओं की पहचान के लिए जन्म के तुरंत बाद उनके हाथ में मां के नाम का टैग पहनाया जाता है। जिससे किसी तरह की अदला-बदली न हो। इसी प्रक्रिया के तहत दोनों नवजातों की जन्म के बाद अपनी-अपनी माताओं के साथ तस्वीरें भी खींची गईं। हालांकि, बाद में गंभीर लापरवाही सामने आई। जब साधना सिंह लिखा हुआ बच्चा शबाना कुरैशी के पास चला गया और शबाना कुरैशी लिखा हुआ बच्चा साधना सिंह के पास। इस गलती का खुलासा 8 दिनों के बाद तब हुआ जब शबाना कुरैशी के परिवार ने ऑपरेशन के तुरंत बाद ली गई तस्वीरों को देखा। तब परिवार ने ध्यान दिया कि उनके असली बच्चे के चेहरे पर तिल (काला निशान) नहीं था। जो बच्चा इस समय उनके पास है ,उसके चेहरे पर तिल है।

दोनों परिवारों को बुलाया अस्पताल
यह जानकारी मिलते ही शबाना कुरैशी के परिवार में हड़कंप मच गया। उन्होंने तुरंत जिला अस्पताल प्रशासन को इसकी जानकारी दी, जिससे अस्पताल में भी अफरा-तफरी मच गई है। अस्पताल प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए साधना सिंह और उनके परिवार को अस्पताल बुलाया। दोनों परिवारों और डॉक्टरों के बीच चर्चा हुई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकल पाया है। अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही का खामियाजा दोनों परिवार भुगत रहे हैं।

बच्चा बदलने से कर दिया मना
दुर्ग जिला अस्पताल में 23 जनवरी को दो नजवात शिशु पैदा हुए थे। दोनों ही नवजात लड़के हैं। परिवार को इस अदला-बदली की जानकारी 8 दिन बाद तब पता चली डिस्चार्ज होने के बाद उन्होंने ऑपरेशन के बाद खींची गई तस्वीरें देखीं। इसके बाद परिजनों के होश उड़ गए। एक परिवार ने दूसरे परिवार से संपर्क किया और यबात बताई। दूसरे परिवार ने बच्चा बदलने से यह कहते हुए मना कर दिया कि अब 8 दिनों में बच्चे से लगाव हो गया है।
मामला संज्ञान में है

जांच चल रही
शिशुओं के अदला-बदली के मामले में जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. हेमंत कुमार साहू ने कहा कि उनके संज्ञान में यह मामला आया है। फिलहाल इस मामले की जांच की जाएगी। वहीं जो कार्रवाई होगी वो पुलिस करेगी। फिलहाल, इस मामले में शबाना कुरैशी का परिवार अस्पताल की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहा है, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकला है।

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CG Prime News@भिलाई. छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिला अस्पताल (Durg District hospital) में एक अजीबो-गरीब और अस्पताल प्रबंधन की बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है। यहां दो नवजात शिशु जन्म लेते ही आपस में बदल दिए गए। हिंदू शिशु मुस्लिम परिवार के पास पहुंच गया। वहीं मुस्लिम शिशु हिंदू परिवार के पास पहुंच गया। जन्म के आठ दिन बाद जब दोनों परिवार अपने घर पहुंचे तब जाकर उन्हें शिशुओं के अदला-बदली की जानकारी मिली। जिसके बाद दोनों परिवारों में तहलका मच गया। वहीं अस्पताल प्रबंधन की इस बड़ी लापरवाही का भंडा फूट गया।

बच्चा बदलने से कर दिया मना
दुर्ग जिला अस्पताल में 23 जनवरी को दो नजवात शिशु पैदा हुए थे। दोनों ही नवजात लड़के हैं। परिवार को इस अदला-बदली की जानकारी 8 दिन बाद तब पता चली डिस्चार्ज होने के बाद उन्होंने ऑपरेशन के बाद खींची गई तस्वीरें देखीं। इसके बाद परिजनों के होश उड़ गए। एक परिवार ने दूसरे परिवार से संपर्क किया और यह बात बताई। दूसरे परिवार ने बच्चा बदलने से यह कहते हुए मना कर दिया कि अब 8 दिनों में बच्चे से लगाव हो गया है।

मामला संज्ञान में है

शिशुओं के अदला-बदली के मामले में जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. हेमंत कुमार साहू ने कहा कि उनके संज्ञान में यह मामला आया है। फिलहाल इस मामले की जांच की जाएगी। वहीं जो कार्रवाई होगी वो पुलिस करेगी। फिलहाल, इस मामले में शबाना कुरैशी का परिवार अस्पताल की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहा है, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकला है।

यह है पूरा मामला

3 जनवरी को शबाना कुरैशी (पति अल्ताफ कुरैशी) और साधना सिंह ने दोपहर क्रमश: 1:25 बजे और 1:32 बजे अपने-अपने बेटों को जन्म दिया। अस्पताल में नवजात शिशुओं की पहचान के लिए जन्म के तुरंत बाद उनके हाथ में मां के नाम का टैग पहनाया जाता है। जिससे किसी तरह की अदला-बदली न हो। इसी प्रक्रिया के तहत दोनों नवजातों की जन्म के बाद अपनी-अपनी माताओं के साथ तस्वीरें भी खींची गईं। हालांकि, बाद में गंभीर लापरवाही सामने आई। जब साधना सिंह लिखा हुआ बच्चा शबाना कुरैशी के पास चला गया और शबाना कुरैशी लिखा हुआ बच्चा साधना सिंह के पास। इस गलती का खुलासा 8 दिनों के बाद तब हुआ जब शबाना कुरैशी के परिवार ने ऑपरेशन के तुरंत बाद ली गई तस्वीरों को देखा। तब परिवार ने ध्यान दिया कि उनके असली बच्चे के चेहरे पर तिल (काला निशान) नहीं था। जो बच्चा इस समय उनके पास है ,उसके चेहरे पर तिल है।

दोनों परिवारों को बुलाया अस्पताल

यह जानकारी मिलते ही शबाना कुरैशी के परिवार में हड़कंप मच गया। उन्होंने तुरंत जिला अस्पताल प्रशासन को इसकी जानकारी दी, जिससे अस्पताल में भी अफरा-तफरी मच गई है। अस्पताल प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए साधना सिंह और उनके परिवार को अस्पताल बुलाया। दोनों परिवारों और डॉक्टरों के बीच चर्चा हुई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकल पाया है। अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही का खामियाजा दोनों परिवार भुगत रहे हैं।

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@Dakshi sahu Rao

CG Prime News@भिलाई. छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के भिलाई में बिना वैध डिग्री के एक महिला डॉक्टर क्लीनिक चलाते हुए मिली है। स्वास्थ्य विभाग ने शिकायत के बाद महिला डॉक्टर को नोटिस थमाते हुए उनका क्लीनिक सील कर दिया है। स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार प्रभा पटैरिया नाम की महिला डॉक्टर बिना डिग्री के अपना क्लीनिक संचालित कर रही थी। इतना ही नहीं उसने अपनी फर्जी डिग्री के आधार पर कई बड़े निजी अस्पताल और मेडिकल कॉलेज तक में सेवाएं दी है। इसकी जानकारी होने पर दुर्ग सीएमएचओ ने नर्सिंग होम एक्ट के तहत नोटिस जारी कर 3 दिन के भीतर जवाब मांगा है।

नहीं दिखा पाई डिग्री
दुर्ग जिले के नर्सिंग होम एक्ट के नोडल अधिकारी ने बताया कि शिकायत मिली थी कि रूआबांधा बस्ती भिलाई में डॉ. प्रभा पटैरिया बिना वैध डिग्री के आकृति नाम से क्लीनिक का संचालन कर रही है। यहां हर रोज बस्ती के मरीजों का इलाज करती है। जिस शिकायत के आधार पर क्लीनिक में छापा मारा गया। वहां मौजूद महिला डॉक्टर किसी भी तरह का डिग्री नहीं दिखा पाई। साथ ही उसने किस मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई की यह तक नहीं बता पाई।

टीम का गठन किया गया
मिली जानकारी के अनुसार महिला डॉक्टर के पास किसी भी प्रकार की कोई मेडिकल की ऐसी डिग्री नहीं है, जिससे वो एलोपैथी का उपचार कर सकें। इसकी जानकारी नोडल अधिकारी ने सीएमएचओ दुर्ग जेपी मेश्राम और कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी को दी। इसके बाद उनके निर्देश पर एक टीम का गठन किया गया। जो इस पूरे मामले की जांच करेगी।