CG Prime News@बिलासपुर. राज्य पुलिस सेवा के साइबर अपराध विशेषज्ञ कहे जाने वाले टीआई कलीम खान आखिरकार विभागीय कार्रवाई की चपेट में आ ही गए। चार साल पुराने एक ठगी मामले में आरोपी से कथित रूप से रुपये मांगने के आरोप में जांच पूरी होने पर बिलासपुर रेंज के आईजी संजीव शुक्ला ने उन्हें निरीक्षक पद से डिमोट करते हुए एक वर्ष के लिए उप निरीक्षक बना दिया है। वर्तमान में वे अंबिकापुर साइबर सेल में पदस्थ हैं।
दिल्ली में गिरफ्तारी, बिलासपुर में बवाल
वर्ष 2020 में कोनी थाना क्षेत्र में तीन जिलों के अभिभावकों से मेडिकल कॉलेज में दाखिले के नाम पर 82 लाख रुपये की ठगी हुई थी। टीआई कलीम खान उस समय बिलासपुर में पदस्थ थे और उन्होंने दिल्ली जाकर एक आरोपी को गिरफ्तार किया था। बाद में आरोपी की पत्नी ने आरोप लगाया कि TI खान ने केस को कमजोर करने और जमानत दिलाने के बदले पैसों की मांग की।
तीन एसपी, पांच साल, एक फैसला
शिकायत पहले एसपी प्रशांत अग्रवाल के कार्यकाल में हुई। जांच एसपी दीपक झा ने करवाई, फिर विभागीय कार्रवाई एसपी पारुल माथुर ने आरंभ की। यह मामला संतोष सिंह और रजनेश सिंह जैसे वरिष्ठ अधिकारियों के कार्यकाल में भी जांच के दायरे में बना रहा। आखिरकार, आईजी ने कार्रवाई कर TI कलीम खान को डिमोट कर दिया।
‘आउट ऑफ टर्न’ प्रमोशन से सीधे विभागीय दंड
पूर्व में रायपुर में एक चर्चित केस की गिरफ्तारी के बाद कलीम खान को आउट ऑफ टर्म प्रमोशन मिला था। यह पहला मामला था जब मैदानी क्षेत्र के प्रदर्शन के आधार पर प्रमोशन दिया गया। अब वही अधिकारी विभागीय अनुशासन के तहत दंडित हुआ है।
विवादों से पुराना नाता
बिलासपुर जिले में चकरभाठा, कोतवाली, सिविल लाइन और साइबर सेल जैसे थानों में सेवाएं दे चुके TI खान की छवि एक ‘तेज तर्रार पर विवादित’ अधिकारी की रही है। उन्होंने कई हाईप्रोफाइल केस हल किए। जिनमें विराट अपहरण कांड शामिल रहा। विधायक शैलेश पांडे से टकराव और कार्रवाई के तौर-तरीकों को लेकर वे कई बार विवादों में रहे।
फरार आरोपी और अधूरी न्यायिक प्रक्रिया
जिस आरोपी की गिरफ्तारी में कलीम खान ने अपनी टीम के साथ दिल्ली तक अभियान चलाया था। वह कोरोना काल में पैरोल पर छूटकर अब तक फरार है। लेकिन उसकी पत्नी की शिकायत ने जांच को उस मोड़ तक पहुंचा दिया, जहाँ से वर्दी की इज्जत को गहरा झटका लगा।
