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CG Prime News@कोंडागांव. Kondagaon district of Chhattisgarh received the first national level award from NITI Aayog कोंडागांव जिले ने राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम पुरस्कार प्राप्त कर प्रदेश का मान बढ़ाया है। नीति आयोग, भारत सरकार द्वारा आयोजित “नीति फॉर स्टेपट्स’ – ‘यूज केस चैलेंज अवॉर्ड्स’ में कोंडागांव जिले को ‘स्वास्थ्य एवं पोषण’ श्रेणी में देशभर में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है। यह सम्मान जिला कलेक्टर नूपुर राशि पन्ना को एलबीएसएनएए मसूरी में आयोजित समारोह में नीति आयोग के सीईओ  बी. वी. आर. सुब्रमण्यम और लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी के डायरेक्टर श्रीराम तरणीकांति द्वारा प्रदान किया गया। यह पुरस्कार जिले द्वारा प्रस्तुत “Reducing Anaemia in Pregnant Women” (गर्भवती महिलाओं में एनीमिया की कमी लाने) संबंधी पहल के लिए दिया गया, जिसमें डेटा-आधारित विश्लेषण, नवीन हस्तक्षेप, सतत निगरानी और सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से उल्लेखनीय परिणाम प्राप्त किए गए हैं।

जिले में संचालित इस पहल के अंतर्गत गर्भवती महिलाओं में रक्ताल्पता की दर में कमी लाने के लिए स्वास्थ्य विभाग, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं जनजागरूकता कार्यक्रमों का समन्वित रूप से संचालन किया गया। इस नवाचार के परिणामस्वरूप जिले में स्वास्थ्य एवं पोषण के क्षेत्र में उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया गया है। नीति आयोग द्वारा इस उपलब्धि को आकांक्षी जिला एवं ब्लॉक कार्यक्रम के तहत एक उत्कृष्ट उदाहरण के रूप में चयनित किया गया है।

कलेक्टर नूपुर राशि पन्ना ने इस सम्मान को जिले की संपूर्ण टीम, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और समुदाय के सहयोग को समर्पित करते हुए कहा कि  “यह उपलब्धि कोंडागांव की टीम भावना और सामुदायिक सहभागिता का परिणाम है। हमारा उद्देश्य मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य में सतत सुधार लाना है।” यह सम्मान न केवल कोंडागांव जिले के लिए, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ राज्य के लिए गौरव का विषय है।

CG Prime News @दुर्ग. छत्तीसगढ़ की दुर्ग जिले में इलाज के दौरान मरीज की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा कर दिया। पूरा मामला दुर्ग के कादंबरी नगर स्थित आरोग्यम सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल का है। यहां शनिवार को एक मरीज की इलाज के दौरान मौत होने के बाद मरीज की पत्नी ने अस्पताल बंधन पर गंभीर आरोप लगाया। वहीं उपचार कर रहे डॉक्टरों को लेकर मृतक की पत्नी ने कहा कि डॉक्टर के गलत उपचार के कारण उसके पति की मौत हो गई है। मृतक भानुप्रतापुर निवासी महेश सचदेव सिंधी समाज के पूर्व अध्यक्ष थे।

मृतक की पत्नी ने मीडिया के सामने बताया कि उसके पति का ढाई साल से उपचार चल रहा है। वह डायलिसिस पर थे। किडनी और लीवर दोनों खराब था। इसी बीच कुछ दिन पहले मरीज को सीने में हल्के दर्द की शिकायत हुई। जिस पर उन्होंने आरोग्यम हॉस्पिटल के डॉक्टर से फोन पर सलाह ले कर उनके बताए दवाई को मरीज को दिया। जिसके बाद मरीज की तबियत सुधर गई।

डॉक्टर की सलाह से वह मरीज को आरोग्यम हॉस्पिटल लेकर आई। जहां पर अस्पताल के डॉक्टर ने बिना मरीज को जांच किए सीधा उसे icu में एडमिट कर दिया। मरीज की पत्नी ने बताया कि रातभर इलाज के नाम पर कभी 50,000 कभी 25,000 कभी 5000 अस्पताल प्रबंधन ने जमा कराएं। इस बीच अस्पताल के सीनियर डॉक्टर ने कहा कि हार्ट अटैक की आशंका के चलते एंजियोप्लास्टी करना पड़ेगा।

अस्पताल के तीन डॉक्टरों ने मिलकर एंजियोप्लास्टी प्रक्रिया शुरु की। इसी बीच मरीज का BP डाउन हो गया। कुछ देर बाद जब मरीज की पत्नी ने पति से मिलने के लिए अनुमति मांगी तो डॉक्टरों ने मना कर दिया। फिर भी मरीज की पत्नी जबरदस्ती ICU रुम में घुस गई। जहां पर देखा कि मरीज की आंखें बंद थी। उसने नर्स से पूछा तो उसने जवाब दिया कि उसका BP लो है। दवाई दे रहे हैं लेकिन उसके शरीर में किसी तरह की कोई हरकत नहीं थी। मरीज की मौत हो चुकी थी। अस्पताल प्रबंधन लगातार कई घंटों तक मुझे गुमराह करते रहा। कहते रहे कि उनकी सांसे चल रही है। जबकि उनकी मौत हो चुकी थी।

मृतक की पत्नी ने बताया कि जब परिजनों ने डॉक्टरों से पूछा तो डॉक्टर AIIMS ले जाने की सलाह देने लगे। कुछ देर बाद फिर मुझे बताया कि उनकी मौत हो गई है। डॉ. हमारे परिवार को गुमराह करते रहे। एक मरे हुए व्यक्ति के इलाज के नाम पर हमसे पैसा वसूलते रहे। मरीज की पत्नी ले इस मामले की शिकायत स्वास्थ्य विभाग से करने की बात कही है।

दुर्ग के आरोग्यम हॉस्पिटल में लापरवाही का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी इलाज के दौरान कई मरीजों ने लापरवाही की शिकायत दर्ज कराई है। वहीं स्वास्थ विभाग ने भी यहां पर आयुष्मान कार्ड से उपचार की सुविधा बंद कर दी है। इधर भानुप्रतापुर के मरीज की मौत के बाद अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि उन्होंने सही उपचार किया है। मरीज का किडनी और लीवर दोनों खराब था। ऐसे में उनकी कंडीशन पहले से ज्यादा क्रिटिकल थी। डॉक्टर्स ने उसे बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन इलाज के दौरान मौत हो गई। मृतक की पत्नी का गलत उपचार करने का आरोप सही नहीं है।

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CG Prime News@राजनांदगांव. छत्तीसगढ़ में कोरोना के नए वैरिएंट JN.1 के मरीजों की संख्या धीरे-धीरे बढऩे लगी है। वहीं कोविड से 6 दिन में दूसरी मौत हो गई है। लखोनी निवासी 55 साल के व्यक्ति की शनिवार देर रात कोरोना (corona new variant JN.1) इलाज के दौरान मौत हो गई। उन्हें पहले से हृदय रोग, सांस की तकलीफ और ब्लड प्रेशर जैसी गंभीर बीमारियां थी। कोविड के नए वैरिंएट से मरने वाले दोनों लोग राजनांदगांव जिले के ही रहने वाले थे।

कोविड प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार

मिली जानकारी के अनुसार मृत मरीज का इलाज शासकीय मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल पेंड्री के आईसीयू में चल रहा था। अस्पताल अधीक्षक डॉ. अतुल देशकर ने बताया कि, मरीज की शनिवार देर रात मौत हो गई। रविवार को कोविड प्रोटोकॉल के तहत मृतक का अंतिम संस्कार किया गया। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, 20 जून को मजदूरी का काम करने वाले मरीज की कोविड जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उसे तुरंत कोविड वार्ड में भर्ती किया गया था। मरीज के परिजनों को होम आइसोलेशन में रखा गया। उनके संपर्क में आए लोगों की जांच शुरू की गई।

16 जून को हुई थी कोरोना से पहली मौत

इससे पहले 16 जून को राजनांदगांव के ही 86 साल के बुजुर्ग की कोरोना के नए वैरिएंट जेएन.1 से मौत हो गई थी। पिछले कई समय से वो मेडिकल प्रॉब्लम फेस कर रहा था। रूटीन डायलिसिस के लिए रायपुर के एक निजी हॉस्पिटल में आया हुआ था। डॉक्टरों को कोविड के सिम्टम्स दिखे तो जांच हुई। जांच रिपोर्ट में पेशेंट कोविड पॉजिटिव आया। इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

जांच कराने और मास्क पहनने की सलाह

राजनांदगांव के जिस इलाके में रहने वाले कोविड मरीज की मौत हुई, उसके बाद वहां कोविड जागरूकता अभियान और जांच शिविर भी आयोजित किया गया। स्वास्थ्य विभाग ने मृतक के परिजनों और संपर्क में आए लोगों की निगरानी शुरू कर दी है। साथ ही जनता से अपील की है कि कोविड लक्षण दिखने पर तुरंत जांच कराएं और मास्क, सामाजिक दूरी जैसे दिशा-निर्देशों का पालन करें।

 

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CG Prime News@दुर्ग. छत्तीसगढ़ में कोरोना (Corona) के नए मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। पिछले 24 घंटे में प्रदेश में कोविड (COVID) के 9 नए मरीज मिले है। इनमें एक हाईकोर्ट के एक जस्टिस भी शामिल हैं। वे समर वेकेशन में बाहर गए हुए थे वापस आकर जांच कराने पर पॉजिटिव पाए गए। जिसके बाद उनका इलाज चल रहा है।

प्रदेश में 28 एक्टिव केस

गुरुवार को रायपुर में 5 और बिलासपुर में 4 पेशेंट में कोरोना की पुष्टि हुई हैं। नया वैरिएंट आने के बाद से ये एक दिन में सबसे बड़ा आंकड़ा है। अब तक प्रदेश में 30 मरीज सामने आए हैं। जिनमें 2 रिकवर हो गए वहीं 28 केस एक्टिव हैं।

जानिए प्रदेश में कहां कोरोना के मरीज मिले

प्रदेश में मिले 28 एक्टिव केस में से 27 होम आइसोलेशन में हैं, और 1 मरीज का इलाज निजी हॉस्पिटल में चल रहा है। सबसे ज्यादा 18 एक्टिव केस रायपुर में है
बिलासपुर में 6, दुर्ग में 3 और बस्तर में 1 कोरोना मरीज है।

देश में कोरोना से 51 मौत

देशभर की बात करें तो 9 राज्यों को छोड़कर बाकी स्टेट्स में कोविड का नया वैरिएंट JN.1 फैल चुका है। अब तक 4 हजार 866 मरीज मिल चुके हैं। जबकि 51 से अधिक मौतें हो चुकी हैं। गुरुवार को दिल्ली में पांच माह के एक बच्चे की मौत भी कोविड हुई। जिसका खुलासा मेडिकल रिपोर्ट में किया गया है। हालांकि फैटेलिटी रेट सिर्फ 2 प्रतिशत है।

जीनोम सीक्वेंसिंग के सैंपल एम्स (AIIMS) भेजे जाएंगे

स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक जरूरत पड़े तो जीनोम सीक्वेंसिंग के सैंपल एम्स, रायपुर भी भेजे जा सकते हैं। वहीं मितानिनों के माध्यम से समुदाय स्तर पर ऐसे लक्षणों की रिपोर्टिंग सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया है। इसके साथ ही अस्पतालों में जरूरी दवाइयों और सुरक्षा उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।

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CG Prime News@दुर्ग. छत्तीसगढ़ राज्य में अब गैर संचारी रोग (नॉन-कम्युनिकेबल डिज़ीज़-एनसीडी) जैसे हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़, कैंसर के स्क्रीनिंग, इलाज और मॉनिटिरिंग  में डिजिटल तकनीक का उपयोग बड़े स्तर पर किया जा रहा है। आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत शुरू की गई आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट (आभा) आईडी इस दिशा में गेमचेंजर साबित हो रही है। दुर्ग जिले में भी मरीजों की आभा आईडी बनाई जा रही है। वहीं फील्ड में उतरकर मरीजों को इसके फायदे बताए जा रहे हैं। आभा आईडी की दिशा में हो रहे काम को लेकर WHO ने भी दुर्ग जिले की सराहना करते हुए इसे अपने अपनी बेवसाइट में जगह दी है। दुर्ग जिला नोडल अधिकारी NP-NCD डॉ. आर खंडेलवाल के मार्गदर्शन में एनपी-एनसीडी के तहत दुर्ग जिले में मरीजों का आभा आईडी बनाने का कार्य अभियान के तहत शुरू किया गया है।

WHO से स्टेट मेडिकल ऑफिसर एनसीडी डॉ. उर्वीन शाह के लगातार ट्रेनिंग और अतुल शुक्ला डब्ल्यूएचओ कंसलटेंट के लगातार फील्ड विजिट, ट्रेनिंग और जिला स्तर पर कविता चंद्राकर एनसीडी कंसलटेंट, जन्मजय दास एफएलओ द्वारा इस कार्य की मॉनीटरिंग की जा रही है। दुर्ग जिले एनसीडी टीम, अस्पताल इंचार्ज , स्टाफ नर्स के कार्यों की न सिर्फ राज्य बल्कि डब्ल्यूएचओ ने भी तारीफ की है।

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छत्तीसगढ़ में गैर संचारी रोग के ईलाज में आभा ID बनी वरदान, WHO ने की दुर्ग जिले की सराहना

यह है आभा आईडी

आभा आईडी के माध्यम से मरीज अपने स्वास्थ्य रिकॉर्ड को डिजिटल रूप में सुरक्षित रख सकते हैं और जरूरत पडऩे पर डॉक्टर या स्वास्थ्यकर्मी से आसानी से साझा कर सकते हैं। इस आईडी की मदद से अस्पतालों, क्लीनिकों और लेबोटरी के बीच जानकारी साझा करना भी आसान हो गया है, जिससे इलाज की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है।

छत्तीसगढ़ में आभा आईडी को राष्ट्रीय एनसीडी पोर्टल से जोड़ा गया है। इससे मरीजों की स्क्रीनिंग, डायग्नोसिस, इलाज और मॉनिटरिंग की प्रक्रिया अधिक सुव्यवस्थित हो गई है। एएनएम और कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर के लिए मोबाइल और टैबलेट आधारित ऐप्स और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के लिए वेब पोर्टल उपलब्ध कराए गए हैं, जिससे काम करना आसान हो गया है।

दुर्ग जिले में सकारात्मक प्रभाव

संचालक स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. प्रियंका शुक्ला का कहना है कि आभा आईडी बनाना राज्य सरकार की प्राथमिकता है। इससे एनसीडी जैसी बीमारियों की रोकथाम और प्रबंधन में मदद मिलेगी। दुर्ग जिले में इस पहल का सकारात्मक असर देखने को मिल रहा है। जनवरी 2024 से फरवरी 2025 के बीच, 12,627 आभा आईडी को एनसीडी मरीजों के रिकॉर्ड से जोड़ा गया। इसके परिणामस्वरूप, आभा से जुड़े मरीजों में फॉलोअप रेट 68 प्रतिशत तक पहुंच गया।

बिना आभा आईडी वाले मरीजों में यह केवल 37 प्रतिशत रहा। इसी तरह, ब्लड प्रेशर और डायबिटीज़ नियंत्रण में भी आभा से जुड़े मरीजों में सुधार देखा गया। 49 प्रतिशत मरीज नियंत्रण में रहे, जबकि गैर-जुड़े मरीजों में यह आंकड़ा 29 प्रतिशत रहा। डब्ल्यूएचओ की मदद से स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया है।

राज्य सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम इस पूरी प्रक्रिया पर सतत निगरानी रख रही है। आभा आईडी को आधार की डेमोग्राफिक जानकारी से जोडऩे की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए डब्ल्यूएचओ ने हिंदी में प्रशिक्षण वीडियो भी बनाया है। छत्तीसगढ़ में यह डिजिटल पहल ना सिर्फ बीमारियों के रोकथाम में मददगार साबित हो रही है, बल्कि इससे स्वास्थ्य विभाग की सेवाओं के प्रति विश्वास बढ़ा है। छत्तीसगढ़ राज्य एनसीडी नोडल अधिकारी प्रोफेसर डॉ. कमलेश जैन ने कहा, कि आभा आईडी को राष्ट्रीय एनसीडी पोर्टल के साथ एकीकृत करने से छत्तीसगढ़ में सभी सुविधाओं में डेटा की गुणवत्ता और NCD देखभाल प्रबंधन में सुधार करने में मदद मिलेगी।

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CG Prime News@भिलाई. छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिला अस्पताल (Durg District hospital) में एक अजीबो-गरीब और अस्पताल प्रबंधन की बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है। यहां दो नवजात शिशु जन्म लेते ही आपस में बदल दिए गए। हिंदू शिशु मुस्लिम परिवार के पास पहुंच गया। वहीं मुस्लिम शिशु हिंदू परिवार के पास पहुंच गया। जन्म के आठ दिन बाद जब दोनों परिवार अपने घर पहुंचे तब जाकर उन्हें शिशुओं के अदला-बदली की जानकारी मिली। जिसके बाद दोनों परिवारों में तहलका मच गया। वहीं अस्पताल प्रबंधन की इस बड़ी लापरवाही का भंडा फूट गया।

बच्चा बदलने से कर दिया मना
दुर्ग जिला अस्पताल में 23 जनवरी को दो नजवात शिशु पैदा हुए थे। दोनों ही नवजात लड़के हैं। परिवार को इस अदला-बदली की जानकारी 8 दिन बाद तब पता चली डिस्चार्ज होने के बाद उन्होंने ऑपरेशन के बाद खींची गई तस्वीरें देखीं। इसके बाद परिजनों के होश उड़ गए। एक परिवार ने दूसरे परिवार से संपर्क किया और यह बात बताई। दूसरे परिवार ने बच्चा बदलने से यह कहते हुए मना कर दिया कि अब 8 दिनों में बच्चे से लगाव हो गया है।

मामला संज्ञान में है

शिशुओं के अदला-बदली के मामले में जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. हेमंत कुमार साहू ने कहा कि उनके संज्ञान में यह मामला आया है। फिलहाल इस मामले की जांच की जाएगी। वहीं जो कार्रवाई होगी वो पुलिस करेगी। फिलहाल, इस मामले में शबाना कुरैशी का परिवार अस्पताल की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहा है, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकला है।

यह है पूरा मामला

3 जनवरी को शबाना कुरैशी (पति अल्ताफ कुरैशी) और साधना सिंह ने दोपहर क्रमश: 1:25 बजे और 1:32 बजे अपने-अपने बेटों को जन्म दिया। अस्पताल में नवजात शिशुओं की पहचान के लिए जन्म के तुरंत बाद उनके हाथ में मां के नाम का टैग पहनाया जाता है। जिससे किसी तरह की अदला-बदली न हो। इसी प्रक्रिया के तहत दोनों नवजातों की जन्म के बाद अपनी-अपनी माताओं के साथ तस्वीरें भी खींची गईं। हालांकि, बाद में गंभीर लापरवाही सामने आई। जब साधना सिंह लिखा हुआ बच्चा शबाना कुरैशी के पास चला गया और शबाना कुरैशी लिखा हुआ बच्चा साधना सिंह के पास। इस गलती का खुलासा 8 दिनों के बाद तब हुआ जब शबाना कुरैशी के परिवार ने ऑपरेशन के तुरंत बाद ली गई तस्वीरों को देखा। तब परिवार ने ध्यान दिया कि उनके असली बच्चे के चेहरे पर तिल (काला निशान) नहीं था। जो बच्चा इस समय उनके पास है ,उसके चेहरे पर तिल है।

दोनों परिवारों को बुलाया अस्पताल

यह जानकारी मिलते ही शबाना कुरैशी के परिवार में हड़कंप मच गया। उन्होंने तुरंत जिला अस्पताल प्रशासन को इसकी जानकारी दी, जिससे अस्पताल में भी अफरा-तफरी मच गई है। अस्पताल प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए साधना सिंह और उनके परिवार को अस्पताल बुलाया। दोनों परिवारों और डॉक्टरों के बीच चर्चा हुई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकल पाया है। अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही का खामियाजा दोनों परिवार भुगत रहे हैं।

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CG Prime News@जगदलपुर. कहते हैं जन्म और मृत्यु ऊपर वाले के हाथ में है। जिसे जन्म लेना है उसे कोई नहीं रोक सकता। ऐसा ही कुछ चमत्कार हुआ है बस्तर संभाग के बीजापुर जिले में है। जहां एक महिला ने दो, तीन बल्कि पांच किलो के स्वस्थ मोटे-ताजे शिशु को जन्म दिया है। शिशु का वजन देखकर अस्पताल के डॉक्टर भी हैरान रह गए हैं। बीजापुर के मातृ अस्पताल में एक महिला ने 5 किलो 100 ग्राम वजनी बच्चे को जन्म दिया है, जो जन्म के साथ ही अपनी असामान्य वजन के कारण चर्चा का विषय बना है। सामान्य तौर पर नवजात बच्चों का वजन 2.5 से 3.5 किलोग्राम के बीच होता है, लेकिन इस बच्चे का वजन उससे कहीं ज्यादा था

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14 साल के करियर में पहला केस
मातृशिशु अस्पताल की प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. आकृति शुक्ला ने बताया कि आमतौर पर नवजात शिशु का वजन 2.5 से 3.5 किलोग्राम के बीच होता है। यह उनके 14 साल के करियर में पहला ऐसा केस है। डॉक्टर के अनुसार, 30 प्रतिशत बच्चों का वजन 2.5 किलोग्राम से भी कम होता है, जबकि 90 प्रतिशत बच्चों का वजन 3.5 किलोग्राम से कम ही होता है। 14 साल में पहली बार 5 किलो से भी ज्यादा के वजनी शिशु का सुरक्षित प्रसव कराया है। यह किसी चमत्कार से कम नहीं है।

प्रसव के दौरान हुई दिक्कत
प्रसव के दौरान बच्चे का शोल्डर में फंसने की समस्या उत्पन्न हुई, जिससे जान का खतरा बना था। हालांकि, मातृशिशु अस्पताल की विशेषज्ञ टीम ने सही समय पर हस्तक्षेप करते हुए सफल प्रसव कराया। इसके अलावा, बच्चे की मां के गर्भाशय में 12 सेंटीमीटर की एक गांठ भी थी, जिसे डॉक्टरों की टीम ने ऑपरेशन करके हटा दिया। बच्चे और उसकी मां की स्वास्थ्य स्थिति अब पूरी तरह से सामान्य है, और दोनों की देखभाल जारी है। यह मामला बीजापुर के अस्पतालों में एक दुर्लभ और खास घटना के रूप में याद किया जाएगा। डॉक्टरों की सूझबूझ से बच्चा और मां दोनों स्वस्थ हैं।

TB free campaign will run in Durg district from December 7

CG Prime News@दुर्ग. दुर्ग जिले सहित पूरे प्रदेश में 7 दिसंबर से 24 मार्च तक 100 दिनों तक टीबी मुक्त भारत (TB free campaign) के लिए अभियान चलाया जाएगा। चार चरणों में चलने वाले इस अभियान को जन भागीदारी के माध्यम से चलाया जाएगा। भारत सरकार द्वरा संचालित राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (tb mukt bharat) के तहत 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य रखा गया है। कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी की अध्यक्षता में विगत दिनों जिला स्तरीय अंर्तविभागीय समन्वय बैठक आयोजित की गई। इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मनोज दानी, जिला कार्यक्रम प्रबंधक डॉ. भुमिका वर्मा और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी उपस्थित रहे।

चार चरणों में चलेगा अभियान
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मनोज दानी ने बताया कि जनभागीदारी से निक्षय-निरामय छत्तीसगढ़ 100 दिवसीय पहचान एवं उपचार अभियान (टीबी मुक्त भारत अभियान) 7 दिसम्बर से 24 मार्च 2025 तक चलाया जायेगा। अभियान चार चरणों में सम्पन्न होगा। पहला चरण- 07 दिसम्बर 2024 से 22 दिसम्बर 2024, दूसरा चरण- 23 दिसम्बर 2024 से 28 फरवरी 2025, तीसरा चरण- 01 मार्च 2025 से 15 मार्च 2025 एवं चौथा चरण – 16 मार्च 2025 से 24 मार्च 2025 तक होगा।

7 दिसंबर को होगा शुभारंभ
डॉ. दानी ने बताया कि 7 दिसम्बर को कार्यक्रम का शुभारंभ किया जायेगा। समुदाय के लोगों को निक्षय मित्र बनाने के लिए प्रेरित किया जायेगा। इसके अतिरिक्त जनप्रतिनिधि सहित लोगों के माध्यम से कार्यक्रमों में क्षय उन्मूलन एवं कुष्ठ के विषय में जागरूकता लाई जायेगी। टीबी मुक्त भारत अभियान में जिले के सभी शासकीय विभाग, स्वास्थ्य विभाग, पंचायत प्रतिनिधि, स्वयं सेवी संगठन इत्यादि भी अपनी सहभागिता निभायेंगे। जिला प्रशासन द्वारा टीबी मुक्त भारत अभियान में जनभागीदारी के लिये कार्य करने वाले स्वास्थ्य कर्मी, पंचायत प्रतिनिधि, जनप्रतिनिधि मितानीन स्वयं सेवी संगठनो को अपना योगदान देने और टीबी मुक्त बनाने के प्रयास में लगे रहने की अपील की गई है।

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CG Prime News@अंबिकापुर. छत्तीसगढ़ के पूर्व डिप्टी सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता टीएस सिंहदेव ने एक नेक कार्य के प्रति कदम बढ़ाते हुए अंगदान का संकल्प लिया है। उन्होंने केंद्र सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर अंगदान का पंजीकरण कराया है। अपनी मौत के बाद अपनी दोनों आंखें, किडनी, लिवर और बाकी अंग दान करने का संकल्प लिया है। टीएस सिंहदेव के भतीजे और रेड क्रॉस सोसाइटी के सरगुजा चेयरमैन आदितेश्वर शरण सिंहदेव ने भी अंगदान का संकल्प पत्र भरा है।

मृत्यु के बाद किसी के काम आए ये अच्छा है
कांग्रेस नेता टीएस सिंहदेव ने नेत्रदान सहित अपने किडनी, लीवर, पेंक्रियाज और टिश्यू के दान का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि मृत्यु के बाद यह अंग किसी के काम आए तो अच्छा है। सिंहदेव ने बताया कि, मेरे स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए प्रदेश में लिवर, किडनी ट्रांसप्लांट के लिए दिक्कत हो रही थी। अब राष्ट्रीय स्तर पर अंगदान की संस्थाएं छत्तीसगढ़ में स्थापित हैं और चल रही हैं।

पहले लिया था नेत्रदान का संकल्प
टीएस सिंहदेव ने कहा कि, समाज के प्रति आवश्यक जवाबदेही अंगदान है, जो उतनी स्वीकार्य नहीं हो पाई है। अभी तक मृत्यु के बाद दाह संस्कार की परंपरा रही है। लेकिन हमारी सोच में वो जगह नहीं बन पाई है कि मौत के बाद हमारा अंग दूसरों के काम भी आ सकता है। कुछ साल पहले मैंने नेत्रदान का संकल्प लिया था, लेकिन वह पंजीकृत नहीं हो सका था।

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CG Prime News@रायपुर. राजधानी रायपुर में स्वास्थ्य विभाग का बाबू 20 हजार रिश्वत लेते गिरफ्तार हुआ है। शुक्रवार को एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की टीम ने क्लर्क को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा है। मिली जानकारी के अनुसार एक नर्स से एजुकेशन लीव सेटलमेंट के लिए बाबू घूस ले रहा था। तभी एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने उसे रंगे हाथ दबोच लिया।

नर्स से मांगा रिश्वत
मिली जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य विभाग का क्लर्क सूरज नाग नवा रायपुर स्थित संचनालय में पदस्थ है। वो गरियाबंद के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत नर्स नेमिका तिवारी से 2 साल के एजुकेशन लीव के सेटलमेंट के लिए पैसे की मांग कर रहा था। नेमिका तिवारी ने लीव अप्रूव कराने के लिए संयुक्त संचालक (नर्सिंग) में आवेदन दिया था। रिश्वतखोर क्लर्क फाइल को आगे बढ़ाने के लिए 20 हजार रुपए की मांग कर रहा था।

ACB में की थी शिकायत
रिश्वतखोर क्लर्क को सबक सिखाने के लिए नर्स ने मामले की शिकायत एंटी करप्शन बयूरो में कर दी। इसके बाद एसीबी की टीम ने जाल बिछाया। शुक्रवार दोपहर क्लर्क सूरज ने नर्स को अपने राजेंद्र नगर स्थित सरकारी घर के पास बुलाया। नर्स ने एसीबी के दिए 20 हजार कैश को क्लर्क के हाथों में दिया। क्लर्क ने रुपए अपनी जेब में रख लिए। जिसके बाद एसीबी की टीम ने बाबू को पकड़ लिया। फिलहाल एसीबी की टीम आरोपी क्लर्क से पूछताछ कर रही है।

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CG Prime News@कवर्धा. छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में 5 बैगा आदिवासियों की मौत हो गई है। जिसके बाद प्रदेश की राजनीति गरमा गई है। वहीं 5 बैगा आदिवासियों की मौत को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री साय ने अधिकारियों को जांच के निर्देश दिए हैं। सीएम साय ने कहा कि बैगा आदिवासियों के लिए अब स्पेशल हेल्थ कैंप लगाए जाएंगे। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने विशेष स्वास्थ्य जांच शिविर लगाने के निर्देश अधिकारियों को खुद दिए हैं।

डिप्टी सीएम ने लिया जायजा
सीएम ने डिप्टी सीएम मंत्री विजय शर्मा और कबीरधाम के अफसरों से हालात की जानकारी ली है। वहीं डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने जिले के सोनवाही गांव के आदिवासी बालक छात्रावास में अस्थाई स्वास्थ्य शिविर का जायजा भी लिया है मरीजों से बात की है। दरअसल, बैगा आदिवासियों की बस्ती में मलेरिया, डायरिया और पीने के पानी की वजह से कई तरह की बीमारियां फैल रही हैं। यह स्थिति कबीरधाम जिले के आदिवासी बाहुल इलाके चिल्फी, झलमला और तरेगांव के जंगली इलाकों में रहने वाले आदिवासियों के बीच है। आदिवासी बीमार हो रहे हैं। सोनवाही गांव में स्थिति खराब है। यहां 5 बैगा आदिवासियों की इन बीमारियों के चलते मौत हो गई है।

पूर्व सीएम बोले राष्ट्रपति को लिखेंगे पत्र
शनिवार को सोनवाही गांव पहुंचे थे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि यहां स्वास्थ्य अमले की भारी लापरवाही है। बैगा आदिवासी राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाते हैं। हम राष्ट्रपति को इन हालातों पर पत्र लिखेंगे। विधानसभा में भी ये मुद्दा उठाया जाएगा।

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