गणेश प्रतिमा विसर्जन के लिए निगम की गाइडलाइन, सभी जलस्रोतों पर कड़ी पाबंदी
भिलाई। गणेश उत्सव और दुर्गोत्सव पर इस बार मनमाना विसर्जन नहीं किया जा सकेगा। नगर पालिक निगम भिलाई ने बड़ा कदम उठाते हुए शहर के केवल 10 तालाबों को मूर्ति विसर्जन के लिए चिन्हित किया है। बाकी सभी जलस्रोतों में विसर्जन पर कड़ी पाबंदी रहेगी। निगम का यह निर्णय केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गाइडलाइन के तहत लिया गया है, ताकि शहर के जलस्रोत प्रदूषित न हों और पर्यावरण सुरक्षित रहे। (Immersion of idols will be done only in 10 ponds, strict restrictions have been imposed on all other water sources)
निगम आयुक्त ने सभी जोन आयुक्तों को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि गाइडलाइन का सख्ती से पालन कराया जाए। चिन्हित तालाबों में विसर्जन कुंड बनाए जाएंगे, जिससे मूर्तियों और पूजा सामग्री को सुरक्षित तरीके से विसर्जित किया जा सके। खास बात यह है कि बैकुंठधाम तालाब, जहां वर्षों से विसर्जन होता आ रहा है, अब पूरी तरह बंद कर दिया गया है।
इन तालाबों में किया जाएगा विसर्जन
विसर्जन के लिए जिन तालाबों को चिन्हित किया गया है, उनमें वार्ड 1 का आलाबंद तालाब खम्हरिया, वार्ड 2 स्मृति नगर तालाब, वार्ड 7 आमा तालाब, वार्ड 11 लिम्हा तालाब, वार्ड 13 भेलवा तालाब, वार्ड 22 नकटा तालाब, वार्ड 26 रामनगर मुक्तिधाम तालाब, वार्ड 36 श्याम नगर कैंप-2 तालाब, वार्ड 40 दर्री तालाब और वार्ड 64 जयंती स्टेडियम तालाब शामिल हैं।
निगम कर सकता है कार्यवाही
कैंप क्षेत्र के लिए श्याम नगर तालाब तय किया गया है। इस बार वहां विसर्जन के लिए विशेष व्यवस्था की जाएगी। निगम का कहना है कि पूजा समितियों और नागरिकों को केवल इन्हीं तालाबों में विसर्जन करना होगा। यदि किसी ने अन्य जलस्रोतों में विसर्जन किया तो उस पर कार्रवाई की जाएगी।
निगम की अपील तालाब में करें विसर्जन
निगम ने शहरवासियों से अपील की है कि वे निर्धारित तालाबों में ही मूर्तियां विसर्जित करें और शहर को स्वच्छ व प्रदूषणमुक्त बनाए रखने में सहयोग दें। निगम प्रशासन का मानना है कि इस कदम से न सिर्फ तालाबों का संरक्षण होगा बल्कि पर्यावरणीय संतुलन भी बना रहेगा।
मनमाने ढंग से नहीं कर पाएंगे विसर्जन
यह सख्ती इसलिए भी जरूरी मानी जा रही है क्योंकि पिछले वर्षों में मनमाने विसर्जन से कई तालाबों और नालों की हालत खराब हो गई थी। मूर्तियों में प्रयुक्त प्लास्टर ऑफ पेरिस, केमिकल रंग और अन्य सामग्री पानी को जहरीला बना देते हैं। ऐसे में नगर निगम का यह निर्णय स्वागत योग्य है।


