छत्तीसगढ़ में गैर संचारी रोग के ईलाज में आभा ID बनी वरदान, WHO ने की दुर्ग जिले की सराहना

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CG Prime News@दुर्ग. छत्तीसगढ़ राज्य में अब गैर संचारी रोग (नॉन-कम्युनिकेबल डिज़ीज़-एनसीडी) जैसे हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़, कैंसर के स्क्रीनिंग, इलाज और मॉनिटिरिंग  में डिजिटल तकनीक का उपयोग बड़े स्तर पर किया जा रहा है। आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत शुरू की गई आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट (आभा) आईडी इस दिशा में गेमचेंजर साबित हो रही है। दुर्ग जिले में भी मरीजों की आभा आईडी बनाई जा रही है। वहीं फील्ड में उतरकर मरीजों को इसके फायदे बताए जा रहे हैं। आभा आईडी की दिशा में हो रहे काम को लेकर WHO ने भी दुर्ग जिले की सराहना करते हुए इसे अपने अपनी बेवसाइट में जगह दी है। दुर्ग जिला नोडल अधिकारी NP-NCD डॉ. आर खंडेलवाल के मार्गदर्शन में एनपी-एनसीडी के तहत दुर्ग जिले में मरीजों का आभा आईडी बनाने का कार्य अभियान के तहत शुरू किया गया है।

WHO से स्टेट मेडिकल ऑफिसर एनसीडी डॉ. उर्वीन शाह के लगातार ट्रेनिंग और अतुल शुक्ला डब्ल्यूएचओ कंसलटेंट के लगातार फील्ड विजिट, ट्रेनिंग और जिला स्तर पर कविता चंद्राकर एनसीडी कंसलटेंट, जन्मजय दास एफएलओ द्वारा इस कार्य की मॉनीटरिंग की जा रही है। दुर्ग जिले एनसीडी टीम, अस्पताल इंचार्ज , स्टाफ नर्स के कार्यों की न सिर्फ राज्य बल्कि डब्ल्यूएचओ ने भी तारीफ की है।

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छत्तीसगढ़ में गैर संचारी रोग के ईलाज में आभा ID बनी वरदान, WHO ने की दुर्ग जिले की सराहना

यह है आभा आईडी

आभा आईडी के माध्यम से मरीज अपने स्वास्थ्य रिकॉर्ड को डिजिटल रूप में सुरक्षित रख सकते हैं और जरूरत पडऩे पर डॉक्टर या स्वास्थ्यकर्मी से आसानी से साझा कर सकते हैं। इस आईडी की मदद से अस्पतालों, क्लीनिकों और लेबोटरी के बीच जानकारी साझा करना भी आसान हो गया है, जिससे इलाज की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है।

छत्तीसगढ़ में आभा आईडी को राष्ट्रीय एनसीडी पोर्टल से जोड़ा गया है। इससे मरीजों की स्क्रीनिंग, डायग्नोसिस, इलाज और मॉनिटरिंग की प्रक्रिया अधिक सुव्यवस्थित हो गई है। एएनएम और कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर के लिए मोबाइल और टैबलेट आधारित ऐप्स और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के लिए वेब पोर्टल उपलब्ध कराए गए हैं, जिससे काम करना आसान हो गया है।

दुर्ग जिले में सकारात्मक प्रभाव

संचालक स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. प्रियंका शुक्ला का कहना है कि आभा आईडी बनाना राज्य सरकार की प्राथमिकता है। इससे एनसीडी जैसी बीमारियों की रोकथाम और प्रबंधन में मदद मिलेगी। दुर्ग जिले में इस पहल का सकारात्मक असर देखने को मिल रहा है। जनवरी 2024 से फरवरी 2025 के बीच, 12,627 आभा आईडी को एनसीडी मरीजों के रिकॉर्ड से जोड़ा गया। इसके परिणामस्वरूप, आभा से जुड़े मरीजों में फॉलोअप रेट 68 प्रतिशत तक पहुंच गया।

बिना आभा आईडी वाले मरीजों में यह केवल 37 प्रतिशत रहा। इसी तरह, ब्लड प्रेशर और डायबिटीज़ नियंत्रण में भी आभा से जुड़े मरीजों में सुधार देखा गया। 49 प्रतिशत मरीज नियंत्रण में रहे, जबकि गैर-जुड़े मरीजों में यह आंकड़ा 29 प्रतिशत रहा। डब्ल्यूएचओ की मदद से स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया है।

राज्य सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम इस पूरी प्रक्रिया पर सतत निगरानी रख रही है। आभा आईडी को आधार की डेमोग्राफिक जानकारी से जोडऩे की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए डब्ल्यूएचओ ने हिंदी में प्रशिक्षण वीडियो भी बनाया है। छत्तीसगढ़ में यह डिजिटल पहल ना सिर्फ बीमारियों के रोकथाम में मददगार साबित हो रही है, बल्कि इससे स्वास्थ्य विभाग की सेवाओं के प्रति विश्वास बढ़ा है। छत्तीसगढ़ राज्य एनसीडी नोडल अधिकारी प्रोफेसर डॉ. कमलेश जैन ने कहा, कि आभा आईडी को राष्ट्रीय एनसीडी पोर्टल के साथ एकीकृत करने से छत्तीसगढ़ में सभी सुविधाओं में डेटा की गुणवत्ता और NCD देखभाल प्रबंधन में सुधार करने में मदद मिलेगी।