जगदलपुर@CgPrimeNews. राज्य सरकार पूर्व सीपीएस स्व.देवनारायण पटेल के आत्महत्या प्रकरण को फिर से खोलने जा रही है. पटेल के परिजनों की नए सिरे से जांच की मांग के बाद इस मामले से जुड़ी फाइल तलब की गई है. यदि ऐसा हुआ तो तत्कालीन अतिरिक्त जिला और सेशन जज (फास्ट ट्रैक अदालत) एनेस्टस टोप्पो की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. आश्चर्य कि छह साल गुजरने के बाद भी इस मामले में पीड़ित परिवार को न्याय नही मिल सका है.
यह मामला 2014 का है जब जगदलपुर एसपी रहे, सीपीएस देवनारायण पटेल ने अपने दो बच्चों और पत्नी को गोली मारकर खुदकुशी कर ली थी. इस हादसे में पति-पत्नी की मौत हो गई थी लेकिन छह साल के बेटे आर्यन और ग्यारह साल की बेटी पूनम गंभीर रूप से घायल हो गए थे. इस हादसे के बाद राज्य सरकार ने इसकी मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए थे. पटेल के आवास से एक सुसाइड नोट बरामद किया गया था जिसमें निलंबन से हताशा जताई गई थी.
सीपीएस पटेल ने चिट्ठी में लिखा था, मैं हमेशा राज्य और अपने विभाग के प्रति प्रतिबद्ध रहा लेकिन एक पियक्कड़ के झूठे दावों की बुनियाद पर ठीक तरह से जांच किए बगैर मुझे बेइज्जत और निलंबित कर दिया गया. मुझे अपनी बात भी नहीं कहने दी गई. लिहाजा निराश होकर मैं अब पूरे परिवार के साथ जा रहा हूं.
इधर हादसे के बाद पुलिस महकमे में हड़कम्प मच गया था और सीपीएस का एक धड़ा न्याय की मांग कर रहा था. उसके बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने जगदलपुर के एसपी देवनारायण पटेल की आत्महत्या के बाद अतिरिक्त जिला और सेशन जज (फास्ट ट्रैक अदालत) एनेस्टस टोप्पो के काम और आचरण की जांच के आदेश दिए थे. कहा जा रहा है कि टोप्पो की तनातनी की वजह से ही पटेल ने परिवार समेत आत्महत्या कर ली थी.
तत्कालीन रजिस्ट्रार जनरल अशोक पंडा ने जारी निर्देश में कहा था कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस यतींद्र सिंह ने टोप्पो के काम और आचरण की जांच के आदेश दिए थे जिसके तहत एक रजिस्ट्रार को जगदलपुर में बस्तर जिला अदालत पहुंचकर टोप्पो के काम और आचरण की जांच करने के निर्देश दिए थे. गौरतलब है कि पटेल और जज टोप्पो के बीच तनातनी हुई थी. इसके बाद एसपी पटेल को निलंबित कर दिया गया था. इस आदेश से परेशान पटेल ने रात को अपने सरकारी आवास में अपनी पत्नी प्रतिमा और दो बच्चों को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी. एक बच्चा बच गया था जो फिलहाल रिश्तेदारों के साथ रह रहा है. रिश्तेदारों ने अब पुन: मामले की जांच होने और न्याय दिलाने की बात कही है.
उस दौरान विपक्षी कांग्रेस ने यह मुददा उठाया था और निष्पक्ष जांच की माग की थी लेकिन ऐसा नही हो सका था. अब जबकि राज्य में कांग्रेस की सरकार है तो बस्तर जिला के नेताओं ने इसकी जांच पुन: करने का आग्रह किया है.