Friday, December 5, 2025
Home » Blog » पैदल डोंगरगढ़ जा रही 12 वीं बोर्ड टॉपर महिमा को कार ने कुचला, 8 महीने पहले लगी थी सरकारी नौकरी, पढि़ए इनसाइड स्टोरी

पैदल डोंगरगढ़ जा रही 12 वीं बोर्ड टॉपर महिमा को कार ने कुचला, 8 महीने पहले लगी थी सरकारी नौकरी, पढि़ए इनसाइड स्टोरी

by Dakshi Sahu Rao
0 comments
cg prime news

CG Prime News@दुर्ग. सरकारी नौकरी लगने की मन्नत पूरी होने पर दुर्ग जिले की 12 वीं बोर्ड टॉपर महिमा नवरात्रि में पैदल मां बम्लेश्वरी के दर्शन करने के लिए डोंगरगढ़ निकली थी। राजनांदगांव जिले में वह हिट एंड रन की शिकार हो गई। एक तेज रफ्तार थार सवार ने उसे बेहरमी से सड़क पर कुचल दिया और उसकी मौत हो गई।

भिलाई के जामुल अटल अवास निवासी महिमा साहू का शव जब उसके घर पहुंचा तो परिजनों रो-रोककर बेहाल हो गए। उन्हें समझ ही नहीं आ रहा था कि आखिर किस तरह से खुद को संभाले। महिमा घर की इकलौती कमाऊ सदस्य थी।

ऐसे हुआ दिलदहला देने वाला हादसा

मिली जानकरी के अनुसार भिलाई के अटल आवास जामुल की रहने वाली महिमा साहू अपनी बहन और मोहल्ले के बाकी श्रद्धालुओं के साथ पैदल यात्रा में शामिल होकर मां बम्लेश्वरी के दर्शन के लिए डोंगरगढ़ जा रही थी। पैदल यात्रा का माहौल जयकारों से गूंज रहा था।

महिमा के मामा नितेश साहू ने बताया कि सोमवार रात 8:30 बजे वो अपनी छोटी बहन याचना के साथ पैदल डोंगरगढ़ दर्शन के लिए निकले थे। रास्ते में बेकाबू थार क्रमांक CG04 QC 8007  आते देख दोनों घबरा गए। इसी दौरान बहनों का हाथ छूट गया। थार ने महिमा को टक्कर मार दी। हादसे में युवती गंभीर रूप से घायल हो गई। साथी श्रद्धालु तुरंत उसे उठाकर सेक्टर-9 अस्पताल भिलाई पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

गाड़ी से कुचलकर भाग गया ड्राइवर

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार हादसे के वक्त बड़ी संख्या में श्रद्धालु पैदल यात्रा पर थे। लोग “जय माता दी” के जयकारे लगाते हुए आगे बढ़ रहे थे। इसी बीच तेज रफ्तार थार महिमा को टक्कर मारकर फरार हो गया। 20 साल की महिमा साहू 2023 में 12वीं की टॉपर थी। राज्य में 6वां रैंक हासिल किया था। यूपीएससी की तैयारी कर रही थी। कलेक्टर बनना चाहती थी। वहीं, पोस्ट ऑफिस में सरकारी नौकरी भी कर रही थी। घटना सोमनी थाना इलाके की है।

मन्नत मांगी थी माता से

बता दें, कि महिमा ने सरकारी नौकरी लगने के तीन साल पहले मन्नत मांगकर डोंगरगढ़ जाने का संकल्प लिया था। यह तीसरा और अंतिम वर्ष था। आठ महीने पहले ही उसे कोंडागांव में सरकारी नौकरी मिली थी।

मनोकामना पूरी होने के बाद वह डोंगरगढ़ दर्शन के लिए रवाना हुई थी, लेकिन माता के दरबार तक पहुंच नहीं सकी। परिवार के मुताबिक, युवती ने संकल्प लिया था कि नौकरी लगने के बाद लगातार तीन वर्षों तक दर्शन के लिए पैदल डोंगरगढ़ जाएगी। इस वर्ष वह अंतिम बार जा रही थी।

You may also like