@Dakshi sahu Rao
CG Prime News@दुर्ग. छत्तीसगढ़ के दुर्ग ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के ग्राम कोडिय़ा के निवासी और भारतीय सेना के 19 महार रेजीमेंट के वीर जवान लांस हवलदार उमेश कुमार साहू 19 अक्टूबर को लेह-लद्दाख के बर्फीले पहाड़ी क्षेत्र में मां भारती की रक्षा करते हुए शहीद हो गए। उनका पार्थिव शरीर सोमवार को दुर्ग जिले के पैतृक गांव कोडिय़ा लाया गया। जहां शहीद को अंतिम विदाई देने के लिए पूरा गांव उमड़ पड़ा। जहां से शहीद की अंतिम यात्रा गुजरी लोगों की आंखें नम हो गई। भारत माता की जयकारे के साथ लोग शहीद अमर रहे के नारे लगाते रहे।
कलेक्टर भी पहुंची श्रद्धांजलि देने
गांव कोडिय़ा पहुंचने पर शहीद उमेश के स्वजन, ग्रामीण और जनप्रतिनिधियों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान नम आंखों से शहीद को अंतिम विदाई दी गई। सैनिक सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। दुर्ग कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक ने भी पुष्प चक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
दुर्ग से कोरिया तक निकाली बाइक रैली
इस अवसर पर उनके बलिदान को श्रद्धांजलि देने के लिए दुर्ग से कोरिया तक एक रैली निकाली गई। इस रैली में शहीद के पार्थिव शरीर को लेकर चल रहे सेना के वाहन के आगे और पीछे युवा बाइक पर सवार होकर श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे थे और वीर जवान के सम्मान में नारे लगा रहे थे।
कुछ महीने पहले छोटे भाई को खोया
ग्रामीणों ने बताया कि शहीद उमेश कुमार साहू मध्यम वर्गीय परिवार से थे। उन्होंने कुछ वर्षों में अपने बड़े भाई और मां को खोया, और हाल ही में जून माह में छोटे भाई का भी निधन हुआ। भाई के दशगात्र कार्यक्रम के बाद वह ड्यूटी पर लौटने वाले थे, लेकिन अपने बीमार पिता की देखभाल के कारण छुट्टी बढ़ानी पड़ी। उन्होंने 30 अगस्त को फिर से ड्यूटी जॉइन की और अपने देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। उनके घर में अब अस्वस्थ और आश्रित पिता, पत्नी और उनके दो बच्चे हैं, जिसमें 6 साल की बेटी और 3 साल का बेटा शामिल हैं।
मौत से एक दिन पहले पत्नी से हुई थी बात
शहीद उमेश की पत्नी ने बताया कि वे ड्यूटी से वापस लौटने के बाद रोज बात करते थे। घटना से एक रात पहले भी उनकी बात हुई थी, जब वे पूरी तरह स्वस्थ थे। शनिवार को आर्मी के अधिकारियों ने बताया कि वह अस्वस्थ हैं और शाम को स्थिति गंभीर बताई गई। रात 9 बजे उन्हें शहीद होने की सूचना मिली।