भिलाई। Seminar in Kalyan college भिलाई में मंगलवार को अहिल्या बाई होल्कर की जन्म जयंती मनाई गई। अहिल्या बाई होल्कर से लेकर उनके जीवन के तमाम संघर्षों से लेकर देश हित और राष्ट्र हित में उनके महत्वपूर्ण योगदानों का स्मरण किया गया। सेक्टर-7 स्थित कल्याण स्नातकोत्तर महाविद्यालय के इतिहास विभाग, आईक्यूएसी और पुण्य श्लोका लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर त्रिशताब्दी समारोह समिति के संयुक्त तत्वावधान में यह आयोजन किया गया। महाविद्यालय के सभागार में इस दौरान अहिल्याबाई होल्कर के संघर्षों को रेखांकित किया गया।
प्राचार्य ने दिया अहिल्या बाई का परिचय
सबसे पहले महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.विनय शर्मा ने अतिथियों और मुख्य वक्ताओं का विस्तार से परिचय दिया। प्राचार्य डॉ.विनय शर्मा ने बताया कि अहिल्या बाई होलकर मालवा की रानी और भारत के मंदिरों की रानी के नाम से भी पहचानी जाती है। होलकर वंश के संस्थापक मल्हार राव होलकर के पुत्र खांडेराव से उनका विवाह हुआ था। खांडेराव की असामयिक मृत्यु के बाद अहिल्या बाई ने शासन की बागडोर संभाली। Seminar in Kalyan college उन्होंने अपनी राजधानी महेशर में स्थापित की। रानी अहिल्या बाई एक धार्मिक और बड़ी दार्शनिक स्वभाव की थी। प्रजा की भलाई के लिए सर्वोच्च त्याग करने के कारण ही उन्हें श्लोक माता की उपाधि मिली। उन्होंने महेश्वर घाट, काशी में मणिकर्णिका घाट, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर, महाकालेश्वर मंदिर, सोमनाथ मंदिर का पुनरुद्धार और वाराणसी से कलकत्ता तक सड़क का निर्माण करवाया।
