प्रगति नगर में लोगों ने अरोरा से कहा-पांच साल में पार्षद ने सिर्फ अपना विकास किया, अब नहीं करेंगे गलती, आप प्रत्याशी दो, जिताएंगे हम

भिलाई@ CG Prime News. प्रगतिनगर वार्ड-30 की महिलाओं ने पूर्व सभापति राजेन्द्र अरोरा से मुलाकात कर निवर्तमान पार्षद के खिलाफ आक्रोश जताया है। महिलाओं ने कहा कि जिसे पांच साल विकास करने के लिए चुना था, वो उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा। पांच साल में पार्षद जी राजू ने सिर्फ अपना विकास किया है। सड़क, नाली और पानी की समस्या से पहले भी जूझ रहे थे, अब भी जूझना पड़ रहा है। मगर अब हमें विकास चाहिए। विकास करने वाला चाहिए।

पूर्व सभापति अरोरा से कहा कि, हमें विकास करने वाला प्रत्याशी आप दीजिए। जिताने की गारंटी हमारी। वैसे बता दें कि अरोरा लगातार कैंप क्षेत्र के वार्डों में लोगों से मेल-मुलाकात और बैठक कर रहे हैं। रविवार को वार्ड-30 प्रगतिनगर के रहवासियों से मुलाकात करने पहुंचे थे। शुरुआत प्रगतिनगर से की। इसके बाद गुपचुप मोहल्ला, आंबेडकर नगर और सुलभ के लोगों से चर्चा की।

महिलाओं ने लगाए गंभीर आरोप
अरोरा को एक महिला ने बताया कि मकान निर्माण के बिल्डिंग परमिशन दिलाने के नाम से लेकर नल कनेक्शन लगाने के नाम पर उन्हें परेशानी हुई। लोगों को जबरन परेशान किया गया। पार्षद ने इस विषय में ध्यान नहीं दिया। छोटे-छोटे काम के लिए हमें निगम के चक्कर कांटने पड़े। फोन लगाओं तो पार्षद कॉल भी रिसीव नहीं करते। ऐसी कई परेशानियों का सामना पांच साल तक करना पड़ा।

कोरोनाकाल का राशन कहां गया?

एक महिला ने पूर्व सभापति अरोरा से कहा कि, कोरोनाकाल में वार्ड में 6 लाख रुपए के राशन बांटने का दावा पार्षद करते हैं। मगर स्थिति ये है कि एक घर में राशन का दाना तक नहीं पहुंचा है। ऐसे में राशन कहां गया? इस पर अरोरा ने कहा कि, राशन के एक-एक दाना का हिसाब मांगा जाएगा। चुनाव में आपके बीच की प्रत्याशी को हम उतारेंगे। जो विकास करेगी। वार्ड का आरक्षण अनारक्षित महिला हुआ है।

पद मिला तो पार्षद का ही विकास हुआ: अरोरा

महिलाओं को संबोधित करते हुए पूर्व सभापति अरोरा ने कहा कि, जब एक सरकारी कर्मचारी या प्राइवेट कर्मचारी रिटायर होता है तो उसे इतने ही पैसे मिलते कि उस पैसे से सिर्फ एक कमरे का मकान बना सकता है या बेटी की शादी कर सकता है। लेकिन पार्षद राजू ने तो कार्यकाल के आखिरी 9 महीने में 20 लाख रुपए के बंगला ले लिया। जिसका एग्रीमेंट भी सामने है। अब सवाल तो ये उठता है कि पद मिलने के बाद पार्षद के पास इतना पैसा कहां से आया?

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