फिंगर प्रिंट्स, कदमों के निशान के साथ कई जांच की मिलेगी सुविधा
CG Prime News@भिलाई. फॉरेंसिक जांच की रिपोर्ट में हो रही देरी के कारण अपराध की गुत्थी सुलझने में भी समय लगता है लेकिन अब भिलाई में फॉरेंसिक लैब बनकर लगभग तैयार है। ऐसे में अब पुलिस को किसी वारदात की जांच के लिए रायपुर के फॉरेंसिक लैब पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। उसकी जांच भिलाई में ही हो जाएगी क्योंकि भिलाई के सेक्टर-४ में दुर्ग रेंज के रिजनल फॉरेंसिक साइंस लैब तैयार हो चुका है। इसमें दुर्ग-भिलाई के अलावा बालोद, राजनांदगांव, कवर्धा, खैरागढ़ और मानपुर मोहला में हुई वारदातों की जांच की जाएगी।
जानिए क्या है फॉरेंसिक लैब
एक्सपर्ट के अनुसार फॉरेंसिक लैब में किसी भी वारदात के उन साक्ष्यों की जांच की जाती है, जो घटना स्थल पर दिखाई तो नहीं देते लेकिन वारदात की कड़ी जोडऩे में उसका महत्वपूर्ण योगदान होता है। ये साइंटिफिक एविडेंस होते हैं जैसे अंगूठे का निशान, फिंगर प्रिंट्स व कदमों के निशान आदि। इन निशानों को नंगी आंखों से नहीं देखा जा सकता लेकिन फॉरेंसिक एक्सपर्ट इन निशानों के आधार पर गुनाहगार तक पहुंचने का रास्ता निकाल लेते हैं। सेक्टर-४ में बने फॉरेंसिक साइंस लैब में भी वे सभी संसाधन मौजूद होंगे, जिनसे क्राइम के सस्पेक्ट तक पहुंचने में सक्षम इंप्रेशन को डिटेक्ट किया जाएगा। छत्तीसगढ़ में जगदलपुर, अंबिकापुर और बिलासपुर के बाद चौथा रिजनल फॉरेंसिक लैब दुर्ग में जल्द शुरु हो जाएगा।
घटनाओं की वैज्ञानिक जांच होगी
दुर्ग रेंज क्षेत्रीय न्यायालयिक प्रयोगशाला के प्रभारी पंकज ताम्रकार ने बताया कि दुर्ग रीजन में आपराधिक घटनाओं की वैज्ञानिक जांच चरणबद्ध तरीके से होगी। अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ साक्ष्यों का परीक्षण किया जाएगा। निर्धारित मापदंड़ों का पालन करते हुए त्वरित गति से रिपोर्ट उपलब्ध कराई जाएगी।