Home » cg education news » Page 2
Tag:

cg education news

रूंगटा आर-१ इंजीनियरिंग कॉलेज के स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन का केंद्रीय मंत्री धमेंद्र प्रधान ने किया वर्चुअल उद्घाटन, पीएम मोदी भी कार्यक्रम का हिस्सा बने…

भिलाई . सरकारी जमीन पर कब्जा हो या फिर तय सीमा से अधिक भवन निर्माण, अब एक इंच भी जगह बढ़ाकर कंस्ट्रक्शन कराया तो नगर निगम को जानकारी तुरंत पहुंच जाएगी। यह शिकायत पहुंचाने वाला कोई व्यक्ति नहीं होगा, बल्कि नए जमाने की एआई टेक्नोलॉजी इसमें मददगार होगी। रूंगटा आर-1 इंजीनियरिंग कॉलेज में चल रहे स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन के पहले दिन बुधवार को टेक्नोक्रेट्स ने खास टेक्नोलॉजी का डेमो दिया, जो टीयर-3 सिटी भिलाई के साथ-साथ देश के महानगरों तक के इंफ्रास्ट्रक्चर की डिजिटल कुंडली तैयार कर सकती है।

नगर निगमों और महानगर पालिका के सिटी इंफ्रा डाटा को एनालाइज करते हुए यह सिस्टम बता सकता है कि, जिसे व्यक्ति या फर्म को भवन निर्माण के लिए किस अनुमात में अनुमति दी गई थी और निर्माण के बाद उसने तय सीमा में कंस्ट्रक्शन कराया है या फिर अतिक्रमण किया। यह सिस्टम ड्रोन टेक्नोलॉजी पर आधारित है। जिसमें ड्रोन शहर की डिजिटल मैपिंग करने के साथ-साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए निगमों द्वारा दी गई अनुमतियों का मिलान करता है साथ ही अनुमति के अतिरिक्त एक इंच भी अधिक होने या अतिक्रमण होने पर यह तुरंत सूचना भेजता है।

यह भी पढ़ें : डिप्टी CM की सुरक्षा में बड़ी चूक, अचानक घुस आई नीली बत्ती गाड़ी, पुलिस ने ड्राइवर को किया गिरफ्तार

सेटेलाइट इमेजिंग के जरिए करेगा काम

यह पूरा सिस्टम सेटेलाइट इमेजिंग के जरिए काम करता है। कहीं हुए निर्माण कार्य को डिटेक्ट करने के बाद ड्रोन को सेटेलाइट के साथ शेड्यूल किया जाता है। इसके जरिए यह पता लगाना आसान हो जाता है कि शहर में कहां-कहां पर रीसेंट निर्माण कार्य कराया गया है। इसके बाद ड्रोन को सर्वे के लिए तैयार किया जाता है, जिसमें पहले से फीड डाटा और अनुमति का मिलान करने के बाद यह कंस्ट्रक्शन एरिया में छेड़छाड़ पाया जाता है तो यह उस प्रॉपटी को ब्लैक लिस्ट कर जानकारी निगमों तक पहुंचा सकता है।

मसलन, यदि किसी को दो माले के भवन की अनुमति दी गई थी, लेकिन यदि तीसरा माला बनाया तो इसकी जानकारी तुरंत निगम प्रशासन के पास होगी और उस प्रॉपटी के मालिक के खिलाफ कार्रवाई हो सकेगी।

केंद्रीय मंत्री धमेंद्र प्रधान ने किया उद्घाटन

रूंगटा आर-१ में हो रहे इस नेशनल लेवल हैकाथॉन का उद्घाटन बुधवार को केंद्रीय मंत्री धमेंद्र प्रधान ने वर्चुअल तरीके से किया। इस दौरान उन्होंने सभी टीमों से उनके इनोवेशन पर बातचीत की। कहा कि, हैकथॉन सिर्फ तकनीक और इनोवेशन को जोडऩे का माध्यम नहीं है, बल्कि यह युवाओं को स्टार्टअप से जोडऩे का मौका भी देगा। छात्रों को ऐसे इनोवेशन करने को कहा जिससे समाज को नई दिशा में मिल सके। यह हैकाथॉन देशभर के चुनिंदा ५१ केंद्रों में हो रहा है। जिसमें भिलाई का रूंगटा आर-१ इंजीनियरिंग कॉलेज भी एक है। स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन का यह 7 वां एडिशन है, जिसमें एसआईएच 54 मंत्रालयों, विभागों, राज्य सरकारों, पीएसयू और उद्योगों द्वारा 250 से अधिक प्रॉब्लम स्टेटमेंट दिए गए हैं।

पीएम मोदी ने दी युवाओं को बड़ी सीख

इस कार्यक्रम में मौजूद टीमों से वर्चुअल संवाद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीमों को बड़ी सीख दी। उन्होंने कहा कि, मौजूदा दौर में साइबर क्राइम बड़ी चुनौती है। ठगी करने वाले काफी इनोवेटिव हैं। ऐसे में हमारे टेक्नोक्रेट्स को उनसे आगे की सोच रखनी होगी। अभी हम टेक्नोलॉजी के जरिए उनकी ठगी का तोड़ निकालते हैं लेकिन वे अगले कुछ घंटों में ही उस ट्रीक को समझकर अपना पैटर्न बदल देते हैं। ऐसे में उनके इस जाल से निपटने का एक ही रास्ता है, खुद को अपडेट रखना। टेक्नोक्रेट्स ऐसे टूल्स डेवलप करें जो कुछ घंटों में ही उनकी मूवमेंट को समझकर एक्शन प्लान तैयार कर लें ताकि देश को साइबर अपराधियों के जाल से सुरक्षित रखा जा सके।

आज होगा सभी टीमों का मूल्यांकन

इस स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन का समापन गुरुवार को होगा। हैकाथॉन में आई सभी २५ टीमों का मूल्यांकन करने के लिए देश की नामी सॉफ्टवेयर कंपनियों के बेहद अनुभवी डेवलपर्स भिलाई पहुंचे हुए हैं। इस हैकाथॉन में रूंगटा आर-१ इंजीनियरिंग  कॉलेज को भारत सरकार की एजुकेशन मिनिस्ट्री ने नोडल सेंटर बनाया है। साथ ही हैकाथॉन के सॉफ्टवेयर एडिशन की मेजबानी करने की जिम्मेदारी सौंपी है।

भिलाई . आईआईटी भिलाई की पहचान अब देश के साथ-साथ विदेश में भी बनना शुरू हो गई है। दक्षिण एशिया के देश म्यानमार के दो छात्रों ने आईआईटी भिलाई के पीएचडी प्रोग्राम में एडमिशन लिया है। यह दोनों छात्र फिजिक्स में पीएचडी की पढ़ाई पूरी करेंगे। इन इंटरनेशनल स्टूडेंट्स ने नामी निजी यूनिवर्सिटी और नजदीकी देशों के कॉलेजों को छोडक़र विशेष तौर पर आईआईटी भिलाई के पीएचडी प्रोग्राम को चुना।

आईआईटी भिलाई ने स्टडी इन इंडिया प्रोग्राम के तहत इंटरनेशनल स्टूडेेंट्स को एडमिशन दिया। यही नहीं आईआईटी ने नए स्टूडेंट्स को एमटेक और पीएचडी कोर्स के लिए आवेदन विंडो शुरू कर दी है। इन दोनों स्टूडेंट्स का चयन  विभिन्न लेवल की परीक्षाओं और इंटरव्यू के आधार पर किया गया।  आईआईटी ने इनके लिए कोर्स क्राइटेरिया तय कर दिया है जिसमें उनको एमटेक, एमएससी और पीएचडी प्रोग्राम ऑफर किया जा रहा है।

दस विषयों में पीएचडी की सुविधा

आईआईटी भिलाई 10 एमटेक प्रोग्राम में दाखिले देता है। इसके लिए आवेदक को आईआईटी की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदक का बीटेक प्रोग्राम में 60 फीसदी अंकों से उत्तीर्ण करना अनिवार्य है। केटेगरी छात्रों के लिए यह प्रतिशत 55 है। इनमें प्रवेश गेट स्कोर के जरिए दिया जाएगा। नए सेशन के आवेदन के लिए फार्म अभी लाइव है।

इनमें कर सकेंगे एमटेक

– बायोइंजीनियरिंग

– कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग

– डाटा साइंस एंड एआई

– इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग

– इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन

– इलेक्ट्रिक व्हीकल टेक्नोलॉजी

– मटेरियल साइंस

– मैकेनिकल इंजीनियरिंग

– मैकेट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग

आईआईटी भिलाई में फॉरेन स्टूडेंट्स की पढ़ाई के लिए विशेष व्यवस्थाएं होती है। कई देशों के छात्र यूजी, पीजी और पीएचडी के लिए विदेशी छात्र रुचि दिखा रहे हैं।
डॉ. राजीव प्रकाश, डायरेक्टर, आईआईटी भिलाई

भिलाई . छत्तीसगढ़ के शोधार्थियों को अपनी रिसर्च को बेहतर बनाने अब दुनिया के नामी जर्नल्स का सपोर्ट मिलेगा। एक ही मंच पर देश-दुनिया के वैज्ञानिकों और उनकी रिसर्च को एक्सेस कर पाएंगे। पहले छत्तीसगढ़ के विद्यार्थियों को इन रिसर्च जर्नल्स को पढऩे के लिए हजारों रुपए का सब्सिक्रिप्शन खरीदना होता था। उनके कॉलेज भी इस सब्सिक्रिप्शंस को नहीं लेते थे, लेकिन अब विद्यार्थियों और शोधार्थी  की यह समस्या दूर हो जाएगी। केंद्र ने इसके लिए एक विशेष प्लेटफार्म को तैयार किया है, जिसका नाम है वन नेशन वन सब्सिक्रिप्शन।

इस योजना के तहत प्रदेश के 53 हजार तकनीकी छात्रों के साथ 9436 रिसर्च स्कॉलर्स को रिसर्च सामाग्रियां  आसानी से मिल पाएंगी। प्रदेश के इंजीनियरिंग विद्यार्थियों को उनके प्रोजेक्ट्स के लिए रिसोर्सेस मिलेंगे। दुनियाभर के प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित 13 हजार से अधिक ई-जर्नल्स का सीधा एक्सेस मिल जाएगा। पूरा सिस्टम ऑनलाइन रहेगा। इसकी शुरुआत दिसंबर से होने जा रही है।

इंजीनियरिंग कॉलेजों को फायदा

इस पहल के बाद सामान्य डिग्री कॉलेज, विश्वविद्यालय और तकनीकी संस्थानों को रिसर्च जर्नल्स के लिए महंगी सब्सिक्रिप्शन फीस नहीं चुकानी पड़ेगी, जिससे विश्वविद्यालयों का बजट प्रभावित नहीं होगा। वर्तमान में प्रदेश में 14 निजी और शासकीय विश्वविद्यालय संचालित हैं, जिनमें करीब 8 हजार रिसर्च स्कॉलर अपनी पीएचडी के लिए रिसोर्स इकट्टा करने इधर-उधर के जर्नल्स का रेफरेंस लिया करते हैं। इसके अलावा प्रदेश के ३ शासकीय और 28 निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों को भी इससे फायदा मिलेगा। यहां के बीटेक और एमटेक विद्यार्थियों को उनके प्रोजेक्ट्स क लिए शोध सामाग्रियां आसानी से मिल पाएंगी। इसका फायदा आर्थिक कमजोर विद्यार्थियों व शोधार्थियों को सबसे अधिक होगा, जो अभी तक रिसर्च के लिए वैश्विक शोध सामाग्रियों तक पहुंच नहीं बना पा रहे थे।

अब डीयू और सीएसवीटीयू दायरे में आएंगे

अभी तक केवल केवल बड़े विश्वविद्यालय और प्रमुख संस्थानों के पास ही इन रिसर्च जर्नल्स का एंट्री एक्सेस था। महंगी सब्सिक्रिप्शन फीस होने से शोधार्थियों को इसका अलग से चार्ज देना पड़ता था। अब छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद विवि, दुर्ग विश्वविद्यालय और कामधेनु विश्वविद्यालय वन सब्सक्रिप्शन के तहत रहेंगे। यह संस्थान अपने विद्यार्थियों को दुनियाभर के रिसर्च जर्नल्स का लाभ दे पाएंगे। इससे अनुसंधान सामग्री की कमी के कारण छात्रों और शिक्षकों को अपने शोध कार्य में रुकावटों का सामना नहीं करना पड़ेगा।

आईआईटी, एनआईटी पर निर्भरता खत्म

अभी आईआईटी भिलाई और एनआईटी रायपुर जैसे संस्थानों के पास ही महंगी रिसर्च जर्नल्स का सब्सक्रिप्शन मौजूद है। किसी अन्य शोधार्थी को इन संस्थानों से रिसर्च जर्नल्स की कॉपी लेने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती थी। कई बार उन्हें इन संस्थान में अध्ययनरत दोस्तों या परिचितों की मदद लेनी पड़ती थी ताकि वे शोध-पत्रों तक पहुंच बना सकें। वन सब्सक्रिप्शन योजना से अब शोधर्थी को महज एक क्लिक में बिना कोई शुल्क दिए सभी जर्नल्र्स सामने मिलेंगे। 

वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन केंद्र सरकार की शानदार पहल है। इससे शोधार्थियों के साथ-साथ विद्यार्थियों को भी दुनियाभर के रिसर्च जर्नल्स नि:शुल्क पढऩे मिल जाएंगे। अभी तक यह रिसर्च सामाग्रियां सिर्फ आईआईटी और एनआईटी के पास ही मौजूद थीं। चुनिंदा संस्थान ही इसका लाभ अपने विद्यार्थियों को दे पाते थे।
डॉ. रामकृष्ण राठौर, डीन, रिसर्च एंड डेवलेपमेंट आरसीईटी आर-1 इंजीनियरिंग कॉलेज
                            

भिलाई . उच्च शिक्षा विभाग ने दुर्ग जिले में संगीत महाविद्यालय तो खोल दिया, पर इसकी जरूरतों का ख्याल रखना भूल गए। भवन का इंतजाम किए बिना ही साइंस कॉलेज कैंपस में दो कमरों से संगीत महाविद्यालय की शुरुआत करा दी। अब हालात ये हो गए हैं कि संगीत महाविद्यालय अपनी कक्षाएं लगाने दर-बदर भटकता फिर रहा है। दुर्ग संगीत महाविद्यालय की कक्षाएं कभी इधर, उधर के कमरों में लगानी पड़ रही है तो कभी साइंस कॉलेज के पुराने ऑडिटोरियम में कक्षाएं लगाना मजबूरी बन गया है।

इससे भी बड़ी विडंबना यह है कि, साइंस कॉलेज ने संगीत महाविद्यालय को कैंपस में जो दो कमरे दिए हैं, उनमें भी अल्टरनेटिव कक्षाओं का विकल्प है। यानी कॉमर्स की जब तक कक्षाएं पूरी होंगी तब तक संगीत महाविद्यालय के विद्यार्थी अपनी बारी का इंतजार करेंगे। कॉमर्स की कक्षा समाप्त होने के बाद उसी कक्ष में सगीत की भी पढ़ाई होगी। अभी साइंस कॉलेज में आंतरिक परीक्षाएं चल रही है। ऐसे में संगीत को दिए गए कमरों में भी परीक्षाएं जारी है।

आंतरिक परीक्षा के चलते ऑक्यूपाइड किए गए कमरों की वजह से संगीत महाविद्यालय की कक्षाएं पुराने ऑडिटोरियम में लगाना  मजबूरी बन गया है। मसला, यह भी है कि संगीत महाविद्यालय को जो दो कमरे दिए गए हैं, वो भी एक साथ नहीं होकर एक इधर तो दूसरा कहीं और है। वॉशरूम के लिए भी दोनों कॉलेजों के विद्यार्थियों में क्लैश हो रहा है।

नए भवन के लिए प्राचार्य ने किया पत्राचार

संगीत महाविद्यालय के खुद के स्थाई भवन के लिए नई प्राचार्य ने हाल ही में दुर्ग तहसीलदार ने मुलाकात कर कॉलेज के लिए जगह की तलाश का आग्रह किया है। तहसीलदार ने उन्हें जगह के विकल्प भी दे दिए, लेकिन जो विकल्प दिए गए वे दुर्ग शहर के न होकर आसपास लगे ग्रामीण क्षेत्रों के थे। संगीत महाविद्यालय ने जगह की तलाश के लिए जिला कलेक्टर से लेकर दुर्ग शहर विधायक गजेंद्र यादव को भी ज्ञापन सौंपा है।

हालांकि, उच्च शिक्षा विभाग ने संगीत महाविद्यालय  को नई व्यवस्था बनाने के लिए आसपास के क्षेत्र में किराए का भवन तलाशने का भी विकल्प दिया है। संगीत महाविद्यालय के नियमित संचालन के लिए अभी कम से कम ६ कमरों की जरूरत है, जबकि साइंस कॉलेज कैंपस में सिर्फ दो ही कमरे मिले हैं। कमरों की कमी की वजह से संगीत महाविद्यालय के छात्रों की पढ़ाई में भी बाधा आ रही है। प्राचार्य का डीडीओ पॉवर आना भी अभी बाकी है।

हेमचंद विवि का भवन हो सकता है विकल्प

संगीत महाविद्यालय ने उच्च शिक्षा विभाग से हुए पत्राचार में कहा है कि दुर्ग हेमचंद  यादव विश्वविद्यालय पोटियाकला में नया भवन बनकर तैयार हो गया है। ऐसे में वे अपने नए भवन में शिफ्ट हो जाएंगे। इसके बाद विवि का पुराना भवन खाली रहेगा जिसे दुर्ग संगीत महाविद्यालय को दिया जा सकता है। इस संबंध में विभाग विचार कर सकता है। हालांकि हेमचंद विश्वविद्यालय भी अपने भवन में कामकाज जारी रखते हुए दो कैंपस से संचालन की तैयारी में है।

बिना संगतकार के संगीत की कक्षाएं

अभी संगीत महाविद्यालय में ५४ विद्यार्थी तीन कोर्स वोकल म्युजिक, फोक के साथ भरतनाट्यम नृत्य की शिक्षा ले रहे हैं। इसके अलावा सहायक विषय हिंदी व अंग्रेजी की कक्षाएं भी संचालित करनी होती है। उच्च शिक्षा विभाग ने फिलहाल नियमित प्राध्यापकों की भर्ती नहीं की है, इसलिए गेस्ट लेक्चरर से ही काम चलाया जा रहा है। पूर्व में संगीत महाविद्यालय को १८ पदों पर स्वीकृति मिल चुकी है। वर्तमान में संगीत महाविद्यालय संगतकार नहीं है, जो कि कक्षाओं के संचालन के लिए सबसे जरूरी कड़ी है। संगतकार के अभाव में कहीं न कहीं विद्यार्थियों की शिक्षा प्रभावित हो रही है।

इस तरह है महाविद्यालय का सेटअप

– प्राचार्य – 1

– सहायक प्राध्यापक – 5

– संगतकार शैक्षणिक – 4

– सहायक ग्रेड – 3

– भृत्य – 2

– बुक लिफ्टर – 1

– स्वच्छक – 1

– चौकीदार – 1


संगीत महाविद्यालय के नए भवन के लिए प्रशासन और उच्च शिक्षा विभाग के स्तर पर जगह की तलाश की जा रही है। हाल ही में हमने तहसीलदार से जगह चयन के संबंध में मुलाकात की थी। उच्च शिक्षा विभाग ने टेम्प्रेरी व्यवस्था के तहत किराए के भवन का विकल्प भी दिया है। कक्षाएं नियमित तौर पर संचालित हो रही है।
डॉ. ऋचा ठाकुर, प्राचार्य, संगीत महाविद्यालय दुर्ग
                  

रायपुर। CG school Education छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने बड़ा कदम उठाया है। पहली बार प्रदेशभर के शासकीय हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों में 10वीं और 12वीं के छात्रों के लिए प्री-बोर्ड परीक्षा का आयोजन जनवरी 2025 के अंतिम सप्ताह में किया जाएगा। इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य छात्रों को बोर्ड परीक्षा के पैटर्न से अवगत कराना है, ताकि वे बेहतर तैयारी कर सकें।

CG school Education पाठ्यक्रम पूरा करने का निर्देश

स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी ने बताया कि सभी स्कूलों को 10 जनवरी तक पाठ्यक्रम पूरा करने का निर्देश दिया गया है। CG school Education  प्री-बोर्ड परीक्षा में वही पैटर्न अपनाया जाएगा जो माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा निर्धारित ब्लू प्रिंट के अनुसार है। इसके लिए जिलों को समय सारिणी तैयार करने और प्रश्नपत्र निर्माण की जिम्मेदारी दी गई है।

बच्चों को बोर्ड में मिलेगा लाभ

प्रश्नपत्र निर्माण की प्रक्रिया में विषय विशेषज्ञों को शामिल करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि छात्रों को सटीक और गुणवत्तापूर्ण परीक्षा CG school Education अनुभव मिल सके। छात्रों और अभिभावकों में इस निर्णय को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रिया देखी जा रही है, क्योंकि इससे बच्चों को बोर्ड परीक्षा के दबाव में बेहतरी से सामना करने का अवसर मिलेगा।


दुर्ग । यह तस्वीर दुर्ग रसमड़ा स्थित टेक्नोलॉजी की है, जहां महिलाओं को विश्वकर्मा योजना के तहत महिलाओं को सिलाई का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इन तस्वीरों में देखा जा सकता है कि घर की गृहणी कक्षा में बैठकर प्रशिक्षण ले रही है, जबकि उनके पती बाहर बैठकर बच्चों को संभाल रहे हैं।

यह दुर्लभ तस्वीर महिलाओं के प्रति सम्मान का प्रतीक भी है, साथ में यह तस्वीर महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने का ऐलान भी कर रही है। टेक्नोलॉजी सेंटर में हर महीने सैकड़ों महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह प्रशिक्षण समाप्त होने के बाद उनको सिलाई मशीन भी वितरित की जाएगी। इसके लिए उन्हें शासकीय नियम से प्रक्रियाएं पूर्ण करनी होंगी।

थ्योरी और प्रैक्टिकल साथ

महिलाओं को कपड़ों की सिलाई की अलग-अलग कला सिखाई जा रही है। इसमें महिलाओं को सीधे मशीन पर बैठाने से पहले सिलाई की तकनीकी थ्योरी क्लास के जरिए सिखाई जा रही है। इससे महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही है। वहीं ट्रेनिंग ले रही महिलाओं ने बताया कि, कल तक घरों में बेकार बैठे रहते थे, लेकिन आज सरकार की ओर से जो प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

इससे महिलाएं आत्मनिर्भर बनने के साथ अपने घर परिवार को बेहतर सुविधाएं दिलाने में भी मदद कर सकेंगी। यह प्रशिक्षण लेने के बाद महिलाओं को अपने क्षेत्र विशेष में सिलाई का काम बड़ी आसानी से मिल सकेगा। यह सभी महिलाएं सर्टिफाइड टेलर्स होंगी, जिनको पीएम विश्वकर्मा योजना के अंतर्गत टेक्नोलॉजी सेंटर से प्रमाण पत्र वितरित किया जाएगा।

बन पाएंगी रोजगार के काबिल

प्रशिक्षण के बाद यह महिलाएं शासकीय योजनाओं के जरिए लोन लेकर अपना खुद का व्यावसाए शुरू कर पाएंगी। इससे उन्हें रोजगार के मौके मिल सकेंगे।

वहीं इस पर बात करते हुए दुर्ग टेक्नोलॉजी सेंटर के ट्रेनिंग मैनेजर जेके मोहंती ने बताया कि, प्रशिक्षण के बाद इन लोगों को काम करने के लिए किट वितरण किए जाते हैं, जिससे ये महिलाएं पैसे की अच्छी कमाई कर सकती है।

भिलाई . छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय की यूटीडी सहित तमाम तकनीकी कॉलेजों के लिए नया सिलेबस तैयार किया जा रहा है। यह सिलेबस राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत होगा, जिसमें छत्तीसगढ़ रीजन लैंग्वेज से भी पढ़ाई करने का मौका मिलेगा। सीएसवीटीयू ने सिलेबस तैयार करने टास्क फोर्स का गठन कर दिया है। इसमें तकनीकी शिक्षा संचालनालय के आला अफसरों के साथ अन्य विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर भी मदद करेंगे। इसको लेकर हाल ही में एक बैठक हुई है, जिसमें सीएसवीटीयू में इंडियन नॉलेज सेंटर बनाने का निर्णय लिया गया है।

बहरहाल, इस साल विद्यार्थियों को पुराना सिलेबस ही पढऩा होगा, लेकिन अगले सत्र के नव-प्रवेशित छात्रों को नया अपडेटेड सिलेबस मिलेगा। इस सिलेबस की खास बात यह है कि, इसमें थ्योरी को कम और प्रैक्टिकल को अधिक क्रेडिट दिए जाएंगे। जिससे विद्यार्थियों को इंजीनियरिंग के साथ तमाम टेक्निकल कोर्स की बारीकियां भी सीखने को मिलेंगी। नए सिलेबस में इंडस्ट्रियल विजिट को तरजीह देते हुए ही कोर्स कंटेंट डिजाइन करने की जिम्मेदारी बांटी गई है।

इंजीनियरिंग में भी नहीं रहेगी ऐज लिमिट

कोर सिविल इंजीनियरिंग का छात्र कंप्यूटर साइंस के सब्जेक्ट भी पढ़ेगा। लिट्रेचर, म्युजिक, पोएट्री, ड्रामा, सामाजिक विज्ञान जैसे दर्जनों विषयों में से अपनी रुचि का विषय चुन सकेंगे। इसके साथ अब इंजीनियरिंग छात्रों को इंडियन नॉलेज सिस्टम के तहत कोर्स भी पढऩे को मिलेंगे। यह विषय छात्र इलेक्टिव सब्जेक्ट के तौर पर चुन सकेंगे, जिसके उनको क्रेडिट अंक भी दिए जाएंगे। तकनीकी शिक्षा संचालनालय ने अगले शैक्षणिक सत्र से तकनीकी पाठ्यक्रमों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-२०२० लागू करने का निर्णय ले लिया है। डीटीई में एनईपी लागू करने को लेकर अहम बैठक हुई, जिसमें छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय ने भी अपना मसैादा विभाग के सामने रखा।

उम्र का बंधन अब नहीं

राज्य में एनईपी लागू होने के बाद इंजीनियरिंग के साथ किसी भी टेक्निकल कोर्स में दाखिले के लिए आयु सीमा का बंधन नहीं रहेगा। पहले २५ वर्ष की अधिकतम आयु तक ही इंजीनियरिंग कॉलेजों में नियमित प्रवेश दिए जाते थे, लेकिन अब 80 वर्ष का व्यक्ति भी इंजीनियरिंग की नियमित पढ़ाई करेगा।

करिकूलम बदलेगा सीएसवीटीयू

एनईपी के तहत कोर्स कंटेंट में बड़ा बदलाव होना है। इसके लिए छात्रों का कोर्से करिकूलम पूरी तरह से बदल जाएगा। कोर्स को इंडस्ट्री ट्रेंड के हिसाब से तैयार करने की जिम्मेदारी सीएसवीटीयू की होगी। कुछ कोर्स सेंट्रल बॉडी से भी मिलेंगे जिसको सीएसवीटीयू अपने छात्रों के बीच लागू करेगा। इसके अलावा नए सेशन से थ्योरी कम और प्रैक्टिकल ज्यादा की नीति लागू होगी जिसमें रेश्यो 40-60 होगा। इसके अलावा इंटर्नशिप की अवधी भी बढ़ेगी।

मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्स

अभी तक छात्र सिर्फ क्लासरूम तक ही सीमित थे, लेकिन अब पढ़ाई का तरीका पूरी तरह से बदल जाएगा। वैल्युएडेड कोर्स की पढ़ाई मॉक यानी मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्स के जरिए कराई जाएगी। इसके लिए छात्रों को सीएसवीटीयू कई सारे लर्निंग प्लेटफार्म उपलब्ध कराएगा। कोर विषय के अतिरिक्त किसी भी अन्य विषय में भी मॉक कोर्स करने पर इसके अंक छात्र के मार्कशीट में जोड़ दिए जाएंगे। कोर्स का क्रेडिट ट्रांसफर होगा।

स्किल बेस्ड कोर्स का चयन करेंगे

अपने मुख्य विषयों के साथ-साथ विद्यार्थियों को स्किल बेस्ड विषय भी चुनने की आजादी होगी। इसमें ऐसे कोर्स रखे गए हैं, जिनका सीधा संबंध नौकरी हासिल करने से है। यानी जॉब मार्केट में चल रही स्किल को ध्यान में रखकर छात्र खुद को डेवलप करेंगे। इसमें कम्युनिकेटिव स्किल से लेकर कंप्यूटर एवं क्रिएटिव आर्ट एंड डिजाइन, पब्लिक स्पीकिंग, डिजिटल मार्केटिंग जैसा सबकुछ होगा। इसमें कई आधा सैकड़ा कोर्स ऑफर किए जाएंगे।

सभी कॉलेजों में होगा इन्क्यूबेटर

डीटीई में दिए गए प्रजेंटेशन में सीएसवीटीयू ने अपना पक्ष रखते हुए तमाम इंजीनियरिंग कॉलेजों में स्टार्टअप इन्क्यूबेशन को अनिवार्य करने की बात रखी है। एनईपी के तहत इसकी निगरानी सीएसवीटीयू करेगा। इसके साथ सभी कॉलेजों को छात्रों के प्लेसमेंट के लिए भी विशेष सेल गठित बनाने के निर्देश दिए जाएंगे। तीसरे सेमेस्टर से आखिरी वर्ष की प्लेसमेंट में बेहतर तैयारी के लिए ट्रेनिंग शुरू होगी।

अगले सत्र से इंजीनियरिंग सहित तमाम तकनीकी कोर्स का सिलेबस बदल जाएगा। इसको लेकर संचालनालय से बैठक हुई है। कोर्स कंटेंट को तैयार करने के लिए विशेष टास्क फोर्स का गठन है। सिलेबस इस तरह से तैयार किया जाएगा कि इसमें स्किल बेस्ड एजुकेशन पर फोकस हो।
अंकित अरोरा, कुलसचिव, सीएसवीटीयू
—————————

भिलाई . अगर आप भी खुद को आंत्रप्रेन्योर के तौर पर देखते हैं और एक बड़ा ब्रांड बनाने की तमन्ना है तो अब फंडिंग के लिए परेशान होने की कोई नहीं होगी। इसमें रूंगटा बिजनेस इन्क्यूबेशन सेंटर (रूबी) आपकी मदद करेगा। भारत सरकार के स्टार्टअप इंडिया मिशन में रूंगटा आर-1 इंजीनियरिंग कॉलेज भी अहम भूमिका निभाएगा। युवाओं के बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए आर्थिक मदद करेगा।

इसके लिए स्टार्टअप इंडिया ने छत्तीसगढ़ में पहली बार रूंगटा कॉलेज टेक्नोलॉजी बिजनेस इन्क्यूबेशन सेंटर को दो करोड़ रुपए की सीड फंडिंग जारी कर दी है। ऐसे में यदि आपको पास भी बिजनेस का कोई अच्छा आइडिया है और फंड की कमी के कारण उसे आगे नहीं बढ़ा पा रहे हैं तो जल्दी ही रूंगटा इन्क्यूबेशन के लिए आवेदन कर दीजिए। आवेदन स्क्रूटनी के बाद रूंगटा इन्क्यूबेशन प्रत्येक स्टार्टअप आइडिया को 20 लाख रुपए तक की सीड फंडिंग जारी करेगा।

इन सेक्टर्स में पाएंगे फंडिंग

आवेदक को सोशल इम्पैक्ट, वेस्ट मैनेजमेंट वॉटर मैनेजमेंट, फाइनैंशियल इन्क्यूबेशन, एजुकेशन, एग्रीकल्चर, फूड प्रोसेसिंग, बायोटेक्नोलॉजी, हेल्थकेयर, एनर्जी मोबेलिटी, डिफेंस, रेलवे, ऑइल, गैस और टैक्सटाइल के बिजनेस आइडिया को प्राथमिकता दी जाएगी। आवेदन करने के लिए स्टार्टअप इंडिया की वेबसाइट पर जाना होगा। यहां आपको सीड फंड स्कीम का विकल्प मिलेगा।

इसमें पंजीयन करने के बाद अपना स्टार्टअप आइडिया प्रजेंट करेंगे। पंजीयन पूरा होते ही आपका आवेदन रूंगटा इन्क्यूबेशन के पास पहुंच जाएगा। इसके बाद रूंगटा इन्क्यूबेशन सीड मैनेजमेंट कमेटी के एक्सपर्ट बिजनेस आइडिया को परखेंगे। आइडिया में इनोवेशन दिखाई देने पर फंडिंग की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

जानिए… कैसे मिलेगी फंडिंग

रूंगटा बिजनेस इन्क्यूबेशन सेंटर के सीईओ जी. वेणुगोपाल ने बताया कि इंजीनियरिंग सहित तमाम पाठ्यक्रमों के नव-प्रवेशित विद्यार्थियों को अगले कुछ वर्षों में आंत्रप्रेन्योर्स के तौर पर तैयार करने की योजना बनाई गई है। इन विद्यार्थियों के साथ-साथ प्रदेश का कोई भी भावी आंत्रप्रेन्योर अपना आइडिया पिच कर फंडिंग के लिए आवेदन कर सकता है।

वर्तमान में 18 स्टार्टअप आइडिया पर काम चल रहा है, जिन्हें सीड फंडिंग भी दी गई है। यह प्रदेश का पहला संस्थान है, जिसको भारत सरकार ने दो करोड़ के फंड तक जारी करने की मंजूरी दी है। यह बिजनेस इन्क्यूबेशन कंपनी एक्ट में भी पंजीकृत है। इसके साथ ही यहां मार्केटिंग और मैनेजमेंट के अनुभवी एक्सपर्ट मौजूद हैं जो आपकी भरपूर मदद करेंगे। उस बिजनेस को बाजार तक पहुंचाने का माध्यम बनेंगे।

एक्सपर्ट बताएंगे मार्केट की बारीकियां

आंत्रप्रेन्योर्स और विद्यार्थियों को स्टार्टअप की बारीकियां समझाने के लिए रूबी ने विभिन्न मल्टीनेशनल कंपनियों के एक्सपट्र्स से करार किया हुआ है। यह एक्सपर्ट मौजूदा मार्केट ट्रेंड से लेकर बजट मैनेजमेंट तक सबकुछ समझाएंगे। हाल ही में बैंगलुुरु की कंपनी ग्रीन स्टेप्स एफएमएस के एमडी वात्सल्य मूर्ति रूबी के कार्यक्रम में शामिल हुए और यंग आंत्रप्रेन्योर के साथ छात्रों को स्टार्टअप की जरूरी बातें समझाईं। उन्होंने प्रोडक्ट लॉन्च से लेकर उसकी मार्केटिंग के लिए इस्तेमाल हो रहे हाईटेक टूल्स की जानकारी दी।

भिलाई . आईआईटी भिलाई में संस्कृति, भाषा और परंपरा केंद्र की स्थापना की गई है। यह केंद्र परिसर में एक बहुसांस्कृतिक और बहुभाषी वातावरण बनाने के लिए स्थापित किया गया है। इस केंद्र में विशेष रूप से छत्तीसगढ़ समुदायों की भाषाई विविधता, सांस्कृतिक बहुलवाद, पारिस्थितिक ज्ञान और सामूहिक स्मृति को अग्रभूमि में लाने के लिए काम करेगा।

सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष

यह केंद्र सांस्कृतिक विरासत, विश्व साहित्य, लुप्तप्राय भाषाओं, तुलनात्मक भाषा विज्ञान, स्वदेशी ज्ञान, सांस्कृतिक स्वास्थ्य और सतत विकास के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर समाज के लिए सामयिक प्रासंगिकता के मुद्दों पर अनुसंधान को बढ़ावा देगा। आईआईटी भिलाई के निदेशक प्रोफेसर राजीव प्रकाश इस केंद्र के सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष हैं।

वैदिक मैथ्स की ट्रिक समझाई

इसी कड़ी में मंगलवार को इस केंद्र ने आईआईटी भिलाई के मिथिला लेक्चर हाल में उद्घाटन व्याख्यान रखा गया। वैदिक गणित की अनिवार्यता विषय पर हुए व्याख्यान में पंजाब नेशनल बैंक के जीएम जोनल आशीष चतुर्वेदी शामिल हुए। उन्होंने वैदिक गणित की बारीकियां आईआईटी के विद्यार्थियों को समझाई।

वैदिक गणित की अवधारणा समझाई

छात्रों को सरल और सुलभ तरीके से वैदिक गणित की अवधारणाओं को समझाने के लिए विशेष सेशन लिया। डायरेक्टर प्रोफेसर राजीव प्रकाश ने इस क्षेत्र में छात्रों की रुचि पर संतोष व्यक्त किया और संकाय और छात्रों को भारत की स्वदेशी ज्ञान प्रणालियों पर इस तरह के और सत्र आयोजित करने के लिए प्रोत्साहित किया।

आज और कल दावा आपत्ति

CG Prime News@भिलाई . राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) से नए सत्र के लिए बीएड कॉलेजों में प्रवेश की काउंसलिंग चल रही है। मंगलवार को काउंसलिंग के तहत प्रथम चरण की सूची से कॉलेजों में दाखिले लेने अंतिम दिन रहा। अब बुधवार को एससीईआरटी रिक्त सीटों की जानकारी साझा करने के साथ दावा आपत्ति का मौका देगा। दावा आपत्ति के लिए 26 और 27 सितंबर को दो दिन दिया जाएगा।

दोबारा से विकल्प आवेदन

प्रथम चरण की द्वितीय सूची 30 सितंबर को जारी होगी। इसमें अलॉट हुई सीटों पर 7 अक्टूबर तक प्रवेश लेना होगा। इसमें 8 सितंबर को खाली रह गई सीटें मालूम होंगी। इन्हीं सीटों को द्वितीय चरण की मुख्य काउंसलिंग में शामिल किया जाएगा।
इस तरह है दूसरा चरण जिन विद्यार्थियों को प्रथम चरण की मुख्य काउंसलिंग के दोनों चरणो में सीटें नहीं मिल पाएंगी, उनको 0 से 14 अक्टूबर तक दोबारा से विकल्प आवेदन करना होगा।

रिक्त सीटों की जानकारी

द्वितीय चरण की प्रथम दावा आपत्ति 17 और 18 अक्टूबर तक ली जाएगी। इसके बाद 21 अक्टूबर को द्वितीय चरण की मेरिट सूची प्रकाशित की जाएगी। द्वितीय चरण की सूची में आवंटित अभ्यर्थियों को कॉलेज में प्रवेश 21 से 25 अक्टूबर के बीच लेना होगा। इसमें रिक्त सीटों की जानकारी अभ्यर्थी को 28 अक्टूबर को मिलेगी।

एक राउंड काउंसलिंग और होगी

इसके बाद द्वितीय दावा आपत्ति के लिए 29 व 30 अक्टूबर यानी दो दिन मिलेंगे। इसमें 11 नवंबर तक कॉलेजों में प्रवेश लेना होगा। रिक्त सीटों का ब्योरा 12 नवंबर को मिलेगा। इस दौरान यदि कॉलेजों में सीटें रिक्त रह जाती हैं तो इसके बाद एक राउंड काउंसलिंग और होगी।

भिलाई . छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय में अगले साल से यूटीडी में बी.फार्मेसी के साथ मास्टर ऑफ फार्मेसी की पढ़ाई भी शुरू होगी। सीएसवीटीयू ने इसकी तैयारी कर ली है। प्रस्ताव फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया को भेजा गया है। ये प्रस्ताव जल्द ही कार्यपरिषद में रखा जाएगा। यूटीडी भवन का नया ब्लॉक निर्माण पूरा होने के साथ ही इसमें कक्षाएं शुरू होंगी। इस साल से यूटीडी भवन में बी.फार्मेसी का आगाज हो जाएगा। रायपुर फार्मेसी कॉलेज को सीएसवीटीयू ने यूटीडी में शिफ्ट कर लिया है।

इस बार की काउंसलिंग में तकनीकी शिक्षा संचालनालय सीएसवीटीयू फार्मेसी को भी जोड़ेगा। अभी जहां बी.फार्मेसी की ६० सीटों का इनटेक दिया गया है, वहीं अगले साल से शुरू होने वाले एम.फार्मेसी में ३० सीटों का शुरुआती इनटेक रखने की तैयारी है। इस संस्थान का नाम सीएसवीटीयू कॉलेज ऑफ फार्मेसी होगा।

बचे थे आखिरी दो कॉलेज

पहले आयुष विश्वविद्यालय की संबद्धता से संचालित रायपुर और राजनांदगांव के यूनिवर्सिटी फार्मेसी कॉलेज अब छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय चला रहा है। ये दोनों ही कॉलेज आखिरी थे, जिनका संचालन आयुष विवि कर रहा था। इस तरह इन दोनों कॉलेजों को चलाने के लिए आयुष विवि में अलग से पूरा सेटअप काम करता था, जबकि प्रदेश के तमाम फार्मेसी कॉलेजों को सीएसवीटीयू संबद्धता देता था। इस संबंध में आयुष विवि ने सीएसवीटीयू से पत्राचार किया, जिसमें कॉलेजों को अपनी टेरीट्ररी में लेने का आग्रह किया गया। सीएसवीटीयू ने एनओसी दे दिया, जिसके बाद फार्मेसी के दोनों कॉलेज सीएसवीटीयू के संघटक बन गए।

अगले साल बढ़ेगी सीटें

सीएसवीटीयू के पास रायपुर और राजनांदगांव को मिलाकर दो संघटक फार्मेसी कॉलेज हैं। इनमें से इस साल सिर्फ रायपुर को ही शामिल किया जा रहा है। इसलिए सीट इनटेक ६० रखा है। वहीं अगले साल से यूटीडी फार्मेसी में राजनांदगांव का कॉलेज भी शामिल हो जाएगी। इस तरह सीएसवीटीयू कैंपस में चलाए जा रहे बीफार्मा कोर्स की सीटें बढक़र १२० हो जाएगी। इसके बाद दो साल में सीएसवीटीयू यहां पीजी कोर्स भी शुरू कराएगा।

अगले सत्र से सीएसवीटीयू यूटीडी में एम.फार्मेसी की शुरुआत होगी। नए यूटीडी भवन में कक्षाएं लगाई जाएगी। प्रस्ताव भेजा गया है। शासन से इनके लिए जरूरी पद भी मांगे जाएंगे।
डॉ. एमके वर्मा, कुलपति, सीएसवीटीयू

दंतेवाड़ा। कन्या आश्रम की अधीक्षिका का ट्रांसफर हो गया। यह खबर जैसे ही वहां रहने वाली छात्राओं को लगी तो वो बिछड़ने के गम के कारण भावुक हो गई और आंखों से आंसुओं की धारा बहने लगी। अधीक्षिका और उनकी छात्राओं के बीच यह भावुक पल बस्तर व दंतेवाड़ा के सीमाई क्षेत्र बागमुंडी पनेडा कन्या आश्रम में देखने को मिला।

मैडम का हो गया है ट्रांसफर

यहां आश्रम की अधीक्षिका का ट्रांसफर होने के बाद बच्चों ने भावुक होकर उन्हें घेर लिया और रोने लगे। अधीक्षिका लंबे समय से आश्रम में पदस्थ थीं और बच्चों के साथ एक गहरा आत्मीय संबंध बन गया था। जैसे ही बच्चों को उनके ट्रांसफर की जानकारी मिली, वे उदास हो गए और उनके जाने से पहले उन्हें घेर कर हाथ पकड़ कर रोने लगे।

रोती बिलकती रहीं छात्राएं

जब इस घटना की जानकारी मीडिया तक पहुंची तो मीडिया टीम भी वहां पहुंची, लेकिन नई अधीक्षिका ने बच्चों से बात करने के लिए मीडिया को रोका। इसके बावजूद, बाहर से ही यह दृश्य कैमरे में कैद हो गया। अधीक्षिका ने बताया कि बच्चों के साथ उनके भावनात्मक संबंध के कारण बच्चे रोने लगे, जब वह आश्रम से बाहर जाने लगीं। राजनीतिक दबाव के कारण वह पद छोड़ रही है।