भिलाई . खो-खो सिर्फ एक खेल नहीं बल्कि जीवन में रणनीति सीखने की कला है। महाभारत काल में भी इस प्रकार की प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता था। कई रूपों में यह खेल खेला जाता रहा है। ये बातें दुर्ग संभाग के अपर संचालक, उच्च शिक्षा विभाग, डॉ. राजेश पाण्डेय ने कहीं। वे साइंस कॉलेज दुर्ग में हो रहे राज्य स्तरीय पुरूष खो-खो प्रतियोगिता के मुख्य अतिथि थे।
उन्होंने कहा कि, इस खेल से खिलाडिय़ों में निर्णय क्षमता का विकास और बौध्दिक क्षमता का विकास होता है। कॉलेज के खेल अधिकारी लक्ष्मेन्द्र कुलदीप ने बताया कि दो दिवसीय राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में 10 सेक्टर दुर्ग, बिलासपुर, रायपुर, राजनांदगांव, कोरबा, रायगढ़, सरगुजा, बस्तर, जांजगीर चांपा, बलौदा बाजार आदि स्थानों के लगभग 120 से अधिक खिलाड़ी हिस्सा ले रहे है।
महाविद्यालय जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष शिवेंद्र परिहार भी कार्यक्रम में शामिल रहे। कार्यक्रम का संचालन करते हुए महाविद्यालय की सहायक प्राध्यापक डॉ. दिव्या कुमुदिनी मिंज ने प्रतियोगिता के आयोजन एवं उसके महत्व पर प्रकाश डाला।