दिव्यांग मितान को प्रशिक्षिण देकर बताया किस तरह करें मानसिक दिव्यांग बच्चों की देखभाल

CG Prime News@बिलासपुर. जिला पुनर्वास केंद्र व समाज कल्याण विभाग बिलासपुर के सहयोग से बुधवार को मूक बधिर, श्रवण बाधिव व दृष्टि बाधित स्कूल तिफरा बिलासपुर में एक दिवसीय प्रत्यास्मरण कार्यक्रम हुआ। राष्ट्रीय पुनर्वास कार्यक्रम में मानसिक चिकित्सालय बिलासपुर, जिला पुनर्वास केंद्र व दृष्टि बाधित विद्यालय से आए अतिथियों ने विकलांग मितानों को जागरूक किया।

कार्यक्रम में बिलासपुर डेफ एसोसिएशन की शिक्षिका पूजा सिंह राजपूत ने श्रवण बाधित बच्चों की शिक्षा एवं पुनर्वास के संबंध में बात रखी। इसके बाद बिलासपुर ब्रेल प्रेस उपनियंत्रक ने प्रेललिपि पर जानकारी दी। बिलासपुर दृष्टि बाधित कन्या विद्यालय के दीपक दांड्या ने दृष्ट बाधित बच्चों के प्रवेश और दी जाने वाली सुविधाओं के संबंध में जानाकारी दी। बिलासपुर राज्य मानसिक चिकित्सालय सेंदरी के चिकित्सा मनोवैज्ञानिक डॉ. दिनेश कुमार लहरी ने मानसिक दिव्यांगजनो के प्रमाण पत्र एवं रोकथाम के संबंध में बताया। जिला पुनर्वास अधिकारी जिला पुनर्वास केंद्र अरविंद सोनी ने विभागीय योजनाओ के बारे में बताया गया। जिला पुनर्वास केंद्र के एमआरए देवबाला ठाकुर ने 21 प्रकार की दिव्यांगता, यूनिक आईडी व थेरेपी के बारे में जानकारी दी। राज्य मानसिक चिकित्सालय से आए चिकित्सा मनोवैज्ञानिक डॉ. लहरी ने मानसिक दिव्यांग बच्चों को होने वाली समस्याओं और उनके निदान के संबंध में विस्तार से बताया। दिव्यांग मितानों को बताया गया कि किस प्रकार से ऐसे बच्चों को देखरेख करें और साथ ही साथ उनके परिवार के बाकी सदस्यों को किस तरह जागरूक करें कि वह ऐसे बच्चों के साथ कैसा व्यवहार करें और उनकी देखरेख किस प्रकार से करें। इतना ही नहीं उनके उपचार व उस दौरान बरती जाने वाली सावधानियों को लेकर भी चर्चा की गई।

डॉ. लहरी ने कार्यक्रम में बताया कुछ बीमारियां ऐसी हैं जो कि खासकर मानसिक दिव्यांग बच्चों को होती हैं। ऐसी समस्या सामने होने पर संबंधित का विशेष ध्यान देने की जरूरत है। कार्यक्रम में बताया गया कि किस तरह ऐसे बच्चों का बुद्धि परीक्षण कर उनकी दिव्यांगता का निर्धारण करना होता है। ऐसे बच्चों का बुद्धि का परीक्षण करना बहुत ही जरूरी होता है। इसके लिए मनोवैज्ञानिकों की बहुत ज्यादा जरूरत है। कार्यक्रम में अन्य वक्ताओं ने दिव्यांगता के क्षेत्र में काम करने वाले दिव्यांग मित्रों को अलग-अलग विषय पर जानाकरी दी गई।

इस प्रशिक्षण के बाद दिव्यांग मितान भविष्य में आने वाली कठिनाइयों से निपट सकेंगे। इस दौरान उन्हें यह भी जानकारी दी गई कि मानसिक दिव्यांग बच्चों के साथ और उनके परिवार वालों के साथ मिलकर किस तरह से व्यवहार करें। विशेष चर्चा के दौरान बताया गया कि व्यवहार ही एक ऐसा उपचार है जिससे हम इस प्रकार के बच्चों को नकारात्मक चीजों से बचा सकते हैं और समाज का भावी नेतृत्व करने वाला व्यक्ति बना सकते हैं।

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