Durg University हेमचंद यादव विश्वविद्यालय ने हाल ही में पुनर्मूल्यांकन के नतीजे जारी किए हैं। इनसे विश्वविद्यालय का मूल्यांकन सिस्टम एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गया है। सैकड़ों विद्यार्थियों को प्रथम मूल्यांकन में मिले अंक पुनर्मूल्यांकन में 20 से 30 फीसदी तक अचानक बढ़ गए हैं। अकेले बीएससी फाइनल ईयर में ही पुनर्मूल्यांकन से अंकों में बड़ा बदलाव आया है। दोबारा हुई जांच में 26 विद्यार्थी जो पहले फेल थे, वे सभी पास हो गए। इसी तरह पहले फेल और पुनर्मूल्यांकन के बाद एक विषय में पूरक आने वालों का आंकड़ा ७८ पहुंच गया है। इन आंकड़ों में 212 छात्र ऐसे हैं, जिनको पहले सप्लीमेंट्री दी गई थी, पर पुनर्मूल्यांकन के नतीजे आए तो अंकों का गणित बदल गया। यह भी २१२ छात्र पास हो गए। इस एक परीक्षा में ही 205 विद्यार्थियों की जांच में पहले लापरवाही बरती गई थी। इसका खुलासा भी विश्वविद्यालय की पुनर्मूल्यांकन ही कर रही है। दरअसलन, 205 छात्र ऐसे हैं, जिनकी उत्तरपुस्तिका दोबारा जांचने से अंकों में 20 फीसदी का वेरीएशन आया है। बीएससी के अलावा अन्य पूनर्मूूल्यांकन के विषयों में भी ऐसे ही रिजल्ट चर्चा का विषय बने हुए हैं।
क्या पहले गलत जांची कॉपियां?
आम तौर पर हर प्रोफेसर का उत्तरपुस्तिका जांचने का तरीका अलग होता है। कोई एक उत्तर के लिए 5 अंक दे सकता है तो कोई उसी के 7 अंक भी देता है। दस फीसदी का अंतर सामान्य माना जाता है। इस केस में विद्यार्थियों के अंक 20 से 30 फीसदी तक बढ़ गए हैं। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या प्रथम मूल्यांकन में ही उत्तरपुस्तिका की जांच गलत तरीके से या लापरवाही से की गई? ऐसे नहीं है कि पुनर्मूल्यांकन के बाद विद्यार्थियों के अंक सिर्फ बढ़े हैं, बल्कि सैकड़ों विद्यार्थियों के अंक घटे भी हैं।
हर प्रोफेसर अपने स्तर पर उत्तरपुस्तिका जांचता है। रीवेल में तीन प्रोफेसर से एक कॉपी का मूल्यांकन कराया गया है। पुनर्मूल्यांकन एक बार देख लेता हूं। एनालाइज करने के बाद ही कह पाऊंगा।
भूपेंद्र कुलदीप, कुलसचिव, हेमचंद विश्वविद्यालय ————————