दुर्ग की ड्रोन दीदी: गांव की घरेलू महिला बनी सर्टिफाइड ड्रोन पायलट, बेटी की पसंद का मशरूम उगाकर लाखों कमाया, पढि़ए खुद्दार महिला की कहानी

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@Dakshi sahu Rao

CG Prime News@दुर्ग. छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के छोटे से गांव मतवारी की रहने वाली जागृति साहू बचपन से टीचर बनना चाहती थी लेकिन आज वो प्रशिक्षित ड्रोन पायलट (dron pilot didi durg) बन गई है। एक घरेलू महिला से ड्रोन पायलट और लखपति दीदी बनने का तक सफर बेहद दिलचस्प और संघर्ष से भरा रहा। दुर्ग जिले की मशरूम लेडी के नाम से प्रसिद्ध जागृति के पति चंदन साहू बताते है कि शिक्षक न बन पाने से जागृति के व्यवहार में बहुत परिवर्तन आया। निराशा की वजह से वे ज्यादा बात भी नहीं करती थी। मैंने उस वक्त सोचा कि किसी काम में व्यस्त होने से शायद इनका मन लगे।

बेटी की पसंद से बनी लखपति दीदी
जागृति के पति बताते हैं कि मेरी बेटी और मुझे मशरूम (Mashroom lady of durg) बहुत पसंद है। मैंने उन्हें मशरूम की खेती करने का सुझाव दिया। बेटी की पसंद की वजह से जागृति ने यह कार्य प्रारंभ किया। देखते ही देखते बेटी की छोटी सी पसंद के लिए शुरू किया गया कार्य जागृति को उंचाईयों तक ले गया। धीरे-धीरे उन्होंने अपनी रुचि को बढ़ाते हुए हर्बल गुलाल और घरेलू वस्तुएं बनानी शुरू कीं। साल 2019 में जागृति ने 33 लाख रुपए का मशरूम बेचा, जो उनके मेहनत और समर्पण का परिणाम था। जागृति ने अपने साथ और महिलाओं को भी मुनाफ़ा दिलाया। वे अपने आस-पास के गांव की दीदियों को भी प्रशिक्षण देकर स्वावलंबन की राह दिखा रही है।

सीखा ड्रोन चलाना
जागृति ने खेती के साथ ही अपनी प्रतिभाओं को तराशा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल नमो ड्रोन दीदी में चयनित होकर उन्होंने ड्रोन चलाने का प्रशिक्षण लिया। आज वह एक प्रमाणित ड्रोन पायलट हैं और ‘ड्रोन दीदीÓ के नाम से जानी जाती हैं। ड्रोन के माध्यम से वह खेतों में दवाइयों का छिड़काव करती हैं और इस नई तकनीक का लाभ किसानों तक पहुंचाती हैं। इससे किसानों का समय तो बचता है साथ ही श्रम और खर्च भी कम होता है।

कैमिकल की जगह बनाया हर्बल गुलाल
जागृति के कार्यों में व्यवसाय के साथ समाज के प्रति उत्तरदायित्व भी दिखता है। वे बताती हैं की जब उन्हें कैमिकल वाले गुलाल से होने वाले नुक़सान के बारे में पता चला तब उन्होंने उसके विकल्प के बारे में सोचना शुरू किया। थोड़े अध्ययन के बाद उन्होंने पाया की घर पर उगने वाली साग-भाजी और फूलों से ही हर्बल गुलाल बनाया जा सकता है। उन्होंने अपने समूह की दीदियों के साथ मिलकर हर्बल गुलाल का उत्पादन प्रारंभ किया। पहले वर्ष समूह की दीदियों ने केवल 35 हज़ार रुपए का गुलाल विक्रय किया। पिछले वर्ष उनके समूह को हर्बल गुलाल के लिए बहुत सारे ऑर्डर्स आए, उन्होंने लगभग 8 लाख 25 हज़ार रुपये की बिक्री की।

मशरूम लेडी ऑफ दुर्ग
जागृति का सफर यही नहीं रुका। जागृति ने शासन की योजनाओं का लाभ लिया और एक सामान्य महिला से अपनी अलग पहचान बनाई। मशरूम की खेती से नई ऊंचाइयां प्राप्त करने पर उन्हें मशरूम लेडी ऑफ़ दुर्ग कहा जाने लगा। जागृति का सफऱ एक सामान्य महिला से लेकर लखपति दीदी बनने और आज ड्रोन दीदी के रूम में कृषि को उन्नति की ओर ले जा रहा है।