CG prime news story : 170 कॉलेजों को प्राचार्य मिलने का रास्ता साफ, साइंस कॉलेज से दो दर्जन प्रोफेसर बनेंगे प्रिंसिपल, जिले से 50 को मिलेगा मौका

भिलाई. दुर्ग संभाग के 84 फीसदी शासकीय कॉलेजों में नियमित प्राचार्य नहीं है। प्रदेश में यह आंकड़ा २७५ है, जिनमें प्राचार्य के पद रिक्त हैं। अब इन कॉलेज को प्राचार्य मिलने का रास्ता साफ हो गया है। हाईकोर्ट ने सहायक प्राध्यापकों की याचिका पर फैसला दे दिया है। कोर्ट ने कहा है कि पदोन्नत प्राध्यापक अपने पद पर यथावत रहेंगे। इसके बाद अब इन प्राध्यापकों के प्राचार्य पद पर अगली पदोन्नती की बाधा खत्म हो गई है। वर्तमान में 170 प्राध्यापकों की डीपीसी की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। ऐसे में जल्द ही प्राचार्य पद पर पदोन्नती की सूची जारी हो सकती है।

इस सूची में दुर्ग संभाग के सबसे अधिक नाम दुर्ग साइंस कॉलेज के प्राध्यापकों के होंगे, जो प्राध्यापक से प्राचार्य बनाए जाएंगे। यह संख्या कुछ नहीं तो 26 के आसपास होगी, जिनको प्राचार्य बनने का मौका मिल सकेगा। सबसे खास बात यह है कि साइंस कॉलेज के प्राध्यापकों की सेवा अवधी बहुत कम बची है। कुछ प्राचार्य 6 महीने के भीतर तो कुछ सालभर में सेवानिवृत्त हो जाएंगे। इससे पहले इनको प्राचार्य बनने का मौका मिल सकता है।

इधर नियम में संशोधन भी किया

राज्य सरकार ने शैक्षणिक सेवा भर्ती नियम में बड़ा संशोधन कर दिया है, जिससे पदोन्नत प्राध्यापकों का प्राचार्य बनने का रास्ता खुल गया है। 9000 ग्रेड-पे हासिल करने वाले पदोन्नत प्राध्यापकों पहले प्राचार्य के पद पर पदोन्नती की पात्रता नहीं रखते थे। सिर्फ 10 हजार ग्रेड-पे वाले प्राध्यापक ही प्राचार्य बन सकते थे, लेकिन अब 9 हजार ग्रेड-पे में रहते हुए भी इनको प्राचार्य बनाया जा सकेगा। राज्य सरकार ने 20 साल बाद यह निर्णय लिया है।

नहीं बढ़ाया गया ग्रेड-पे

प्राचार्य बनाने के लिए उच्च शिक्षा विभाग ने इनका ग्रेड-पे बढ़ाने से बेहतर नियम को शिथिल करना समझा। नए नियम का राजपत्र में प्रकाशन कर दिया गया है, जिसके बाद साइंस कॉलेज सहित प्रदेशभर के 185 पदोन्नत प्राध्यापकों ने प्राचार्य पद की आर्हताएं हासिल कर ली है। जल्द ही विभाग पदोन्नत प्राध्यापकों के लिए कॉलेजों में प्राचार्यों के रिक्त पदों पर नियुक्तियां कर सकता है।

यह हो सकते हैं अगले प्राचार्य

डॉ. अनुपमा अस्थाना, डॉ. अनिल कश्यप, डॉ. जगजीत कौर सलूजा, डॉ. रंजना श्रीवास्तव, डॉ. अमिनेश सुराना, डॉ. एके खान, डॉ. अश्वनी महाजन, डॉ. शिखा अग्रवाल, डॉ. सुचित्रा गुप्ता, डॉ. सोमाली गुप्ता, डॉ. के. पदमावती, डॉ. एसएन झा, डॉ. एचपी सिंह सलुजा, कमर तलत को प्राचार्य बनने की पात्रता मिल गई है, वहीं दुर्ग गल्र्स कॉलेज से डॉ. अमिता सहगल, डॉ. अनिल जैन, डॉ. मीरा गुप्ता नए नियम में शामिल हो जाएंगे।

सीधी भर्ती नियम भी बदला

राज्य लोक सेवा आयोग से निकलने वाली प्राध्यापक सीधी भर्ती में पहले तक 45 वर्ष की आयु सीमा थी, जिसे अब सरकार ने हटा दिया है। अब 61 साल तक के सहायक व एसोसिएट प्रोफेसर भी भर्ती में शामिल हो सकेंगे। पहले तक 45 वर्ष की आयु सीमा होने से जिला सहित प्रदेशभर के करीब 365 सहायक प्राध्यापक इसकी पात्रता से वंचित हो रहे थे। भर्ती में जूनियर को आयु सीमा की वजह से मौका मिल जाता करता था, लेकिन उसी विभाग का सीनियर इस मौके का लाभ नहीं ले पा रहा था। आगे जब भी पीएससी प्राध्यापक के पद पर भर्ती निकालेगा तो कॉलेजों के इन सहायक प्राध्यापकों को शामिल होने का मौका मिलेगा। सीधे इंटरव्यू में शामिल हो पाएंगे।

लगातर रिटायर हो रहे प्राध्यापक

कॉलेजों में पदोन्नत प्राध्यापक लगातार रिटायर हो रहे हैं। प्रदेश के 224 पदोन्नत प्राध्यापकों में से अब सिर्फ 184 शेष बचे है। इसमें बहुत से अगले साल रिटायर हो जाएंगे। अब यदि राज्य सरकार की ओर से इनको प्राचार्य के पद पर पदोन्नत किया जाता है तो रिटायर होने से पहले यह उनके लिए किसी बड़े तोहफे से कम नहीं होगा। बता दें कि प्रदेश में 285 शासकीय कॉलेजों में प्राचार्यों के पद खाली पड़े हैं।

प्राध्यापकों से प्राचार्य पदोन्नती को लेकर शासन स्तर पर डीपीसी की कार्यवाही शुरू हो गई है। इससे अगले दुर्ग जिले से ही करीब 50 प्राध्यापक प्राचार्य बनने के लिए पात्र हो जाएंगे। शासन स्तर पर प्रक्रिया जारी है।
डॉ. एमए सिद्दिकी, प्राचार्य, साइंस कॉलेज दुर्ग