भिलाई . अकसर, मन में सवाल उठता है कि वॉट्सऐप या किसी अन्य मैसेज ऐप से भेजे गए संदेश कहीं कोई देख तो नहीं रहा? क्या वॉट्सऐप हमारे भेजे गए मैसेज पढ़ रहा है? जवाब है, हां बिल्कुल…., मैनेजिंग ऐप पर भेजे गए सभी मैसेज को कंपनियां पढ़ सकती है। इस समस्या को सुलझाकर मैसेज प्राइवेसी को ध्यान में रखते हुए रूंगटा आर-1 इंजीनियरिंग कॉलेज (आर-1) के छात्रों ने एक विशेष मैसेजिंग ऐप तैयार किया है। इसका नाम है, कैपस। ऐप को इस तरह से तैयार किया गया है कि, इसमें संदेश भेजने और रिसीव करने वाले के अलावा कोई भी इन्हें नहीं पढ़ पाएगा।
विशेष प्रोग्रामिंग से तैयार इस ऐप के मैसेज खुद इसे तैयार करने वाले भी नहीं देख पाएंगे। ऐप के लिए खास इनक्रिप्शन कोडिंग का इस्तेमाल हुआ है, जो इसे डाटा सुरक्षा के लिहाज से पुखता बनाती है। हाल ही में 13 से 15 सितंबर तक नया रायपुर ट्रीपल आईटी संस्थान में हुए हैकाथॉन में देशभर से आई टीमों के बीच इस ऐप को तैयार करने वाली रूंगटा टीम को प्रथम पुरस्कार दिया गया। इसके साथ ही ट्रीपल आईटी ने ऐप को और बेहतर बनाने के लिए टेक्निकल सपोर्ट देने का वादा भी किया है।
ऐप में क्या होगा खास
इस ऐप को तैयार करने वाले रूंगटा आर-1 कॉलेज के छात्र प्रभात राजराय, अनुराग श्रीवास्तव, करण सिंह कलसी और शशांक श्रीवास्तव ने बताया कि,जिस तरह अभी वॉट्सऐप या टेलीग्राम जैसे ऐप मोबाइल नंबर डालकर रजिस्टर्ड किए जाते हैं, वैसा इस नए ऐप में नहीं होगा, बल्कि इसमें पंजीयन करने भारत सरकार द्वारा जारी पहचान पत्र की जरूरत होगी। इसे से पंजीयन होगा।
पंजीयन करने के बाद सॉफ्टवेयर उपयोगकर्ता की पहचान को पुख्ता करने आधार और अन्य जगहों के डाटा से मिलान करेगा। पहचान पुख्ता होने के बाद ही पंजीयन पूरा होगा और मैसेजिंग ऐप का उपयोग कर पाएंगे। छात्रों ने बताया कि इस ऐप में उपयोग होने वाले डाटा को चोरी नहीं किया जा सकता और न ही एनक्रिप्टि मैसेज को तोडक़र पढ़ा जा सकता है।
माइक्रो सेकंड होगी वेरीफिकेशन प्रोसेस
छात्रों ने बताया कि, ऐप का कोई भी फिजिकल सर्वर नहीं है। इसलिए डाटा की चोरी या हैकिंग नामुमकिन हो जाती है। यह ऐप पूरी तरह से ब्लॉक चेन सिस्टम पर काम करता है। ब्लॉक चेन करोड़ों सर्वर की तरह है, जिसमें यदि हैकर्स द्वारा किसी एक सर्वर पर अटैक किया गया तो पूरा डाटा क्लाउट में ही किसी अन्य सिस्टम पर पहुंच जाएगा। खुद कंपनी में इस डाटा को एक्सेस तो कर पाएगी, लेकिन डाटा में छेड़छाड़ कंपनी भी नहीं कर सकती, ऐसे में लोगों के उपयोग का डाटा किसी अन्य फर्म को बेचकर लोगों की प्राइवेसी का हनन नहीं होगा।
इस ऐप को इस तरह से डिजाइन किया गया है, सॉफ्टवेयर एल्गोरिदम संदेश को भेजने से पहले रिसीवर की आईडी की पहचान सुनिश्चित करेगा। गवर्नमेंट डेटा में यदि रिसीवर की आईडी वैलेड होगी, तभी उसके पास मैसेज पहुुंचेगा। इस सभी प्रोसेस को करने में सॉफ्टवेयर कुछ माइक्रो सेकंड का समय लेगा।
डेवलपमेंट में मिलेगा टेक सपोर्ट
इस ऐप को डेवलप करने के लिए छात्रों को ट्रीपल आईटी के साथ देश के कुछ नामी टेक कंपनियों का सहयोग भी मिलेगा। इसी तरह ऐप को सफलतापूवर्क तैयार कर लेने के बाद इसे प्ले स्टोर और ऐपल स्टोर से आसानी से डाउनलोड कर सकेंगे। डाटा प्राइवेसी और चैट सिक्योरिटी के लिहाज से यह ऐप शुरुआत बेहद कम सालाना शुल्क पर लॉन्च की जाएगी।
छात्रों ने बताया कि अकसर, सैन्य बलों से लेकर नामी कंपनियां अपने संदेशों को विभिन्न माध्यम से शेयर करती हैं, ताकि लोग इन्हें नहीं देख पाए। इसके लिए करोड़ों रुपए खर्च होते हैं। ऐसे में इस ऐप के जरिए मैसेजिंग को बिल्कुल सुरक्षित तरीके से इस्तेमाल किया जा सकेगा।
सौरभ रूंगटा डायरेक्टर, रूंगटा आर-१ ग्रुप ने बताया कि, छात्रों के इस ऐप को आगे और बेहतर बनाने के लिए टेक्निकल और फाइनैंस सपोर्ट कॉलेज के जरिए दिया जाएगा। यह ऐप मैसेजिंग सर्विस सेक्टर में उभरने की क्षमता रखता है।