अभिषेक मिश्रा हत्याकांड: मुख्य किरदार किम्सी को कोर्ट ने किया रिहा, जानिए हाई प्रोफाइल मर्डर केस की पैरवी करने वाली वकील ने कैसे बचाया

– सत्र न्यायालय ने किम्सी के पति विकास जैन और चाचा अजीत सिंह को मरते दम तक जेल में रहने की सुनाई है सजा

भिलाई. बहुचर्चित अभिषेक मिश्रा हत्याकांड में फैसला आने के बाद सबसे अधिक चर्चा में किम्सी कम्बोज रही। पुलिस ने उसे मुख्य षडयंत्रकारी बताया था पर न्यायालय से वह दोषमुक्त हो गई। अभियोजन उसके खिलाफ साक्ष्य साबित करने में सफल नहीं हुआ। सत्र न्यायालय ने इस मामले में किम्सी के पति विकास जैन और चाचा अजीत सिंह को मरते दम तक जेल में रहने की सजा सुनाई है। इस हाईप्रोफाइल प्रकरण में किम्सी की पैरवी करने वाली अधिवक्ता उमा भारती साहू ने उन बिंदुओं पर रोशनी डाली जिसके कारण किम्सी निर्देष साबित हुई।

अधिवक्ता उमाभारती ने कहा कि न्यायालय ने अपने आदेश मे यह स्पष्ट किया है कि यह प्रकरण परिस्थिति जन्य साक्ष्य पर आधारित है और बिन्दुवार 12 परिस्थितियों को रेखांकित किया है। इन 12 बिन्दुओं पर 34 साक्षियों का साक्ष्य अभियोजन ने न्यायालय मे प्रस्तुत किया था। जिसमें किम्सी जैन के विरूद्ध कोई भी साक्ष्य प्रमाणित नहीं हुआ।

कॉल डेटा रिकार्ड पर आधारित थी पुलिस की जांच

अधिवक्ता ने बताया कि पूरा केस सीडीआर (कॉल डेटा रिकार्ड) पर आधारित था। किम्सी जैन की अधिवक्ता के रुप मे मैंने इसी को ध्यान मे रखा और इसे ही अपने बचाव की पहली कड़ी बनाई। किसी भी मोबाइल का सीडीआर (कॉल डेटा रिकार्ड) यह बताता है कि उक्त मोबाइल नंबर से कितनी बार और किस-किस नम्बर पर फोन किया है, लेकिन व्यक्तियों के मध्य क्या बातचीत हुई यह नहीं बताता है। किम्सी जैन और अभिषेक मिश्रा के मध्य घटना दिनांक व उसके पूर्व हुई बातचीत टेनिस टूर्नामेंट लीग के स्पांशरशिप ढूंढने के लिए होती थी। जिससे संबंधित 26 पृष्ठ के मेल जो किम्सी द्वारा अन्य लोगों व कंपनियों को एवं अभिषेक मिश्रा के द्वारा किम्सी को भेजा गया था, उसे मैंने बचाव साक्ष्य के रुप में प्रस्तुत किया था। जिसे न्यायालय ने प्रमुखता से लेते हुए किम्सी के खिलाफ आरोपो एवं षडय़ंत्र को निराधार माना है।

एक स्थान नहीं मिला था किम्सी और अभिषेका टॉवर लोकेशन

अधिवक्ता उमा भारती ने कहा कि किम्सी की ओर से मेरे द्वारा अभियोजन साक्षी आईडिया कंपनी के नोडल अधिकारी पंकज रमैया सेे विस्तृत जिरह के बाद यह प्रमाण्ति हुआ कि घटना दिनांक को किम्सी जैन व मृतक अभिषेक मिश्रा का टावर लोकेशन भिन्न था। एक साथ एक जगह कभी भी नहीं था। न्यायालय ने इस बचाव को भी स्वीकार किया।

28 दिन पहले आपरेशन से हुआ था प्रसव, नहीं कर सकती थी हत्या का षणयंत्र

किम्सी के खिलाफ सीडीआर के अलावा अभियोजन ने कोई भी साक्ष्य पेश नहीं किया। उन्होंने बताया कि मैंने धनवंतरी हॉस्पीटल का डिस्चार्ज कार्ड प्रस्तुत किया, जिसके अनुसार 9 नवंबर 2015 के 28 दिन पहले ही किम्सी का शल्य क्रिया से प्रसव हुआ था। ऑपरेशन के 28 दिन बाद किम्सी की शारिरीक व मानसिक स्थिति ऐसी नहीं हो सकती कि किसी की हत्या का षडयंत्र एवं हत्या मे शामिल हो सके। इस बचाव को भी न्यायालय द्वारा स्वीकार किया गया।

घटना के दिन बीमार बच्चे को दिखाने डॉक्टर के पास गई थी किम्सी

अधिवक्ता उमाभारती ने बताया कि न्यायालय में किम्सी के बचाव में 9 नवंबर 2015 के डॉ कोठारी के हॉस्पीटल की पर्ची प्रस्तुत की थी। जिसके अनुसार उक्त दिनांक को किम्सी का बच्चा बीमार था और उसे इलाज के लिए अस्पताल ले गए थे। जिसके सबंध में विकास और किम्सी के मध्य मोबाइल में कई बार बात की थी। किम्सी और विकास पति-पत्नी हैं, जिसे अभियोजन ने अभिषेक मिश्रा की हत्या का षडय़ंत्र साबित करने की पुरजोर कोशिश की, लेकिन चिकित्सीय दस्तावेजों के कारण वे असफल रहे। इस प्रकरण मे किम्सी जैन का कोई मेमोरेंडम अर्थात् पूछताछ पुलिस द्वारा नहीं की गई। उन्होंने बताया कि किम्सी 4 मई को कोरोना पॉजिटिव पाई गई थी। जेल से रिहाई के बाद वह होम क्वारंटाइन में है।

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